महाभारत की वो कथा जिसमें मृत राजा के साथ मिलन से रानी को 7 पुत्र हुए
महाभारत की वो कथा जिसमें मृत राजा के साथ मिलन से रानी को 7 पुत्र हुए
महाभारत में एक ऐसे प्रतापी राजा का जिक्र है, जिनकी मृत्यु के बाद उनकी रानी को पुत्र हासिल करने के लिए मृत शरीर से मिलन करना पड़ा, जिससे उन्होंने सात बेटों को जन्म दिया.
हाइलाइट्स राजा पांडु ने इस राजा का जिक्र रानी कुंती से किया था राजा व्यूषिताश्व धार्मिक और प्रतापी राजा थे उनकी पत्नी रानी भद्रा को भारत की सुंदर स्त्रियों में गिना जाता था
महाभारत के दौरान एक ऐसे राजा थे, जिनका जिक्र राजा व्यूषिताश्व के तौर पर किया गया है. उनके साथ ये कहानी जुड़ी हुई है कि उन्हें अपार शक्तियां हासिल थीं. जब उनकी मृत्यु हुई तो वह संतानविहीन थे. तब रानी ने मृत राजा के मिलने करके कई पुत्रों को जन्म दिया.
दरअसल महाभारत में इस प्रतापी राजा का जिक्र राजा पांडु यानि पांडवों के पिता ने अपनी बड़ी रानी कुंती से किया था. पांडु को शाप मिला हुआ था कि वह जब भी पत्नी के साथ संसर्ग करेंगे तो तुरंत उनकी मृत्यु हो जाएगी. क्योंकि उन्होंने प्रेम में लीन हिरणों की जोड़ी को अपने बाण से शिकार करके मार दिया था.
पांडु को क्यों मिला था श्राप
तब उन्हें श्राप मिला था कि जिस तरह उन्होंने संसर्गरत स्थिति में हिरण को शिकार करके मृत्यु तक पहुंचाया, वो उनके साथ भी होगा, जब भी वह पत्नी के पास प्रेमरत होने जाएंगे, तुरंत उनकी मृत्यु हो जाएगी. लिहाजा अब पांडु कोई संतान पैदा नहीं कर सकते थे. वह अब तक संतानविहीन थे. वह अपनी दोनों पत्नियों कुंती और माद्री के साथ वन में रहने लगे.
राजा पांडु को वन में रहने के दौरान संतान नहीं होने की उन्हें बहुत चिंता सताती थी. एक दिन उन्होंने एकांत में कुंती से कहा, तुम संतान प्राप्ति की कोशिश करो. आपातकाल में स्त्रियां उत्तम वर्ण के पुरुष या देवर से पुत्र प्राप्त कर सकती हैं. खुद राजा पांडु, धृतराष्ट्र और विदुर का जन्म इसी तरह ऋषि व्यास के साथ संसर्ग से हुआ था. राजा व्यूषिताश्व (AI generated image)
तब पांडु ने रानी कुंती से किया राजा व्यूषिताश्व का जिक्र
इसका जिक्र राजशेखर बसु की “महाभारत” में है, जो बांग्ला में बहुत लोकप्रिय है. इसी तरह राजा व्यूषिताश्व के बारे में पेंगुइन से प्रकाशित “महाभारत: खंड 1″ के पृष्ठ 148 पर जानकारी दी गई है. कौशिकी बुक्स की “महाभारत आदि पर्व अंग्रेजी भाग 2″ में भी इसका उल्लेख है. इसके अनुसार, पांडु की बातों के बाद कुंती ने उनसे यही पूछा कि अगर राजा व्यूषिताश्व की मृत्यु के बाद भी उनकी पत्नी रानी भद्रा ने जब उनसे मिलन किया. इससे गर्भवती हो गईं. फिर 7 बेटों को जन्म दिया. तो आप भी तपस्या के प्रभाव से मेरे गर्भ में मानस पुत्र की उत्पत्ति कर सकते हैं. तब पांडु बोले, व्यूषिताश्व देवता समान बलशाली थे, मुझमें वह शक्ति नहीं है.
कौन थे राजा व्यूषिताश्व और रानी भद्रा
अब जानते हैं कि कौन थे राजा व्यूषिताश्व और उनकी रानी भद्रा. वह चंद्र वंश के राजा शंखण के पुत्र थे. व्यूषिताश्व ने राजा कक्षीवत की पुत्री भद्रा से विवाह किया, जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थीं. रानी भद्रा (AI generated Image)
महाभारत में व्युषिताश्व को एक धर्मी राजा बताया गया है. कहा जाता है कि उसने एक महान बलिदान किया था, जिसमें इंद्र के नेतृत्व में सभी आकाशीय देवता आए थे. इस बलिदान के बाद व्युषिताश्व ने महान शक्ति प्राप्त की. उन्होंने अश्वमेध समारोह के माध्यम से सभी दिशाओं के राज्यों पर विजय प्राप्त की.
कहा जाता है कि उन्होंने अपना अधिकांश धन ब्राह्मणों को दान कर दिया था. उनका विवाह भद्रा से हुआ था, जिससे वह बहुत प्यार करते थे. रानी भद्रा को उस समय भारत की सबसे सुंदर स्त्री माना जाता था. उनके कोई संतान नहीं थी. क्षय रोग जिसे तब यक्ष्मा रोग कहा जाता था, उससे उनकी उसकी मृत्यु हो गई. भद्रा दुःख से ग्रस्त हो गई. उन्होंने अपने पति के साथ मरने का इरादा किया.
आकाशीय आवाज सुनकर रानी भद्रा ने क्या किया
तब आकाशीय आवाज ने उन्हें ऐसा करने से रोका और पखवाड़े के आठवें और चौदहवें दिन राजा के शरीर के साथ लेटने का संकेत दिया. उन्होंने वैसा ही किया, जैसा उनसे करने को कहा गया था. उस संभोग से भद्रा ने सात पुत्रों को जन्म दिया – तीन शात्व और चार मद्र.
जब रानी मृत शरीर से लिपट रोती रहीं तो क्या हुआ
पौराणिक विश्वकोश के अनुसार महाभारत आदि पर्व के अध्याय 120 में लिखा है, व्यूषिताश्व पुरु वंश के राजा थे, जो धर्मात्मा और न्यायप्रिय थे. उन्होंने कई यज्ञ किए. जब राजा की मृत्यु हुई तो भद्रा राजा के मृत शरीर को गले लगाकर बहुत देर तक रोती रहीं. तब व्यूषिताश्व की आत्मा, जो शरीर से बाहर थी, उसने भद्रा से कहा, “मेरी प्रिये. अपने मासिक धर्म के आठवें या चौदहवें दिन अपने बिस्तर पर मेरे साथ सो जाओ. मैं तुम्हें पुत्र दूंगा.” उसने राजा की इच्छा के अनुसार कार्य किया. मृत शरीर से सात पुत्र प्राप्त किए.
पांडु की बातों का असर कुंती पर क्या पड़ा
पांडु की बात सुनने के बाद कुंती ने तब कहा, महाराज, अगर आप अनुमति दें तो मैं किसी देवता या ब्राह्मण का मंत्रबल से आह्वान कर सकती हूं. इससे तुरंत पुत्र लाभ होगा. पांडु ने इसकी सहर्ष अनुमति दी. फिर इसके जरिए कुंती ने युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन जैसे पुत्र हासिल किए. जब उन्होंने ये तरीका पांडु के कहने पर दूसरी पत्नी माद्री को बताया तो उन्हें नकुल और सहदेव की प्राप्ति हुई.
साइंस क्या कहती है
एक अध्ययन के दौरान मिले साक्ष्यों को आधार मानते हुए वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह दावा किया कि ‘इंसान की मौत के 48 घंटे बाद तक उसके शुक्राणु (स्पर्म) गर्भधारण के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं और उससे स्वस्थ बच्चे पैदा हो सकते हैं’.
यह अध्ययन ‘जर्नल ऑफ़ मेडिकल एथिक्स’ में प्रकाशित हुआ है जिसमें दावा किया गया है कि ‘इंसान की मौत के बाद उसके शुक्राणुओं को स्पर्म बैंक में जमा भी किया जा सकता है’.
वैज्ञानिकों का कहना है कि मौत होने के 48 घंटे के भीतर दो तरीक़ों से शव के शुक्राणु निकाले जा सकते हैं जिनमें सर्जरी की मदद से शव के शुक्राणु निकालना शामिल है. बाद में इसे फ़्रिज में प्रिज़र्व करके रखा जा सकता है.
Tags: Mahabharat, OMG NewsFIRST PUBLISHED : May 26, 2024, 07:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed