बुलडोजर कथा: 101 साल पहले इसे किसने बनाया कैसे बना तोड़फोड़ की मशीन

Story of bulldozer : जब 101 साल पहले जब जेम्स कूमिंग्स ने बुलडोजर बनाया था कि वो उसका इरादा इसको खेती के कामों में इस्तेमाल के लिए था, उसको क्या मालूम था कि समय के साथ ये तोड़फोड़ के काम में ज्यादा इस्तेमाल होने लगेगा.

बुलडोजर कथा: 101 साल पहले इसे किसने बनाया कैसे बना तोड़फोड़ की मशीन
हाइलाइट्स बुलडोजर का आविष्कार एक किसान ने किया था उसने खेती किसानी के लिए 101 साल पहले इसको बनाया इन्हें पहले बुलडोजर नहीं बल्कि बुल ग्रेडर्स कहा जाता था देश में इन दिनों बुलडोजर की काफी चर्चा है. पहले ये यूपी में खूब चला. फिर मध्य प्रदेश और बिहार में इससे जुड़ी खबरें आईं. वैसे इमर्जेंसी में भी बुलडोजर की महिमा किसी से छिपी नहीं है. अब चर्चित आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर के घर के सामने चबूतरे और अन्य अवैध निर्माण पर भी बुलडोजर चल गया. क्या आपको मालूम है कि बुलडोजर आखिर बना कैसे और किसने उसको बनाया. शुरू में ये किस काम के लिए बना था. संयोग है कि बुलडोजर के बने हुए भी 101 साल पूरे हो रहे हैं. जिसने इसका आविष्कार किया, उसके दिमाग में इसके जरिए खेती-किसानी को समृद्ध करने की योजना थी. दरअसल खेती के लिए कई जमीनें इतनी उबड़-खाबड़ होती थीं कि उन्हें सपाट करके भुरभुरी उपजाऊ जमीन में तब्दील करना बहुत मुश्किल होता था. खेती करने वालों को बहुत मुश्किल होती थी. दुनिया में शुरुआती ट्रैक्टर बनाने में फेमस रही हॉल्ट कंपनी ने शुरुआती बुलडोजर खेती की जमीनों को ठीक करने के लिए ही बनाया था. एक किसान ने 101 साल पहले बनाया 1923 में एक किसान और एक ड्राफ्ट्समैन ने मिलकर पहले बुलडोजर का डिजाइन तैयार किया. किसान का नाम था जेम्स कुमिंग्स और ड्राफ्ट्समैन थे जे अर्ल मैकलेयोड. ये दोनों अमेरिका के कंसास में रहते थे, जहां कई जगहों पर खेती करना बहुत उबड़ खाबड़ जगहों के कारण मुश्किल हो रहा था. दोनों ने मिलकर पहला बुलडोजर 18 दिसंबर 1923 को बनाया. पहले बुलडोजर होल्ट फार्म ट्रैक्टरों को बदलकर बनाए गए थे. इनका उपयोग खेतों की जुताई के लिए किया जाता था. (फाइल फोटो) फिर इसका हुआ अमेरिकी पेटेंट फिर उन्होंने इसका अमेरिकी पेटेंट भी करा लिया. पेटेंट नंबर था 1,522,378. लेकिन ये पेटेंट कृषि कार्यों में टैक्ट्रर के अटैचमेंट के तौर पर हुआ. 1920 के दशक में ट्रक आ चुके थे और खूब इस्तेमाल भी होने लगे थे. हालांकि तब के ट्रक रबर टायर वाले नहीं थे. 40 के दशक में रबर टायर वाले वाहन आए. तब ट्रैक्टर जैसे ही लगते थे बुलडोजर  तब मूलतौर पर बुलडोजर ट्रैक्टर जैसे ही लगते थे. क्योंकि ट्रैक्टर के अगले हिस्से में लंबी, पतली धातु की प्लेट लगा दी गई थी. जो मैकेनिकल तरीके से नीचे आकर मिट्टी की खुदाई करके उससे सपाट कर देती थी. शुरुआती बुलडोजर्स में ड्राइवर के लिए केबिन नहीं होता था बल्कि उसके खुले में ही बैठकर काम करना होता था. बाद में इनमें सुधार होते गए बाद में बुलडोजर्स के ब्लेड्स में भी और सुधार हुआ, पैनेपन में भी. फिलहाल जिन ब्लेड्स से तोड़फोड़ का काम होता है और मिट्टी निकालने और फेंकने का, वो यू ब्लेड्स हैं. जो पहले तोड़फोड़ करते हैं और फिर मलबे को उठाकर फेंकते भी हैं. पहले ये सारे ब्लेड ट्रैक्टरनुमा वाहन के साथ ही लगकर मिलते थे. अलग अलग ब्लेड्स के साथ ये 1929 में नमूदार हुए. इन्हें तब बुलडोजर नहीं बल्कि बुल ग्रेडर्स कहा जाता था. समय के साथ बुलडोजर बड़े और विकराल होते गए. अब ये कई मॉडल में आते हैं और कई कामों में इस्तेमाल होते हैं. (विकी कॉमंस) तब ये खेती-किसानी में यूज होते थे 1930 के दशक के बीच तक आते आते ये खेतों और कृषिकामों में इस्तेमाल भी होने लगे. इनके ब्लेड्स को उठाने और गिराने के लिए इसमें फिर हाइड्रॉलिक सिलिंडर्स की मदद ली गई. ये भी महसूस होने लगा कि शायद ट्रैक्टर की अपेक्षा बड़ा और दमदार वाहन का बेस होना चाहिए, जो इन ब्लेड्स को आसानी से आपरेट कर पाए. इस तरह फिर बुलडोजर के लिए अलग तरह के वाहनों का आगमन हुआ. समय के साथ ये बड़े और ताकतवर हुए फिर तो समय के साथ बुलडोजर्स बड़े और ताकतवर होते गए. दुनिया की कई बड़ी नामी कंपनियां इन्हें बनाने लगीं. इनके मॉडल, काम के करने के तरीके भी अलग अलग होते गए.फिर इनके हाइड्रॉलिक सिलेंडर के साथ आपरेटिंग सिस्टम ज्यादा आटोमेटेड होता गया. अब तो आधुनिक बुलडोजर कई तरह की नई तकनीक से लैस हो गए हैं. जिसमें जीपीएस जैसी तकनीक भी शामिल है. तब पहली बार बुलडोजर से बर्फ हटाई गई ब्रिटेन में 1946-47 में जमकर बर्फ पड़ी. कई गांवों में सप्लाई चैन में बाधा पड़ने लगी. तब बड़े बड़े टायरों वाले और बर्फ हटाकर रास्ता बनाकर चलने वाले बुलडोजर की मदद ली गई. पहली बार ये अंदाज हुआ कि बुलडोजर से तो ये काम भी आसानी से हो सकता है. तब से ये सड़कों पर पड़ी बर्फ हटाने के काम भी आने लगे. फिर इनके जरिए अवैध अतिक्रमण हटवाने का काम भी होने लगा. वो कंपनियां जो इसे बनाने में आगे वैसे बुलडोजर बनाने में जो कंपनियां दुनिया में सबसे आगे हैं, उनमें कैटरपिलर, कोमात्सु, लिभर, केज औऱ जॉन डीरे शामिल हैं. ये तो साफ है जैसे बुलडोजर का विकास हुआ, वो कृषि कामों की तुलना में सिविल कंस्ट्रक्शन के काम ज्यादा आने लगा. दुनियाभर में सैन्य निर्माण इकाइयां इनका खूब इस्तेमाल करती हैं. भारत में इसका दाम कितना भारत में आमतौर पर बुलडोजर के दाम करीब 10 लाख रुपए से शुरू होते हैं. ज्यादातर बुलडोजर दूसरे देशों से आय़ात होते हैं या टाटा या दूसरी बड़ी कंपनियां विदेशी तकनीक से सहयोग करके उसे देश में ही तैयार करती हैं. वैसे इनका दाम 50 लाख रुपए या इससे ज्यादा तक भी होता है. ये मॉडल, कंपनी और खासियतों पर निर्भर करता है. Tags: Bulldozer Baba, New Invention, UP bulldozer actionFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 13:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed