नायडू के बाद स्टालिन ने कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करें क्यों कह रहे ये बात
नायडू के बाद स्टालिन ने कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करें क्यों कह रहे ये बात
Stalin Urges People to Have More Kids: साल 2026 में परिसीमन निर्धारित है. अगर ऐसा होता है तो 2029 लोकसभा चुनावों में दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा. इसी के मद्देनजर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने राज्य के लोगों को सुझाव दिया कि उन्हें अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए. इससे दो दिन पहले ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी यही बात कही थी.
हाइलाइट्स अगर भारत में 2026 में निर्धारित परिसीमन किया जाता है तो क्या होगा? इससे 2029 लोकसभा चुनावों में उत्तरी राज्यों को 32 सीटों का फायदा होगा जबकि इस परिसीमन से दक्षिण के राज्यों को 24 सीटों का नुकसान होगा
Stalin Urges People to Have More Kids: अगर भारत में 2026 में निर्धारित परिसीमन किया जाता है, तो 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तरी राज्यों को 32 सीटों का फायदा होगा, जबकि दक्षिणी राज्यों को 24 सीटों का नुकसान होगा. थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रकाशित ‘भारत के प्रतिनिधित्व का उभरता संकट’ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया था कि इस प्रक्रिया में तमिलनाडु और केरल राज्य मिलकर 16 सीटें खो देंगे.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को जनसांख्यिकीय परिवर्तन के मुद्दे को परिसीमन प्रक्रिया से जोड़ते हुए सुझाव दिया कि राज्य में लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए. इससे दो दिन पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि दक्षिणी राज्यों में लोगों को क्षेत्र की घटती आबादी से निपटने के लिए अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए.
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स्टालिन ने कहा, हमें 16 बच्चे पैदा करने चाहिए
स्टालिन ने चेन्नई में तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में यह टिप्पणी की, जहां वह 31 जोड़ों के शादी कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे. समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ”अब एक ऐसा परिदृश्य है जहां संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम हो सकता है. इसने हमें यह सवाल करने पर मजबूर कर दिया है कि हमें छोटा परिवार क्यों रखना चाहिए? यह भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमें 16 बच्चे क्यों नहीं पैदा करने चाहिए.” इसके बाद सीएम स्टालिन ने इस विषय पर विस्तार से बात किए बिना भाषण को समाप्त कर दिया.
यह पहली बार नहीं है जब डीएमके नेता ने परिसीमन की प्रक्रिया पर चिंता जताई है. इस साल 14 फरवरी को, डीएमके के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने परिसीमन और ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के खिलाफ विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था. प्रस्ताव पारित होने के बाद, स्टालिन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि यह तमिलनाडु के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था. क्योंकि इसने केंद्र में भाजपा सरकार के सत्तावादी एजेंडे के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाया.”
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तमिलनाडु ने पारित किए हैं दो प्रस्ताव
तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा, “हम दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में व्यवहार करने से इनकार करते हैं और हमने सर्वसम्मति से दो प्रस्ताव पारित किए हैं: पहला प्रस्ताव हमारे राज्य को अनुचित परिसीमन से बचाने के लिए था. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमें हमारी सामाजिक-आर्थिक प्रगति और सफल जनसंख्या नियंत्रण उपायों के लिए दंडित नहीं किया जाए. दूसरा प्रस्ताव अलोकतांत्रिक (एक राष्ट्र एक चुनाव) कल्पना का मजबूती
से विरोध करता है, जो हमारे विविध लोकतंत्र के ताने-बाने को खतरे में डालता है.” इससे पहले, 2023 में, जब महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया था, तो स्टालिन ने केंद्र सरकार से दक्षिणी राज्यों में राजनीतिक दलों के डर को दूर करने की अपील की थी कि परिसीमन प्रक्रिया संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व कम कर देगी. इस प्रक्रिया को उन्होंने अपने सिर के ऊपर लटकती ‘तलवार’ बताया था.
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जनसंख्या बढ़ाने पर क्या बोले नायडू
स्टालिन से पहले शनिवार को, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दक्षिणी राज्यों में परिवारों से अधिक बच्चे पैदा करने का आग्रह किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि क्षेत्र में प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत 2.1 से नीचे गिरकर 1.6 हो गया है. उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य सरकार जनसंख्या बढ़ाने के लिए बड़े परिवार रखने के लिए लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए नया कानून लाने पर विचार कर रही है.
अच्छे काम के लिए दंड क्यों : जयराम रमेश
वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इस मामले में कहा कि दक्षिण भारतीय राज्य परिवार नियोजन में अग्रणी थे. प्रजनन क्षमता के रिप्लेसमेंट लेवल तक पहुंचने वाला केरल था. उसने 1988 में यह उपलब्धि हासिल की थी. उसके बाद 1993 में तमिलनाडु, 2001 में आंध्र प्रदेश और 2005 में कर्नाटक ने यह मुकाम हासिल किया. हालांकि, पिछले कुछ समय से यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि इन सफलताओं से संसद में इन राज्यों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम हो सकता है. इसीलिए 2001 में वाजपेयी सरकार ने संविधान (अनुच्छेद 82) में संशोधन कर लोकसभा में पुनर्समायोजन को साल 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रकाशन पर निर्भर बना दिया.
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‘किसी उपयुक्त फॉर्मूले पर काम हो’
सोशल मीडिया पोस्ट में जयराम रमेश ने कहा, “आम तौर पर, 2026 के बाद पहली जनगणना का मतलब 2031 की जनगणना होती. लेकिन पूरे दशक का जनगणना कार्यक्रम बाधित हो गया है और यहां तक कि 2021 के लिए निर्धारित जनगणना भी नहीं की गई है. अब हम सुनते रहते हैं कि लंबे समय से रुकी हुई जनगणना जल्द ही शुरू होगी. क्या इसका इस्तेमाल लोकसभा में सीटों के आवंटन के लिए किया जाएगा? इसमें कोई संदेह नहीं है कि सफलता को दंडित नहीं किया जाना चाहिए. ऐसा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए किसी उपयुक्त फॉर्मूले पर काम किया जा सकता है.” जाहिर है कि जयराम रमेश ने भी वहीं आशंका जाहिर की है जो स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू भी जता रहे हैं.
Tags: Chandrababu Naidu, M. K. Stalin, Tamilnadu newsFIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 12:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed