रेप केस कितने दिन में पहुंचता है कोर्ट तक उसके बाद लगता है कितना समय 

How many days does it take for a rape case to be resolved? : ज्यादातर रेप सामने नहीं आते, क्योंकि समाज में बदनामी के डर से दर्ज ही नहीं करवाए जाते हैं. अगर केस दर्ज भी करवा दिया जाए तो इसमें लगने वाला समय और इसकी पूरी प्रक्रिया पीड़िता के लिए बेहद कष्टकारी होता है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि रेप का मुकदमा कोर्ट तक पहुंचने में कितने दिन का समय लगता है. और अगर वो कोर्ट पहुंच गया तो फिर उसके बाद फैसला आने में कितना समय लगता है? 

रेप केस कितने दिन में पहुंचता है कोर्ट तक उसके बाद लगता है कितना समय 
How many days does it take for a rape case to be resolved? : कोलकाता के आरजी कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. इस बीच नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्‍यूरो (NCRB) की ओर से जारी किए गए आंकड़े भी डराने वाले हैं. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बनाए गए कड़े कानूनों के बावजूद उनके खिलाफ अपराधों में कोई कमी नहीं आ रही है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश में हर एक घंटे में तीन महिलाओं के साथ रेप की वारदात होती है. विडंबना यह है कि 100 में से केवल 27 आरोपियों को ही सजा मिलती है.  डरावने हैं एनसीआरबी के आंकड़े देश की राजधानी दिल्ली में 2012 में निर्भया जैसे दिल-दहलाने वाले रेपकांड के बाद कानूनों को और सख्त बना दिया गया. लेकिन उसके बाद भी हालात और ज्‍यादा खराब होते चले गए. एनसीआरबी के अनुसार एक दिन में करीब 87 और हर एक घंटे में 3-4 युवतियां या बच्चियां रेप की शिकार हो रही हैं. 2012 में निर्भया रेप केस से पहले रेप के लगभग 25 हजार मामले हर साल दर्ज किए जाते थे. मगर 2013 के बाद से इन केसों की तादाद बढ़नी शुरू हो गई. वहीं, 2016 में 39 हजार से ज्यादा रेप के मामले दर्ज किए गए. हालिया आंकड़ों की बात करें तो 2022 में देशभर में 31,516 रेप के केस दर्ज हुए थे.  ये भी पढ़ें- Explainer: क्या कहते हैं जर्मनी के चुनाव, क्यों वहां 11 साल पुरानी धुर दक्षिणपंथी पार्टी को पसंद कर रहे लोग दर्ज नहीं होते ज्यादातर केस हालांकि यह वो आंकड़े हैं जो कागजों में दर्ज हैं. ज्यादातर रेप केस समाज में बदनामी के डर से दर्ज ही नहीं करवाए जाते हैं. अगर केस दर्ज भी करवा दिया जाए तो इसमें लगने वाला समय और इसकी पूरी प्रक्रिया पीड़िता के लिए बेहद कष्टकारी होता है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि रेप का मुकदमा कोर्ट तक पहुंचने में कितने दिन का समय लगता है. और अगर वो कोर्ट पहुंच गया तो फिर उसके बाद फैसला आने में कितने दिन का समय लगता है?  निर्भया सामूहिक दुष्‍कर्म कांड के बाद देश में महिलाओं और बच्‍चों के साथ रेप के मामले बढ़े हैं. FIR दर्ज करना है पहला कदम एक लीगल वेबसाइट सेफ्टी.कॉम के मुताबिक अगर कोई रेप केस घटित होता है तो सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम निकटतम पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करना है. महिला संबंधी अपराधों जैसे यौन उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न या रेप के मामलों में एफआईआर दर्ज करते समय यह अनिवार्य है कि ऐसी जानकारी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज की जाए. एफआईआर दर्ज होने पर पुलिस जांच करती है और मामले को संबंधित अदालत में भेजती है. नियमानुसार घटना के 24 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए. ये भी पढ़ें- जय शाह की ICC चेयरमैन के तौर पर कितनी होगी सैलरी? BCCI से मिलते हैं एक दिन में इतने पैसे फिर तैयार होता है चालान रेप का मामला दर्ज करने और एफआईआर दर्ज करने के बाद, इसकी सामग्री को नहीं बदला जा सकता है. केवल हाई कोर्ट ही एफआईआर को खारिज कर सकता है. एफआईआर दर्ज होने के बाद अगर केस आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं तो चालान तैयार किया जाता है. पर्याप्त सबूत न होने पर एफआईआर को अनट्रेसेबल घोषित कर दिया जाता है. अगर एफआईआर झूठी पाई गई तो उसे पूरी तरह रद्द भी किया जा सकता है. एफआईआर झूठी है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए गहन जांच की जरूरत है. जांच पड़ताल करना जरूरी रेप का मामला दर्ज करने और एफआईआर दर्ज करने के बाद कोई भी साक्ष्य जो पीड़ित, गवाहों और अपराधियों को अपराध के समय और स्थान पर बता सकता है, मामले के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और एकत्र किया जाता है. इसके अलावा, जो कुछ हुआ उसके बारे में पीड़िता के बयान का समर्थन करने वाले किसी भी फॉरेंसिक या भौतिक साक्ष्य के लिए अपराध स्थल की जांच की जाती है. एक बार जब पुलिस आरोपियों की पहचान कर लेती है और उनके ठिकाने और पहचान से अवगत हो जाती है, तो वे गिरफ्तारी कर सकती है. ये भी पढ़ें- वो 7 एनिमल जिनको पसंद है कोबरा मार कर खाना, माने जाते हैं कुदरत के अव्वल शिकारी 120 दिन के अंदर आरोपपत्र एक बार जांच पूरी हो जाने के बाद, यदि यह उचित सबूत के साथ वास्तविक मामला पाया जाता है, तो आरोप पत्र दायर किया जाता है. पुलिस सत्र न्यायालय को जांच का एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है, जिसमें एफआईआर और सबूतों सहित एकत्र की गई सभी जानकारी शामिल होती है. आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया जाता है, और फिर मामले की सुनवाई होती है.  आरोप पत्र पुलिस द्वारा दायर की गई एक रिपोर्ट है जो मजिस्ट्रेट को बताती है कि अपराध की जांच के लिए अदालत के लिए पर्याप्त सबूत एकत्र किए गए हैं. इसे FIR दर्ज करने के लगभग 90 से 120 दिन के अंदर दाखिल करना होता है. क्राइम रिकॉर्ड्स ब्‍यूरो की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले उस साल देश में रेप के कुल 31516 मामले रजिस्‍टर किए गए. 2-3 माह लगते हैं प्री-ट्रायल चरण में एफआईआर दर्ज होने और मेडिकल जांच के बाद बयान दर्ज किया जाता है. पीड़िता को मजिस्ट्रेट के सामने अपनी गवाही (औपचारिक बयान) दर्ज करानी होती है. यह भी प्री-ट्रायल चरण का हिस्सा है. आपराधिक मामलों में, सरकारी वकील (राज्य द्वारा नियुक्त वकील) पीड़िता की ओर से मामले पर बहस करता है. पीड़िता के पास स्वतंत्र रूप से वकील नियुक्त करने का विकल्प भी है. प्री-ट्रायल चरण को पूरा होने में लगभग 2-3 महीने लगते हैं. अगले 2 महीने में पूरी करनी होती है प्रक्रिया फिर मामले को तथ्यों के न्यायिक निर्धारण के लिए सबूतों, गवाहों और तर्कों की प्रस्तुति के लिए अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया जाता है.क्या अपराध बनता है, मुकदमे के भाग के रूप में अन्य गवाहों के साथ पीड़िता की जांच और जिरह किए जाने की संभावना है. एक बार जब मामला अदालत में चला जाता है, तो पीड़ित एक वकील नियुक्त कर सकता है. दोनों पक्ष अपनी दलीलें रखते हैं. जिसके दौरान पीडित, गवाहों और आरोपियों से पूछताछ की जाती है. रेप के मामले की सुनवाई अदालत में दैनिक आधार पर की जाती है. आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख से दो महीने के भीतर अदालत तो प्रक्रिया पूरी करनी होती है. Tags: Child sexual harassment, Crime Against woman, Fast Track Court, Rape Case, Sexual HarassmentFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 16:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed