Opinion: बीजेपी का नया संसदीय बोर्ड संगठन की मजबूती और पार्टी के विस्तार को दर्शाता है
Opinion: बीजेपी का नया संसदीय बोर्ड संगठन की मजबूती और पार्टी के विस्तार को दर्शाता है
बीजेपी की 11 सदस्यीय इस सर्वोच्च संस्था मे जो नए नाम जुड़े उसमें साफ हो गया कि पार्टी आलाकमान अब पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए देश के हर कोने से उन नेताओं को जोड़ा है जिन्होंने बीजेपी को नींव से खड़ा करने के लिए एक एक ईंट रखी है
नई दिल्ली. एक लंबे इंतजार के बाद बीजेपी संसदीय बोर्ड का गठन हुआ. अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार के निधन, वेंकाया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने, थावर चंद गहलोत बने गवर्नर, राम लाल संगठन महासचिव के पद से हटने के बाद से ही संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन का इंतजार था. संगठन महासचिव होने के नाते बीएल संतोष ने राम लाल की जगह मोर्चा संभाल लिया था. लेकिन जब बीजेपी की सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था का पुनर्गठन हुआ तो एक दो झटके लगे तो जरूर लेकिन देश के हर क्षेत्र और समाज के हर तबके से बीजेपी के नेताओं को संसदीय बोर्ड और केन्द्रीय चुनाव समिति में जगह मिली.
पुराने संसदीय बोर्ड के सिर्फ पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय मंत्री और पूर्व अध्यक्ष नीतिन गडकरी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ही बोर्ड में थे और अरसे से सारे फैसले ले रहे थे. 2014 में अमित शाह अध्यक्ष बने तो आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सरीखे नेताओं को भी संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया गया था. बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पार्टी की केन्द्रीय ससदीय बोर्ड का गठन किया तो एक दो बड़े नामों का गायब होना जरूर चौंकाने वाला था. खासकर केन्द्रीय मंत्री नीतिन गडकरी का और दूसरा शिवराज सिंह चौहान का. अध्यक्ष बनने के बाद राजनाथ सिंह ने भी जब संसदीय बोर्ड का गठन किया था तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को उससे बाहर किया गया था. इसलिए बड़े नेता होना या फिर मुख्यमंत्री होना संसदीय बोर्ड में स्थान सुरक्षित नहीं करता है. अब ध्यान इस बात का रखा जा रहा है कि पार्टी के लिए उनके योगदान और उनके शामिल होने से पार्टी के विस्तार में कितनी मदद मिल रही है.
देश की विविधता में बीजेपी कितनी तेजी से अपना दायरा बढ़ा रही है, आलाकमान पार्टी के उसी विस्तार को इस संसदीय बोर्ड के गठन के माध्यम से दर्शाया है. नए सदस्य सर्वानंद सोनोवाल पूर्वोत्तर से आते हैं, तो बीएस येदियुरप्पा और एल लक्ष्मण दक्षिण भारत से आते हैं. जबकि इकबाल सिंह लालपुरा सिख समुदाय से आते हैं. हरियाणा की सुधा यादव अपने दम पर बीजेपी और देश में पहचान बनाने वाली राजनेता हैं जिनके पति कार्गिल युद्ध में शहीद हुए थे. उनका संसदीय बोर्ड में शामिल होना साबित कर रहा है कि महिलाओं और सेना के परिवार वालों को पार्टी कितना सर्वोच्च सम्मान देती है.
बीजेपी की 11 सदस्यीय इस सर्वोच्च संस्था मे जो नए नाम जुड़े उसमें साफ हो गया कि पार्टी आलाकमान अब पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए देश के हर कोने से उन नेताओं को जोड़ा है जिन्होंने बीजेपी को नींव से खड़ा करने के लिए एक एक ईंट रखी है. संसदीय बोर्ड के नए सदस्यों में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदीयुरप्पा, असम से चुना कर आने वाले केन्द्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, तमिलनाडू से के लक्ष्मण, सिख समुदाय से इकबाल सिंह लालपुरा, हरियाणा से सुधा यादव, मध्य प्रदेश के दलित नेता सत्यनारायण जटिया शामिल हैं. इन चेहरों का सर्वोच्च नीति निर्धारक समिति में शामिल होना ये साबित कर रहा है कि बीजेपी आलाकमान अपने पुराने कार्यकर्ताओं को किस तरह से पुरस्कृत करता है और साथ ही उनके अनुभव को कितना महत्व भी देता है. सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा, सत्यनारायण जटिया, के लक्ष्मण जैसे नेताओं ने अपनी पूरी जिंदगी पार्टी के नाम कर दी. उनका संसदीय बोर्ड में आना ही जताता है कि बीजेपी उनके अनुभव को कितना महत्व देती है.
आम तौर पर दिल्ली में मौजुद बड़े नेता, पूर्व अध्यक्ष ही बीजेपी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था संसदीय बोर्ड के सदस्य बनते थे. लेकिन इस बार दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर को प्राथमिकता मिली है. नयी केन्द्रीय चुनाव समिति में भी संसदीय बोर्ड के 11 सदस्यों के अलावा केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान से आने वाले ओंम माथुर को जगह मिली है तो वनथी श्रीनिवास को महिला मोर्चा की अध्यक्ष होने के नाते चुनाव समिति मे रखा गया है. संदेश साफ है कि जो पार्टी के लिए जी जान से काम कर रहे हैं उन्हे पार्टी के सर्वोच्च संस्थाओं में शामिल किया गया है.
पीएम मोदी ने संकेत दिया था कि अब 2024 के लिए भी नयी और मजबूत टीम खड़ी करनी है. इस दिशा में पहला कदम संगठन में उठाया गया है. आने वाले दिनों में संभावना है कि मंत्रीमंडल में फेरबदल और नये राज्पालों की नियुक्ति के साथ साथ राज्यों में भी संगठन को दुरुस्त किया जाए.
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Tags: BJP, PM ModiFIRST PUBLISHED : August 18, 2022, 13:47 IST