डॉ अंबेडकर ने कहा था आजादी सुभाष और उनकी आजाद हिंद फौज की वजह से मिली
डॉ अंबेडकर ने कहा था आजादी सुभाष और उनकी आजाद हिंद फौज की वजह से मिली
अक्सर ये पूछा जाता है कि एक ही समय काल में होने के बाद भी नेता्जी सुभाष चंद्र बोस और डॉ. भीमराव अंबेडकर की मुलाकात के बारे में क्यों कुछ ज्यादा पता नहीं लगता. दोनों बड़े नेता थे. एक दूसरे को बखूबी जानते थे. एक दूसरे का सम्मान भी करते थे. दोनों दिग्गज नेताओं के बीच एक मुलाकात तो हुई थी, वो कैसी थी
हाइलाइट्सएक दूसरे के प्रशंसक थे नेताजी सुभाष और डॉ. अंबेडकर दोनों ने अपना समय पढ़ाई के लिए लंदन में बिताया थाक्या हुआ था जब दोनों पहली बार मिले थे
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक ही समयकाल के दो दिग्गज नेता थे. दोनों की गजब की स्वीकार्यता थी. दोनों ने अपनी पढ़ाई लंदन में भी की थी. दोनों को ही आजादी से पहले के भारत में अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा था. दोनों दूरदर्शी थे. दोनों एक दूसरे के प्रशंसक भी थे. अक्सर पूछा जाता है कि क्या ये दो दिग्गज नेता कभी आपस में मिले भी थे.
आजादी की लड़ाई के दौरान दोनों के लक्ष्य अलग थे. मुद्दे अलग. सुभाष की मुलाकात अंबेडकर से सिर्फ एक बार 1940 में मुंबई में हुई. तब सुभाष यूरोप से लौटे थे. 22 जुलाई 1940 को इन दो बड़े नेताओं की मुलाकात हुई.
दोनों के बीच फेडरेशन को लेकर बहुत सी बातें हुईं. इसी दौरान अंबेडकर ने बोस से अनुसूचित जातियों को लेकर एक सवाल पूछा, जिसका जवाब उन्हें बहुत संतुष्टदायक नहीं लगा.
डॉ अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) और सुभाष चंद्र बोस की मुलाकात 22 जुलाई 1940 को मुंबई में हई. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
जातियों को लेकर क्या थे सुभाष के विचार
वैसे हमें देखना चाहिए कि जातियों को लेकर सुभाष के विचार क्या थे. उन्होंने एक भाषण में इस बारे में क्या कहा था. ये उनका चर्चित भाषण था. भाषण का विषय था भारत की मूलभूत समस्याएं. इसे उन्होंने टोक्यो विश्वविद्यालय में टीचर्स और स्टूडेंट्स के सामने नवंबर 1944 में दिया था.
जातियों के संबंध में नेताजी के भाषण के अंश-
जहां तक जाति का सवाल है, हमारे लिए ये आज कोई समस्या नहीं है, क्योंकि प्राचीन काल में जिस तरह की जाति थी, वो आज नहीं है. अब जाति, व्यवस्था का क्या अर्थ है. जाति व्यवस्था का अर्थ है कि समाज पेशागत आधार पर कुछ समूहों में बंटा है और शादियां उन समूहों के अंदर होती हैं.
आधुनिक काल में भारत में जाति के आधार पर किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं है. किसी भी जाति का व्यक्ति कोई भी पेशा अपनाने को आजाद है. तो इस अर्थ में आज हमारे यहां जाति व्यवस्था नहीं है. फिर सवाल विवाह का रह जाता है. पुराने समय में ये प्रथा थी कि लोग अपनी जाति में विवाह करते थे. आज अंतरजातीय विवाह आम है. जाति का तेजी से लोप हो रहा है. सच्चाई तो ये है कि राष्ट्रीय आंदोलन में हम किसी व्यक्ति की जाति कभी नहीं पूछते और अपने कुछ निकटतम सहयोगियों की तो जाति भी नहीं जानते.
सुभाष चंद्र बोस ने टोक्यो विश्वविद्यालय में जातियों के संबंध में एक भाषण दिया था. जो उनके प्रसिद्ध भाषणों में शामिल है. इसे सुना जाना चाहिए. (फाइल फोटो)
इस संदर्भ में मैं आपको बताना चाहूंगा कि ये अंग्रेज ही थे, जिन्होंने सारी दुनिया में प्रचारित किया कि हम लोग आपस में लड़ने वाले लोग हैं. विशेषकर धर्म को लेकर लड़ने वाले लोग लेकिन ये भारत की बिल्कुल ही गलत तस्वीर है. ये हो सकता है कि भारत में कुछ मतभेद हों लेकिन ऐसे मतभेद आज किसी भी दूसरे देश में पाएंगे.
(नेताजी संपूर्ण वांग्मय, खंड 12, पेज 284)
सुभाष के प्रशंसक भी थे अंबेडकर
वैसे ऐसा लगता है कि अंबेडकर खुद सुभाष के प्रशंसक थे. उन्होंने ‘बीबीसी’ के फ्रांसिस वॉटसन को फरवरी 1955 में एक साक्षात्कार दिया. जिसमें उन्होंने साफ कहा कि भारत को आजादी शायद सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज और उपजे व्यापक असर की वजह से मिली.
किस बात से डर गए थे अंग्रेज
फ्रांसिस वॉटसन से इस साक्षात्कार में बाबा साहब अंबेडकर ने कहा, ‘अंग्रेज मान कर चल रहे थे कि ब्रिटिश फौज में शामिल हिंदुस्तानी कभी भी उनके प्रति अपनी वफादारी नहीं बदलेंगे. यह अलग बात है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आईएनए के पराक्रम के किस्से सुनने के बाद ब्रिटिश फौज में शामिल भारतीय सैनिकों के मन में भी विद्रोह के स्वर फूटने लगे थे. इसके अलावा आईएनए के 40 हजार सैनिकों के भारत आने की खबर ने भी अंग्रेजों को महसूस करा दिया कि इस देश में अब उनका राज करना मुश्किल है. ये देश बदलने लगा है.’
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: Ambedkar, Dr. Bhim Rao Ambedkar, Netaji subhas chandra bose, Netaji Subhash Chandra Bose, Subhash Chandra BoseFIRST PUBLISHED : August 18, 2022, 13:51 IST