Explainer: चीन बना रहा कौन सा मदर ऑफ ऑल डैम जो रोकेगा ब्रह्मपुत्र का पानी
Explainer: चीन बना रहा कौन सा मदर ऑफ ऑल डैम जो रोकेगा ब्रह्मपुत्र का पानी
चीन अरुणाचल प्रदेश के करीब तिब्बत में एक ऐसा बांध बनाने जा रहा है कि जिसे मदर ऑफ डैम कहा जा रहा है. ये बहुत विशालकाय है. इससे भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में बहुत बुरा असर पड़ेगा.
हाइलाइट्स चीन ने ऐसा ही काम मेकांग नदी पर किया तो वियतनाम, कंबोडिया और लाओस और कई देशों में पड़ने लगा सूखा ऐसा बांध बनाकर चीन फिर देशों को अलग तरीके से अपने दबाव में लेगा और बढ़त बनाएगा ब्रह्मपुत्र का असर उत्तर पूर्वी राज्यों की कृषि और पेयजल जैसी चीजों पर बहुत ज्यादा पड़ता है
चीन यारलुंग त्सांगपो नदी पर एक विशालकाय बना रहा है, इस नदी को भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है. इस नदी पर वो दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना यानि 60,000 मेगावाट मेगा बांध का निर्माण कर रहा है. इसका निर्माण का भारत पर बहुत खराब असर पड़ने वाला है. ये एक तरह से भारत के खिलाफ बड़ा जल हथियार होगा.
ये डैम जहां चीन के ताकत और ऊर्जा दोनों में इजाफा करेगा तो भारत और बांग्लादेश में लोगों को पानी के लिए तरसा देगा. दरअसल ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोगों की प्यास नहीं बुझाती, बल्कि काफी हद तक नार्थ ईस्ट इंडिया और चीन में खेतों और कृषि को भी हरा-भरा करने का काम करती है.
चीन ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को कंट्रोल करने के लिए कई बांध बना चुका है लेकिन ये तो ना केवल विशालकाय है, बल्कि सही मायनों में भारत और बांग्लादेश तक आने वाले पानी के प्रवाह को काफी कम कर देगा. वहीं बरसात के मौसम में कृत्रिम बाढ़ के जरिये बड़ी तबाही लाएंगे.
इसके जवाब में भारत ने अरुणाचल के ऊपरी सियांग जिले में सियांग नदी पर 11,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना का प्रस्ताव रखा है, बेशक ये परियोजना बड़ी है, लेकिन चीन जैसी नहीं.
सवाल – चीन का ये बांध कैसी मुसीबतें ला सकता है, मेकांग नदी का उदाहरण क्या बताता है?
– चीन का ये बांध भविष्य में किस तरह मुसीबतें लाने वाला है, उससे इस उदाहरण से समझ सकते हैं. 2021 में चीन ने बिना किसी पूर्व चेतावनी के तीन हफ़्तों के लिए मेकांग नदी के जल प्रवाह को 50 प्रतिशत तक कम कर दिया. प्रवाह में कटौती जाहिर तौर पर बिजली-लाइन के रखरखाव के लिए की गई लेकिन इससे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम में जलमार्गों के किनारे रहने वाले लाखों लोग प्रभावित हुए.
सवाल – चीन का मेकांग पर बांध कैसे कई देशों में सूखा ला रहा है?
– 2019 में, ऊपरी मेकांग नदी बेसिन में चीन के बांधों ने रिकॉर्ड मात्रा में पानी बनाए रखा, जो कि एक नया रिकॉर्ड है, जबकि इस क्षेत्र में बारिश के मौसम में औसत से अधिक बारिश हुई थी। नतीजतन, निचले इलाकों के देशों को इस आम तौर पर बारिश के मौसम के दौरान अभूतपूर्व सूखे का सामना करना पड़ा. और तब से अब तक चीन इस नदी के पानी को रोक संबंधित देशों में भयंकर सूखा ला रहा है.
इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं, मछलियों की आबादी कम हो गई है और जलाशयों का स्तर खतरनाक रूप से कम हो गया है.
सवाल – ब्रह्मपुत्र नदी चीन में कहां से निकलती है और तिब्बत में कितना बहती है?
अब , यारलुंग त्सांगपो दुनिया की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय नदी प्रणालियों में एक है. यह दक्षिण-पश्चिम चीन के किंघई-तिब्बत पठार से निकलती है, हिमालय से होते हुए दक्षिणी तिब्बत में 2,900 किलोमीटर बहती है. फिर असम और अरुणाचल प्रदेश (जिसे चीन दक्षिण तिब्बत कहता है) के भारतीय राज्यों से होते हुए भारत में प्रवेश करती है, जहां इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है.
यारलुंग त्सांगपो तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र से होते हुए भारतीय राज्यों अरुणाचल प्रदेश और असम तक लगभग 3,000 किलोमीटर की दूरी तय करती है. फिर बांग्लादेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. यह पृथ्वी की सबसे ऊंची प्रमुख नदी है, जो औसतन 4,000 मीटर की ऊंचाई पर बहती है.
सवाल – क्या ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाकर चीन दबाव के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करेगा?
– विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों पर बांध बनाने से चीन को नीचे की ओर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. इससे चीन राजनीतिक उपकरण के रूप में पानी का उपयोग करेगा और एक अलग तरीके से साउथ एशिया को सिंचाई, बिजली उत्पादन या बाढ़ नियंत्रण जैसी चीजों में कंट्रोल करेगा. इसका भारत और बांग्लादेश पर बहुत असर पड़ने वाला है.
2016 में, चीन ने तिब्बत में चीन-भारत सीमा के पास स्थित ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी शियाबुकू के प्रवाह को बाधित कर दिया था. पहली नज़र में यह अवरोध लाल्हो जलविद्युत परियोजना के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया था. चीन के लिए प्रमुख नदियों के मुख्य जल स्रोतों पर नियंत्रण करना निचले देशों के साथ बातचीत में एक बढ़त प्रदान करता है.
सवाल -अतीत में क्या चीन ने भारत के साथ भी कुछ ऐसा किया जो नदी को लेकर नहीं करना चाहिए था?
– भारत के साथ डोकलाम गतिरोध के बाद, चीन ने पिछले समझौतों के बावजूद ब्रह्मपुत्र नदी के लिए हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करना “अचानक” बंद कर दिया. इसके विपरीत, बांग्लादेश को चीन से निर्बाध डेटा मिलना जारी रहा. चीन का यह व्यवहार दक्षिण एशियाई संदर्भ में भारत के खिलाफ राजनीतिक उपकरण के रूप में जल संसाधनों का उपयोग करने के उसके इरादे को जताता है.
सवाल – ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध भारत से कितनी दूर बन रहा है?
– बांध स्थल हिमालय की पूर्वी सीमा पर भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के साथ विवादित सीमा के पास है. यह एक ऐसी जगह है जहां नदी नाटकीय रूप से यू-टर्न लेती है। यहाँ, नदी की ऊँचाई 50 किलोमीटर के दायरे में 2,700 मीटर से अधिक गिरती है, इससे पहले कि यह भारत की ओर अपना रास्ता बदल ले.
सवाल- भारत के उत्तर पूर्वी इलाकों का ज्यादा पानी कहां से आता है?
– भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि इसके उत्तर पूर्वी हिस्से का ज्यादा पानी चीन से बहने वाली नदियों से आता है, जो फायदा भी करती हैं तो नुकसान में भी डालती है. भारत एक निचले तटवर्ती देश के रूप में, अपनी कृषि और जल सुरक्षा के लिए इन ऊपरी धाराओं पर निर्भर है, चीन जैसा देश अगर ऐसा करे तो हालात बहुत असुरक्षित और संदेहजनक हो जाते हैं.
सवाल – सियांग पर बांध कैसा बांध बनवाने जा रहा है?
भारत के सियांग पर बांध बनाने के हालिया प्रस्ताव को रणनीति में बदलाव के रूप में देखते हैं, जिसका उद्देश्य “अपने जल अधिकारों का दावा करना और चीन की कार्रवाइयों पर निर्भरता कम करना है. इस बांध का प्रस्ताव सबसे पहले 2017 में केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने रखा था. आयोग ने कहा था कि यह देश की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी, जिसकी क्षमता 10,000 मेगावाट होगी. हालांकि स्थानीय लोग इस बांध का विरोध कर रहे हैं.
Tags: China, India china, India china disputeFIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 21:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed