कोलकाता के वो जज जिनको नेहरू सीजेआई बनाना चाहते थे क्यों कर दिया मना
कोलकाता के वो जज जिनको नेहरू सीजेआई बनाना चाहते थे क्यों कर दिया मना
आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों से क्षुब्ध थे. वह चाहते थे कि देश की शीर्ष अदालत का मुख्य न्यायाधीश किसी तरह के आग्रह से परे और तटस्थ हो.
हाइलाइट्स नेहरू सुप्रीम कोर्ट के तब के कुछ फैसलों से खिन्न थे उन्हें लगता था कि सुप्रीम कोर्ट के जज आग्रहों से परे नहीं हैं इसी वजह से नेहरू ने जस्टिस मुखर्जी को प्रस्ताव दिया
भारत में एक ऐसे भी जज हुए हैं, जिनको देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनने का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने साफ कर दिया. उनका था कि वो अपनी बारी से पहले ये पद नहीं लेंगे. अगर उन पर ज्यादा दवाब डाला गया तो इस्तीफा दे देंगे.
भारत के पूर्व सोलिसिटर जनरल फॉली सैम नरीमन ने अपनी किताब बिफोर मेमोरी फेड्स – एन आटोबॉयोग्राफी (Before Memory Fades: An Autobiography ) में इसका जिक्र किया है. उन्होंने इसमें याद किया है कि किस तरह सरकार का दबाव नेहरू के दौर में भी सुप्रीम कोर्ट पर पड़ता रहा है लेकिन तब नेहरू ने कभी इन न्यायाधीशों की मर्जी के खिलाफ जाने की कोशिश नहीं की.
क्यों तब सुप्रीम कोर्ट से खिन्न थे नेहरू
ये भी कहा जाता है कि भारत की आजादी के बाद केंद्र सरकार के सामाजिक कल्याण के कानून को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था, जिसे लेकर नेहरू खिन्न थे. आमतौर पर माना जाता है कि पंडित नेहरू न्यायमूर्ति एच.जे. कनिया को भारत का पहला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगा कि न्यायमूर्ति कनिया के विचारों में धर्म को लेकर कुछ आग्रह हैं. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर कई बार सरकारों का दबाव भी होने की बाद फॉली नरीमन ने अपनी किताब में लिखा है. (news18)
तब सरदार पटेल को बीच में आना पड़ा था. नेहरू गृह मंत्री सरदार पटेल के आश्वासन पर ही इस विचार को छोड़ने के लिए सहमत हुए, जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि उन्होंने कनिया से बात की है.
दरअसल आज़ादी के बाद नेहरू के नेतृत्व वाली संसद ने कई सामाजिक कल्याण कानून पेश किए थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर रद्द कर दिया था. तब नेहरू ने मशहूर टिप्पणी की थी कि ‘हाथीदांत के महलों में बैठे जज देश की वास्तविक ज़रूरतों और समस्याओं के बारे में नहीं जानते हैं.’
तब नेहरू ने मुखर्जी को सीजेआई बनने का प्रस्ताव दिया
भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पतंजलि का कार्यकाल 1954 में खत्म होने वाला था. तब सीनियारिटी क्रम में जस्टिस मेहर चंद महाजन को इस पद पर आना था. महाजन न्यायापालिका में आने से पहले जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री थे. राज्य के भारत में विलय में उन्होंने खास भूमिका अदा की थी.
मुखर्जी ने मना कर दिया
नेहरू ने 1954 में जस्टिस बीके मुखर्जी को पतंजलि शास्त्री के सेवानिवृत्त होने पर नेहरू मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने के लिए कहा मुखर्जी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि मेहर चंद महाजन उनसे वरिष्ठ हैं.
कहा-दबाव डाला गया तो इस्तीफा दे देंगे.
जब नेहरू ने उन पर दबाव डाला, तो न्यायाधीश ने कहा कि वह अपनी बारी से पहले सर्वोच्च पद पर आने की बजाए दे देंगे. वह सीजेआई नहीं बने. महाजन के सेवानिवृत्त होने के बाद ही वह इस पद पर आए.
वह सुप्रीम कोर्ट के चौथे सीजेआई बने
बिजन कुमार मुखर्जी 23 दिसंबर 1954 को सीजेआई तब बने जबकि मेहर चंद महाजन का कार्यकाल खत्म हो गया. फिर वह 31 जनवरी 1956 तक इस पद पर रहे. पद से हटने के तुरंत बाद 22 फरवरी को उनका निधन हो गया. उन्होंने कानून से संबंधित दो किताबें भी लिखी थीं.
कानून में पीएचडी थे
वह 1914 में कलकत्ता बार में शामिल हुए. 20 साल की वकालत के बाद वह कोलकाता हाईकोर्ट में सीनियर सरकारी वकील बन गए. 1936 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने तो 1948 में सुप्रीम कोर्ट में जज बनकर आ गए. वह अपनी पढ़ाई में जबरदस्त स्कॉलर थे. लॉ की डिग्री और मास्टर डिग्री में स्वर्ण पदक विजेता नहीं थे बल्कि कानून में पीएचडी भी की. उनकी विद्वता और क्षमता का लोहा माना जाता था.
उनके पिता भी कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायाधीश थे. पिता ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश का पद अपने स्वास्थ्य कारणों से ठुकरा दिया था. वह झारखंड के देवघर स्थित श्री श्री बालानंद ब्रह्मचारी के शिष्य थे. अक्सर देवघर स्थित बालानंदजी के तपोवन आश्रम में जाते थे.
Tags: Chief Justice, Chief Justice of India, Jawaharlal Nehru, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 21:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed