राजा खाना खाते समय इस चिड़िया को रखते थे साथ माना जाता है प्रेम का प्रतीक

National Bird Of Pakistan: चकोर कवियों और लेखकों का पसंदीदा पक्षी है. माना जाता है कि चकोर पक्षी चांद को चाहता है, लेकिन उस तक नहीं पहुंच पाता है, इसलिए अपने प्यार को पाने की उम्मीद में वो हर समय इंतजार करता है. पाकिस्‍तान ने इसे यहां राष्‍ट्रीय पक्षी का दर्जा भी दिया है.

राजा खाना खाते समय इस चिड़िया को रखते थे साथ माना जाता है प्रेम का प्रतीक
National Bird Of Pakistan: चकोर और चंद्रमा के रिश्तों ने कई लोक प्रेम कहानियों को जन्म दिया है. माना जाता है कि चकोर पक्षी चांद को चाहता है, लेकिन उस तक नहीं पहुंच पाता है, इसलिए अपने प्यार को पाने की उम्मीद में वो हर समय इंतजार करता है. इसीलिए उसके बारे में कवियों, शायरों और गीतकारों ने भी खूब लिखा है. जब भी किसी प्रेमी की अपनी प्रेमिका के प्रति प्यार की पराकाष्‍ठा को दर्शाना होता है तो कवियों ने चांद और चकोर को प्रतीक के तौर पर इस्‍तेमाल किया है. इसमें चांद को प्रेमिका और चकोर को प्रेमी के तौर पर दिखाया जाता रहा है. इसके बारे में तो ये भी कहा जाता है कि चकोर चंद्रमा को इस हद तक प्यार करता है कि उसके लिए रोता भी है. लेकिन चकोर केवल कवियों की कल्‍पनाओं का ही विषय नहीं रहा है, बल्कि ये पाकिस्‍तान का राष्‍ट्रीय पक्षी भी है. पाकिस्तान में भी चकोर पक्षी को प्रेम का प्रतीक माना जाता है. ये भारत और पाकिस्‍तान के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला खूबसूरत पक्षी है. ये 4,000 से 13,000 फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में पाए जाते हैं. चकोर पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांतों में रहते हैं. उनकी रिहाइश की सीमा पूर्व में चीन और पश्चिम में तुर्की और ग्रीस तक फैली हुई है. चकोर अमेरिका में भी पाए जाते हैं. इसके अलावा ये पक्षी कनाडा के पश्चिमी राज्यों में भी मिल जाता है. ये भी पढ़ें- डोनाल्ड ट्रंप के प्राइवेट प्लेन में सोने की सजावट, हर सामान में झलकती है शाही शानो-शौकत तीतर जैसे दिखते हैं चकोर चकोर दिखने और प्रकृति में तीतर जैसा पक्षी है. चकोर मयूर कुल का पक्षी है. पालतू चकोर तीतर की ही तरह अपने मालिक के पीछे-पीछे चलता है. इसके बच्चे अंडे से बाहर आते ही भागना शुरू कर देते हैं. चकोर के पंखों पर काले और सफेद धारीदार निशान होते हैं. इसकी चोंच चमकदार लाल होती है और आंखों के चारों ओर लाल छल्ला होता है. एक काली पट्टी उनके चेहरे से लेकर छाती तक जाती है. वैसे तो चकोर उड़ सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये दौड़ते हैं और काफी फुर्तीले होते हैं. ये पहाड़ी इलाके में आसानी से उड़ने में सक्षम होते हैं. वे झाड़ियों और घास के मैदान वाले पहाड़ी इलाकों को पसंद करते हैं. इन्‍हें इतना चालाक पक्षी माना जाता रहा है कि शिकारियों ने इसे ‘शैतान पक्षी’ उपनाम भी दिया है. दरअसल, ये नाम इन्‍हें बहुत तेज दौड़ने और मारने में मुश्किल होने के कारण दिया गया है. ये भी पढ़ें- Explainer: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय क्यों है अल्पसंख्यक संस्थान, किस वजह से मिला ये दर्जा पाकिस्तान ने बनाया राष्ट्रीय पक्षी चकोर हिंदू पौराणिक कथाओं में एक पौराणिक तीतर था, जिसके बारे में माना जाता था कि वह चंद्रमा की किरणों में रहता था और सौभाग्य का प्रतीक था. प्रेम का प्रतीक होने की वजह से चकोर को चंद्रमा के प्रति प्रेम के प्रतीक के तौर पर चांद को निहारते हुए चित्रित किया जाता है. चांद पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में है. वहीं, इस्‍लाम में चांद की खासी अहमियत है. लिहाजा, चकोर के चांद के प्रति प्रेम को देखते हुए इसे पाकिस्‍तान का राष्‍ट्रीय पक्षी मान लिया गया. हालांकि, इसे पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रीय ध्‍वज या मुद्रा में कहीं स्‍थान नहीं दिया गया है. ये भी पढ़ें- डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को फिदेल कास्त्रो की नाजायज औलाद कहा राजा खाना खाते समय रखते थे पास चकोर पक्षी के बारे में कहा जाता है कि कई हिंदू राजा भोजन करते समय इसे अपने पास ही रखते थे. दरअसल, इस पक्षी का एक नाम विषदर्शनमृत्युक भी है. माना जाता है कि अगर खाने की किसी सामग्री में जहर मिला होता है तो उसे देखते ही चकोर पक्षी की आँखें लाल हो जाती हैं और वह मर जाता है. लिहाजा, खाने-पीने की सामग्री की परीक्षा के लिए हिंदू राजा चकोर पालते थे. खासतौर पर भोजन के समय इसे अपने पास ही रखते थे.  ये भी पढ़ें- इंसानों की तरह KISS करते हैं ये जानवर, देखकर शर्म से हो जाएंगे पानी-पानी माना जाता है प्रेम का प्रतीक चकोर कवियों और लेखकों का पसंदीदा पक्षी है. कवियों की कल्पना ही है कि ये पूरी रात चांद को ताकता है. यही नहीं, ये पक्षी अंगारों को चंद्रमा के टुकड़े समझकर चुगता रहता है. कवि की काल्पनाओं के हिसाब से चकोर चंद्रमा की किरणों को पीकर जीवित रहता है. इसीलिये इसे ‘चंद्रिकाजीवन’ और ‘चंद्रिकापायी’ भी कहते हैं. इसी आधार पर कवियों ने उसे अनन्य प्रेम और निष्ठा के उदाहरण के तौर पर पेश किया है. हालांकि, इस कल्‍पना में वास्तविकता केवल इतनी है कि चकोर कीटभक्षी पक्षी है और ये जुगनू जैसे रात में चमकने वाले कीट-पतंगों को खाता है. लेकिन, चकोर ना तो आग के टुकड़े यानी अंगारे खाता है और ना ही पूरी-पूरी रात चंद्रमा को ताकता रहता है. Tags: Bird Expert, Hindi poetry, India pakistan, Rare BirdFIRST PUBLISHED : November 8, 2024, 18:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed