संभल में 1978 से खोया मंदिर अब मिला जानें 46 साल पहले की हिंसा की कहानी
संभल में 1978 से खोया मंदिर अब मिला जानें 46 साल पहले की हिंसा की कहानी
Sambhal Mandir History: संभल में भगवान शिव के मंदिर में आज पहली बार पूजा की गई. यह मंदिर साल 1978 के बाद से ही बंद था. धीरे-धीरे अन्य समुदाय के लोगों ने इस मंदिर की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था. चलिए हम आपको इसके इतिहास के बारे में बताते हैं.
Sambhal Mandir History: यूपी के संभल में रविवार सुबह भगवान शंकर का मंदिर 46 साल बाद खुला तो वहां भक्तों का तांता लग गई. साल 1978 में हुए दंगों के बाद इस मंदिर पर परमानेंट बंद कर दिया गया था. आज सुबह भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मंदिर में आरती की गई. इससे पहले पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मंदिर व उसके आसपास के क्षेत्र में हुए अवैध कब्जे को ध्वस्त करने के लिए स्पेशल अभियान चलाया था. यहां दूसरे समुदाय के पड़ोसी ने दीवार लगा कर मंदिर के मुख्य रास्ते को दीवार के अंदर ले लिया था. अब प्रशासन दीवार को ध्वस्त कर दिया.
संभल के डीएम ने एक दिन पहले कहा था कि यह मंदिर 400 साल पुराना बताया जा रहा है. मंदिर पर कब्जा करने की तैयारी थी. अगर यहां बिजली चोरी की चेकिंग नहीं होती तो मंदिर भी नहीं मिलता और इसे पूरी तरह कब्जे में ले लिया जाता. मंदिर पर अतिक्रमण की तैयारी थी. कार्रवाई न होने पर इस मंदिर को अंदर लेने की योजना थी. पुलिस की भारी मौजूदगी में इस मंदिर को खुलवाया गया और अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर एक्शन हुआ. अब सवाल यह उठता है कि साल 1978 में ऐसा क्या हुआ था जिसके बाद संभल में भगवान शंकर के मंदिर पर ताला लगा दिया गया. चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
संसद की फैक्ट फाइंडिंग टीम!
संभल में करीब 77 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है. संभल के जिस खग्गूसराय क्षेत्र में भगवान शंकर का मंदिर मिला है, वहां पहले बड़ी संख्या में हिन्दू परिवार की मौजूदगी का दावा किया जाता है. साल 1976 और 1978 में यहां दो बड़े दंगे हुए, जिसके बाद हिन्दू समाज ने बड़ी संख्या में पलायन करना शुरू कर दिया. दावा किया जाता है कि यहां पहले भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का मंदिर था. द प्रिंट ने अपनी रिपोर्ट के मुताबिक तब 1978 में भड़की हिंसा की आग के बाद संसद ने संभल में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भेजने पर भी विचार किया था.
मौलाना की हत्या से भड़के दंगे
इस रिपोर्ट में संभल के 55 वर्षीय हिन्दू निवासी सुशील गुप्ता से बातचीत का जिक्र है. वो मस्जिद के सामने वाली गली में ही रहते हैं. उन्होंने दावा किया कि 1976 में एक मुसलमान ने मौलाना को मार डाला. हालांकि संसदीय रिकॉर्ड और एसएलएम प्रेमचंद की 1979 की प्रकाशित मॉब वायलेंस इन इंडिया जैसी किताबों में कहा गया है कि मौलाना की हत्या एक हिंदू ने की थी. मौलाना का परिवार कुछ ही समय बाद यूपी के आजमगढ़ के अहिरौला में चला गया. इसके बाद यहां दंगे शुरू हो गए थे. बाद में मंदिर को ताला लगा दिया गया.
हरिहर मंदिर की कहानी
गुप्ता बताते हैं कि ताजा दंगों के बाद उन्होंने अपने 82 वर्षीय चाचा से मस्जिद के बारे में चर्चा की. चाचा ने यादों को और भी ताजा कर दिया. उन्हें याद है कि यहां धातु की चेन के अंत में एक घंटी लगी हुई दिखाई देती है. मस्जिद के सामने कांच की एक फ्रेम वाली शीट भी हुआ करती थी और उस पर तोते के हरे रंग की स्याही से लिखा हुआ था कि यह हरिहर मंदिर हुआ करता था. गुप्ता ने कहा कि मुझे नहीं पता कि उस साइन का क्या हुआ, लेकिन आपको इससे ज्यादा सबूत और क्या चाहिए? हम सभी को गुंबद से लटकी जंजीर याद है. क्या यह मुस्लिम लगता है?
Tags: Sambhal News, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : December 15, 2024, 10:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed