कौन सा पांडव भाई था ज्योतिषी दुर्योधन को बताया कैसे होगा पांडवों का विनाश

Mahabharat Katha: पांडव भाइयों में सबसे छोटे सहदेव महान ज्योतिषी थे. ग्रह-नक्षत्र की चालें जुबानी उन्हें मालूम रहती थीं. वह लगातार पांडवों को जरूरी सलाह देते थे, जो उनके काफी काम भी आई.

कौन सा पांडव भाई था ज्योतिषी दुर्योधन को बताया कैसे होगा पांडवों का विनाश
हाइलाइट्स सहदेव को त्रिकालदर्शी ज्योतिष विद्वान माना जाता था यानि भूत, भविष्य और अतीत का जानकार उन्हें ज्योतिष सलाह देते थे लेकिन आसन्न विपदा की गंभीर भविष्यवाणियां करना मना था सहदेव के पास जब भी कोई ज्योतिष सलाह लेने आता था वो दोस्त-दुश्मन नहीं देखते थे पांडव भाइयों में सहदेव महान ज्योतिष विद्वान थे. वह अपनी इस विद्या के जरिए बहुत कुछ पहले से जान लेते थे. पांडवों को समय समय पर उन्होंने ज्योतिष सलाह देकर बचाया कुछ जगहों पर आगाह भी किया. जैसे उन्होंने पहले ही बता दिया था कि महाभारत जैसा युद्ध होगा. इसमें पांडवों के सभी बेटे मारे जाएंगे-ये चेतावनी भी उन्होंने दी थी. एक वाकया ये भी आता है कि पांडवों के सबसे बड़े दुश्मन दुर्योधन ने एक बार सहदेव से ऐसी ज्योतिषी सलाह ली कि खुद पांडव उससे खतरे में पड़ गए. फिर कृष्ण ने अपनी युक्ति से उसे संकट को टाला. पांडवों में सबसे छोटे सहदेव को महाभारत में एक महान ज्योतिषी के रूप में जाना जाता है. उनके पास गहन ज्ञान और दूरदर्शिता थी. माना जाता है कि उन्हें महाभारत युद्ध सहित महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में पहले से ही पता था. हालांकि उन्हें अपने ज्ञान के बारे में चुप रहने का श्राप भी था. जिसने उनकी भूमिका को सीमित कर दिया. कई बार उन्हें अपने परिजनों से जुड़े आसन्न विनाश का पता रहता था लेकिन वह अपने प्रियजनों को इस बारे में बता नहीं पाते थे. सहदेव अपने समय में ज्योतिष के सबसे बड़े प्रकांड विद्वान माने जाते थे. ग्रह-नक्षत्रों की चाल और भविष्य में होने वाली घटनाएं उन्हें मालूम रहती थीं. (image generated by Leonardo AI) उन्हें देवताओं के शिक्षक वृहस्पित से ज्यादा बुद्धिमान माना जाता था ज्योतिष में सहदेव की विशेषज्ञता ने उन्हें एक महत्वपूर्ण सलाहकार बना दिया. उन्हें देवताओं के दिव्य शिक्षक बृहस्पति से भी अधिक बुद्धिमान माना जाता था. वह तमाम लोगों को ज्योतिषीय परामर्श देने का काम करते थे. वह त्रिकाल ज्ञानी थे सहदेव को “त्रिकाल ज्ञानी” के रूप में जाना जाता था, जिसका अर्थ है कि उनके पास भूत, वर्तमान और भविष्य को जानने की शक्ति थी. उन्होंने भविष्यवाणी की कि अश्वत्थामा युद्ध के दौरान पांडवों के बेटों को मार देगा. भाइयों को हमेशा ज्योतिषीय सलाह देते थे ज्योतिष के अलावा, सहदेव चिकित्सा, राज्य कला और मार्शल आर्ट जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पारंगत थे. हालांकि बहुत ज्योतिषीय सलाह को लेकर वह अपने भाइयों के पूर्ण सलाहकार भी थे. महाभारत युद्ध से पहले पांडवों का सबसे बड़ा दुश्मन दुर्योधन खुद सहदेव से ज्योतिष सलाह लेने पहुंचा. उसने ऐसी सलाह मांगी, जो पांडवों के खिलाफ जाने वाली थी लेकिन सहदेव ने वो दुर्योधन को दी. (image generated by Leonardo AI) जब दुर्योधन उनसे सलाह लेने आया उनका ये सिद्धांत था कि जो भी उनके पास ज्योतिषीय सलाह के लिए आएगा, उसे वह सबकुछ सही सही ही बताएंगे, बेशक इसमें एक बार उनका और उनके भाइयों का बहुत बड़ा नुकसान होने वाला था. उन्होंने पांडवों के विनाश के बारे में महत्वपूर्ण अनुष्ठान की जानकारी उनके सबसे बड़े दुश्मन दुर्योधन को दे दी थी. तब उन्हें दुर्योधन को वो बताना पड़ा, जो पांडवों के खिलाफ जाने वाला था कुरुक्षेत्र युद्ध की शुरुआत जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ समय (मुहूर्त) निर्धारित करने के लिए दुर्योधन ने सहदेव से परामर्श किया था. अपनी ईमानदारी की वजह से उन्हें अपने दुश्मनों को भी ये जानकारी देनी पड़ी. इसके बाद भी दुर्योधन रुके नहीं बल्कि ये पूछ लिया कि आखिर पांडवों के खिलाफ कौन सा ऐसा अनुष्ठान किया जा सकता है, जिससे उन्हें महाभारत युद्ध में हर हाल में विजय मिल जाए. सहदेव को मालूम था कि ये सलाह पांडवों के खिलाफ जाएगी, उन्हें संकट में डाल देगी लेकिन तब भी उन्होंने अपने पेशेगत ईमानदारी के कारण दुर्योधन को ये बताया. सहदेव की सलाह पर अगर दुर्योधन अमावस्या में खास अनुष्ठान कर लेता तो वो अजेय हो जाता, तब भगवान कृष्ण ने इसकी काट की. (image generated by Leonardo AI) सहदेव ने दुर्योधन को अमावस्या पर यज्ञ करने को कहा उन्होंने दुर्योधन को अमावस्या के दिन यज्ञ करने की सलाह दी. अमावस्या को अक्सर ऐसे अनुष्ठानों के लिए एक आदर्श समय माना जाता है. जब ये बात कृष्ण को मालूम हुई तो वह चिंता में पड़ गए. इस संकट को कैसे टाला जाए, वह इसके बारे में सोचविचार करने लगे.और ये काम उन्हें दुर्योधन के यज्ञ से पहले ही करना था. कृष्ण ने कैसे इसकी काट की अचानक उन्हें एक युक्ति सूझी. उन्होंने घोषणा कर दी वह भी अमावस्या के एक दिन पहले अमावस्या से संबंधित वह बड़ा अनुष्ठान करेंगे, जिससे महाभारत में पांडवों की जीत सुनिश्चित हो सके. उन्होंने यज्ञ की पूरी तैयारी कर दी. वह इसको शुरू ही करने वाले थे कि सूर्य और चंद्रमा दोनों हाथ जोड़कर उनके सामने उपस्थित हो गए. उन्होंने कृष्ण से याचना की कि प्रभु आप अमावस्या का यज्ञ उससे एक दिन पहले कैसे कर सकते हैं. ये तो हो ही नहीं सकता. इसे नहीं करें. कृष्ण मुस्कराए. बोले जब सूर्य और चंद्रमा एक सीध में एक साथ हो जाएं तभी अमावस्या का मुहूर्त हो जाता है. इस समय आप दोनों एक साथ और एक सीध में एक जगह पर हैं, तो ये अमावस्या जैसा मुहूर्त ही है. मुझे मालूम था कि मेरे ऐसा करने पर आप दोनों एकसाथ मेरे पास ये पूछने जरूर आएंगे. सूर्य और चंद्र को भी मानना पड़ा कि कृष्ण का तर्क एकदम सही है. और उनका यज्ञ अब फलदायी होगा. कृष्ण ने यज्ञ किया. जिससे उन्होंने महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत तय कर दिया. दुर्योधन अब कुछ नहीं कर सकता था, उसकी साजिश फेल हो चुकी थी. वह ज्योतिषीय गणनाओं में महारथी थे सहदेव के बारे में कहा जाता है कि वह विरोधियों की ताकत और कमजोरियों का विश्लेषण कर सकता थे, जिससे भीष्म और द्रोण जैसे दुर्जेय विरोधियों के खिलाफ रणनीति बनाने में मदद मिली. वह पांडवों को सामान्य ज्योतिषीय गणनाएं लगातार करके बताते रहते थे. उनका ज्योतिषीय ज्ञान ताजिंदगी पांडवों के लिए वरदान का काम करता रहा. तब भी युधिष्ठिर को आगाह किया था जब शकुनि पासे के खेल में युधिष्ठिर को फंसाने की साजिश रच रहा था तब भी सहदेव ने बड़े भाई को इसमें हिस्सा नहीं लेने की सलाह दी थी. लेकिन तब युधिष्ठिर ने इसे नहीं माना था. सहदेव का ज्योतिषीय ज्ञान अक्सर नैतिक विचारों से जुड़ा होता था, जो पांडवों को युद्ध में भी सही तरीके से काम करने के बारे में बताता था. महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों की रणनीतियों और निर्णयों को सहदेव के ज्योतिषीय परामर्श ने बहुत लाभ दिया. Tags: MahabharatFIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 14:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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