Explainer: एक ही शहर में अलग-अलग जगहों का तापमान कैसे रहता है अलग क्या है वजह

Delhi is Experiencing Scorching Temperature: दिल्ली में अन्य स्थानों पर अधिकतम तापमान मुंगेशपुर की तुलना में कम से कम 6 या 7 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया. उदाहरण के लिए, राजघाट और लोधी रोड पर बुधवार को अधिकतम तापमान क्रमशः 45.2 और 46.2 डिग्री सेल्सियस था. दिल्ली भर में कई मौसम केंद्र हैं, जिनमें से प्रत्येक एक विशेष स्थान पर टेंपरेचर रिकॉर्ड करता है. कई ऑब्जर्वेटरी और ऑटोमैटिक मौसम स्टेशन शहर के भीतर विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं, लेकिन कोई भी एक ऑब्जर्वेटरी या स्टेशन नहीं है जो पूरी दिल्ली का औसत तापमान बताता हो.

Explainer: एक ही शहर में अलग-अलग जगहों का तापमान कैसे रहता है अलग क्या है वजह
Delhi is Experiencing Scorching Temperature: दिल्ली-एनसीआर आग की भट्टी की तरह धधक रहा है. दिल्ली में पड़ रही भीषण गर्मी ने 79 साल पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया. दिल्ली में पड़ रही गर्मी ने 52 डिग्री सेल्सियस का पारा पार कर लिया है. दिल्ली के मुंगेशपुर स्थित मौसम केंद्र में बुधवार को अधिकतम टेंपरेचर 52.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. यह राष्ट्रीय राजधानी में अब तक दर्ज किया गया अधिकतम टेंपरेचर है. जबकि मंगलवार को इसी स्थान पर टेंपरेचर 49.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. हालांकि, दिल्ली में अन्य स्थानों पर अधिकतम तापमान मुंगेशपुर की तुलना में कम से कम 6 या 7 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया. उदाहरण के लिए, राजघाट और लोधी रोड पर बुधवार को अधिकतम तापमान क्रमशः 45.2 और 46.2 डिग्री सेल्सियस था. आप एक ही शहर में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग टेंपरेचर क्यों देखते हैं? हम आपको बताते है… दिल्ली भर में कई मौसम केंद्र हैं, जिनमें से प्रत्येक एक विशेष स्थान पर टेंपरेचर रिकॉर्ड करता है. कई ऑब्जर्वेटरी और ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन शहर के भीतर विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं, लेकिन कोई भी एक ऑब्जर्वेटरी या स्टेशन नहीं है जो पूरी दिल्ली का औसत तापमान बताता हो. पालम, लोधी रोड, रिज, आयानगर, जाफरपुर, मुंगेशपुर, नजफगढ़, नरेला, पीतमपुरा, पूसा, मयूर विहार और राजघाट पर तापमान दर्ज किया जाता है.  ये भी पढ़ें- महात्मा गांधी से पहले भारतीय नोटों पर छप चुकी हैं इन शख्सियतों की फोटो फोन पर दिखने वाला टेंपरेचर जरूरी नहीं सही हो इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार आपके मोबाइल फोन पर मौसम/टेंपरेचर ऐप निकटतम स्टेशन पर टेंपरेचर  दिखाता है, जो जरूरी नहीं कि आधिकारिक भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) स्टेशन का हो. यही बात आपके फोन पर AQI यानी वायु प्रदूषण डेटा के लिए भी लागू होती है. इसलिए, यदि आप दिल्ली शहर में पीतमपुरा से राजघाट तक ड्राइव करते हैं, तो आपको संभवतः अपने फोन पर कई अलग-अलग टेंपरेचर दिखाई देंगे. अलग-अलग जगहों पर टेंपरेचर अलग-अलग क्यों? हालांकि किसी विशेष क्षेत्र में टेंपरेचर काफी हद तक मौसम से नियंत्रित होता है. लेकिन खासकर दिल्ली जैसी बड़ी शहरी जगह पर कई मानवजनित कारक भी भूमिका निभाते हैं. इन कारकों में फुटपाथ, इमारतों, सड़कों और पार्किंग स्थलों की सघनता शामिल है. सामान्य तौर पर, कठोर और सूखी सतहें कम छाया और नमी प्रदान करती हैं, जिससे टेंपरेचर बढ़ता है. बुनियादी ढांचे के निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री का भी प्रभाव पड़ता है. उदाहरण के लिए, वे स्थान जहां अधिकांश फुटपाथ और इमारतें कंक्रीट से बनी होती हैं, वहां टेंपरेचर अधिक होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कंक्रीट हवा की समतुल्य मात्रा की तुलना में लगभग 2,000 गुना अधिक गर्मी धारण कर सकती है. ये भी पढ़ें- वो मुस्लिम देश जो राम-रामायण का है दीवाना, 60 सालों से लगातार खेली जा रही है रामलीला संकरी सड़कें और ऊंची इमारतें भी कारण इमारतों की बनावट और दूरी भी एक कारक है. यदि कोई स्थान इमारतों, और संरचनाओं से घनी आबादी वाला है तो वहां ‘बड़े थर्मल द्रव्यमान’ बन जाते हैं क्योंकि वे आसानी से गर्मी जारी करने में विफल होते हैं. बहुत संकरी सड़कें और ऊंची इमारतें प्राकृतिक हवा के प्रवाह में बाधा डालती हैं जो आम तौर पर टेंपरेचर को नीचे लाती हैं. लेकिन शॉपिंग मॉल और आवासीय क्षेत्रों में एयर कंडीशनर के ज्यादा उपयोग के परिणामस्वरूप वहां हाई टेंपरेचर होता है. एसी भारी मात्रा में गर्मी बाहर छोड़ते हैं.  ये कारक सामूहिक रूप से किसी स्थान पर ‘अरबन हीट आईलैंड’ के बनने का कारण बन सकते हैं. इन आईलैंड’ में बाहरी क्षेत्रों की तुलना में हाई टेंपरेचर का अनुभव होता है. पेड़, वनस्पति और वॉटर बॉडीज का न होना किसी स्थान के ‘अरबन हीट आईलैंड बनने की आशंका तब अधिक होती है जब वहां पेड़, वनस्पति और वॉटर बॉडीज नहीं होते हैं. घने पेड़ टेंपरेचर में कमी लाते हैं, क्योंकि वे छाया प्रदान करते हैं, और पौधों से वाष्पोत्सर्जन और वॉटर बॉडीज से वाष्पीकरण की प्रक्रियाएं ठंडक पैदा करती हैं. दिल्ली में इसका प्रमाण बड़े पार्क और शहरी जंगलों के आस पास के एरिया में होने वाला कूलिंग इफेक्ट है. यानी जहां पेड़ ज्यादा हैं और बड़े पार्क विकसित किए गए हैं वहां पर टेंपरेचर अपेक्षाकृत कम रहता है. Tags: Delhi weather, Heat Wave, IMD forecast, Minimum TemperatureFIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 12:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed