युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग जा पाए बाकि पांडव क्यों रास्ते में गिरकर मरते रहे
युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग जा पाए बाकि पांडव क्यों रास्ते में गिरकर मरते रहे
Mahabharat Katha : जब युधिष्ठिर की अगुवाई में पांडवों ने ये तय किया वो अब राजपाट छोड़कर संन्यास लेते हुए हिमालय पर्वत से स्वर्गारोहण करेंगे तो वो रास्ते में एक एक करके गिरते रहे.
हाइलाइट्स सबसे पहले द्रौपदी गिरीं तो युधिष्ठिर ने क्या वजह बताई फिर सहदेव और नकुल ने गिरकर प्राण छोड़े आखिर में युधिष्ठिर को सशरीर स्वर्ग जाने में क्या अड़चन आई
युधिष्ठिर ने एक दिन हस्तिनापुर में तय किया कि अब राजपाट छोड़कर हिमालय होते हुए स्वर्गारोहण करेंगे तो रास्ते में जब चढ़ाई शुरू हुई तो पांडवों ने ये सोचा कि वो सभी शरीर के साथ स्वर्ग पहुंचेंगे लेकिन ऐसा हुआ. हर पांडव के हिस्से में कुछ ऐसे पाप थे, जिससे वो रास्ते में गिरकर मरते रहे. केवल युधिष्ठिर ही बचे रहे. आखिर ऐसी क्या बात थी कि वो बचे रहे और उनके सभी भाई और पत्नी द्रौपदी को प्राण गंवाना पड़ा.
तो उस दिन पांडवों ने अपने जीवन की वो चढ़ाई शुरू की, जिसे उन्होंने बहुत आसान मान रखा था लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं बल्कि उनके सारे घमंड इसी रास्ते में टूटे. तब युधिष्ठिर ही उन्हें बताते रहे कि आखिर उन्होंने कौन सा पाप किया, जो लड़खड़ाकर गिरे और प्राण छोड़ दिए.
द्रौपदी लड़खड़ाईं और गिर पड़ीं
सभी कुछ ठीक चल रहा था. द्रौपदी और सारे पांडव बात करते हुए स्वर्गारोहण के लिए चढ़ाई चढ़ रहे थे. तब अचानक द्रौपदी लड़खड़ाईं और जमीन पर गिर गईं. सभी चकित रह गए कि ये क्या हो गया. तब भीम ने युधिष्ठिर से पूछा कि जब आखिर द्रौपदी ने ऐसा क्या पाप किया, जो वह गिरीं और उनके प्राण छूट गए
तब युधिष्ठिर बोले, वह अर्जुन को लेकर विशेष पक्षपाती थीं, इसलिए उसने उसी का फल भुगता है. जब सहदेव के गिरकर प्राण देने के बाद चार पांडव ही बचे रह गए. (image generated by leonardo ai)
सहदेव के पाप के बारे में युधिष्ठिर ने क्या बताया
सभी आगे बढ़ गए. कुछ देर बाद सहदेव गिर पड़े. तब भीम ने कहा, माद्रीपुत्र सहदेव के अंदर तो ना किसी तरह का घमंड और ना उसने कभी हम लोगों की सेवा में कोई कोताही की तो फिर वो गिर गया. युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि सहदेव का पाप ये था कि वो सोचते थे कि उनसे अधिक बुद्धिमान और कोई नहीं.
तीसरे नंबर पर रास्ते में नकुल गिरे
उसके बाद नकुल गिरे. भीम ने फिर सवाल किया कि हमारा ये भाई तो कभी धर्म से अलग नहीं हुआ. हमेशा हमारी आज्ञा का पालन किया, फिर वो क्यों गिरे. अब युधिष्ठिर ने जवाब दिया, नकुल सोचते थे कि उन जैसा रूपवान कोई नहीं. इसी वजह से नकुल को अपने कर्मों का फल मिला है.
फिर अर्जुन ने भी प्राण छोड़ा
सभी बचे पांडव शोकाकुल थे. सभी को लग रहा था कि पता नहीं कब किसका नंबर आ जाए. अब तो केवल युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम ही बचे थे. कुछ देर जाने पर अर्जुन गिरे और प्राण छोड़ दिया. अब दुखी भीम ने पूछा – भाई युधिष्ठिर अब ऐसा क्यों हो गया. अर्जुन ने तो कभी झूठ नहीं बोला, फिर ये दशा क्यों हुई. युधिष्ठिर बोले, अर्जुन हमेशा घमंड किया करते थे कि एक ही दिन में सभी शत्रुओं का नाश कर देंगे, परंतु कभी ऐसा कर नहीं सके. घमंड ही उनका पाप था. इसके साथ साथ वह दूसरे धनुर्धरों का अनादर भी करते थे. ऐसा कहकर युधिष्ठिर आगे बढ़ गए. पहले सहदेव लड़खड़ाकर गिरे. फिर नकुल का नंबर आया. अब तीन पांडव भाई ही रास्ते में बच रह गए. (image generated by leonardo)
आखिर में भीम गिरे
अब भीम भी जमीन पर गिर पड़े. गिरते गिरते बड़े भाई से पूछा, महाराज मैं भी गर पड़ा हूं. मैं हमेशा आपका प्रिय रहा. आखिर मेरी ये हालत क्यों हो गई. युधिष्ठिर बोले, तुम बहुत अधिक भोजन किया करते थे. हमेशा अपनी ताकत पर कुछ ज्यादा ही घमंड करते थे. अब युधिष्ठिर के साथ उनका कुत्ता ही बचा रह गया.
अब इंद्र को रथ लेकर युधिष्ठिर को स्वर्ग ले जाने पहुंचे
तभी इंद्र वहां स्वर्ग से रथ के साथ पहुंचे. युधिष्ठिर से बोले, तुम मेरे रथ पर आ जाओ और सशरीर स्वर्ग पर चलो. तब दुखी युधिष्ठिर ने कहा, इंद्र मेरे सारे भाई और पत्नी मरकर यहां पड़े हुए हैं. मैं इनको छोड़कर कैसे जा सकता हूं. तब इंद्र ने कहा, ये लोग देह छोड़कर पहले ही स्वर्ग पहुंच चुके हैं. इसलिए धर्मराज आप मेरे साथ चलिए.
क्यों युधिष्ठिर इंद्र की शर्त पर अड़ गए
तब भी वह तैयार नहीं हुए. उन्होंने कहा, युधिष्ठिर बोले, यह कुत्ता मेरा भक्त है. मैं इसे भी अपने साथ ले जाना चाहता हूं, नहीं तो ये मेरी निर्दयता होगी.
तब इंद्र को युधिष्ठिर की बात माननी पड़ी
इंद्र ने फिर युधिष्ठिर को समझाने की कोशिश की कि कुत्ते को छोड़ दें लेकिन युधिष्ठिर नहीं माने. तब आखिरकार इंद्र को मानना पड़ा. और तभी कुत्ते की जगह भगवान धर्म प्रगट हो गए और युधिष्ठिर की तारीफ करते हुए बोले तुमने जिस तरह भक्त कुत्ते के लिए दया दिखाई. उससे तुमने साबित कर दिया कि तुम हर तरह से श्रेष्ठ हो और सशरीर स्वर्ग में पहुंचोगे. तब इंद्र उन्हें अपने रथ पर बिठाकर स्वर्ग ले गए. जहां पांडव पहले से मौजूद थे.
Tags: MahabharatFIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 09:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed