अफगानिस्तान से तालिबान से जान बचाकर भारत भागे सिख क्यों हो रहे कनाडा में सेटल

Afghan Sikhs: साल 2021 में तालिबान के कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान के सिख तब किसी तरह वहां से निकल कर भारत आना चाह रहे थे. लेकिन भारत आने के बाद वे अब कनाडा में बसना चाह रहे हैं. जान बचाकर आए भारत पहुंचे लगभग 350 सिखों में से 230 कनाडा जा चुके हैं और बाकी कोशिश कर रहे हैं.

अफगानिस्तान से तालिबान से जान बचाकर भारत भागे सिख क्यों हो रहे कनाडा में सेटल
हाइलाइट्स 2021 में अफगानिस्तान से जान बचाकर लगभग 350 सिख भारत आए थे तब आतंकवादी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था लेकिन अफगानिस्तान से आए सिख अब कनाडा में जाकर बस रहे हैं Afghan Sikhs: आज से तीन साल पहले अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के साथ ही वहां लोकतांत्रिक सरकार की विदाई हो गई थी. तालिबान के कब्जे ने इस मुल्क में रह रहे अल्पसंख्यकों को सपनों को भी चकनाचूर कर दिया था. अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू और सिख किसी तरह वहां से निकलना चाह रहे थे. भारत सरकार ने भी उन्हें सुरक्षित निकाल लाने के लिए जीतोड़ कोशिश की थी. अफगानिस्तान में रहने वाले सिखों की वो तस्वीरें आज भी लोगों को याद होंगी, जिसमें उन्हें सिर पर पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब रखे अपने सभी माल असबाब के साथ सपरिवार एयरपोर्ट से बाहर निकलते देखा गया था. लेकिन अपने देश से भागकर भारत आए दो-तिहाई अफगान सिख अब कनाडा में बस गए हैं.  जाहिर है सब वक्त-वक्त की बात है. 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद जब उनकी जान के लाले पड़े थे तो उनके लिए एकमात्र सहारा भारत था. लेकिन अब बेहतर जिंदगी की तलाश में वो कनाडा की ओर रुख कर रहे हैं. द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में निजी प्रायोजक और सिख फाउंडेशन भारत से आने वाले सिखों की मदद कर रहे हैं. इन सिखों को कनाडा पहुंचने के बाद पहले एक साल के लिए मंथली स्टाइपेंड, रहने के लिए घर, राशन, मोबाइल फोन और स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों के लिए फ्री एजुकेशन मुहैया करा रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से लगभग 350 सिख भागकर भारत आए थे. इनमें से 230 सिख कनाडा में रहने लगे हैं. ये भी पढ़ें- कौन थे वो नेता जो चला रहे थे भारत विरोधी अभियान, इंदिरा राज में चली गई राज्यसभा सदस्यता कनाडा में मिल रहीं सभी सुविधाएं इस समय टोरंटो में रह रहे एक अफगान सिख ने बताया कि उसे कनाडा में एक सोशल सिक्योरिटी कार्ड, एक बैंक अकाउंट और परमानेंट रेजीडेंस (PR) मिल चुका है. उन्होंने बताया कि वह तीन साल बाद कनाडा की नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे. दिल्ली स्थित खालसा दीवान वेलफेयर सोसाइटी का अनुमान है कि भारत में 120 अफगान सिख अभी भी कनाडाई वीजा का इंतजार कर रहे हैं. भारत के रास्ते कनाडा जाने के इच्छुक शरणार्थियों के लिए मुख्य समन्वयक का काम कर रही खालसा दीवान वेलफेयर सोसाइटी ने बताया,  “2021 के बाद आए अफगानी सिखों में से लगभग 230 कनाडा में बस गए हैं. एक-दो परिवार अमेरिका में हैं. ज्यादातर लोग कनाडा में कंस्ट्रक्शन, ट्रक-ड्राइविंग या पेट्रोल पंपों पर काम कर रहे हैं. ये भी पढ़ें- कैसे होती हैं इजरायल में यहूदी शादियां, मंडप भी होते हैं और फेरे भी… भारतीय शादियों से मिलती-जुलती 50 साल पहले अफगानिस्तान में थे लाखों सिख अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां पर अब जितने सिख रह गए हैं उनको अंगुली पर गिना जा सकता है. जबकि कुछ समय पहले तक अफगानिस्तान में हजारों सिख परिवार रहते थे. एक अनुमान के मुताबिक, 1970 के दशक में इस देश में सिखों की आबादी लगभग पांच लाख थी. 1978 में अफगानिस्तान में जंग शुरू होने के बाद उनकी आबादी में तेजी से कमी आई. साल 2013 तक इनकी संख्या घटकर 8,000 के आसपास रह गई थी. 2020 में सिखों की आबादी केवल 700 थी.  गुरु नानक देव का अफगानिस्तान से नाता सिख धर्म के संस्थापक और उनके पहले गुरु नानक देव 15वीं सदी में काबुल गए थे. उनके आने के बाद कुछ अफगानिस्तान में बस गए थे और वे यहां बिजनेस करने लगे थे. सिखों ने उस समय काफी तरक्की की थी. 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय भी बड़ी संख्या में सिख अफगानिस्तान पहुंचे थे. उन्होंने पाकिस्तान में मुसलमानों के हमलों से बचने के लिए वहां शरण ली. उस समय अफगानिस्तान में मोहम्मद जहीर शाह (1933 से 1973 तक) का शासन था. उनके राज में सिख वहां खूब फले-फूले. 1980 के दशक में रूस -अफगान युद्ध के दौरान काफी सिख भारत चले आए. 1992 में नजीबुल्ला का शासन खत्म होने के बाद अफगानिस्तान से काफी सिख आबादी भारत आ गई.  ये भी पढ़ें- भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर में कब किस पार्टी की रही सरकार, कौन रहा सबसे लंबे समय तक सत्ता में गुरुद्वारे और मंदिर हो गए तबाह 1989 में हुई जलालाबाद की लड़ाई में काबुल के गुरुद्वारा करते परवान को छोड़कर अफगानिस्तान के सभी गुरुद्वारे और मंदिर तबाह हो गए. 2022 में गुरुद्वारा करते परवान पर भीषण हमला हुआ था. हालांकि उस हमले में कुछ लोगों की मौत तो हो गई. लेकिन गुरुद्वारे की बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. पहले इस गुरुद्वारे के आसपास बड़ी संख्‍या में सिख लोग रहते थे. लेकिन अब मुख्य ग्रंथी और ग्रंथी को छोड़कर शायद कुछ सिख वहां पर बचे हैं. इससे पहले भी इस गुरुद्वारे पर कई बार भीषण हमले हो चुके हैं. Tags: Afghanistan taliban news, Canada, Sikh Community, Taliban Government, Taliban terroristFIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 16:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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