बड़ा ही चमत्कारी है यह शिवलिंग यहां आज भी माता कुंती करने आती है पूजा-अर्चना

मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब से इस मंदिर की स्थापना हुई है, तब से आज तक जब भी मंदिर के कपाट सुबह खोले जाते हैं, तो शिवलिंग का अभिषेक किया हुआ मिलता है. आज भी कोई अदृश्य शक्ति इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करके चली जाती है.

बड़ा ही चमत्कारी है यह शिवलिंग यहां आज भी माता कुंती करने आती है पूजा-अर्चना
संजय यादव/बाराबंकी: महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास पर निकले थे, तब कुछ वर्षों के लिए बाराबंकी जिले के बदोसराय कस्बा से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर राजा विराट की नगरी में अज्ञातवास का समय व्यतीत कर रहे थे. इस दौरान माता कुंती के सपने में भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि यदि वह भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना कर पारिजात वृक्ष के पुष्प से उनकी पूजा करेंगे, तो पांडवों की जीत सुनिश्चित होगी. जिसको लेकर के माता कुंती ने भीम को आदेश दिया कि वह कैलाश पर्वत से शिवलिंग ला करके यहां पर स्थापित करें और वैसा ही हुआ. भीम के द्वारा लाया गया शिवलिंग को माता कुंती ने कुंतेश्वर धाम में स्थापित किया और अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष से तीर चला कर स्वर्ग से पारिजात वृक्ष को लाकर पृथ्वी पर स्थापित किया और इसी पुष्प से माता कुंती ने भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा अर्चना पहली बार की थी. दरअसल बाराबंकी जिले के बदोसराय कस्बे से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर कुंतेश्वर धाम स्थित है. इसका नाम कुंतेश्वर माता कुंती के नाम पर पड़ा है. दूरदराज से भक्त यहां पर शिवलिंग की पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं और सबसे रोचक तथ्य इस मंदिर का यह है कि आज भी लोगों का मानना है कि माता कुंती के द्वारा प्रतिदिन सुबह शिवलिंग की पूजा अर्चना और जलाभिषेक किया जाता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब से इस मंदिर की स्थापना हुई है, तब से आज तक जब भी मंदिर के कपाट सुबह खोले जाते हैं, तो शिवलिंग का अभिषेक किया हुआ मिलता है. आज भी कोई अदृश्य शक्ति इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करके चली जाती है. यहां के लोगों की मानें  तो उनका कहना है कि शिवलिंग की प्रथम पूजा आखिर कौन और किस रूप में करके चला जाता है इसका पता लगाने के लिए कई वैज्ञानिक और दिल्ली से कई टीमें आई थी. रात रात भर जाग कर शिवलिंग की निगरानी की गई फिर भी लोग यह पता नहीं लगा पाए कि आखिर शिवलिंग की पूजा कौन कर जाता है. क्योंकि किसी न किसी बहाने निगरानी होने के बावजूद भी पलक झपकते ही शिवलिंग पर पुष्प अक्षत के साथ में जलाभिषेक किया हुआ मिलता है. मंदिर समिति के अध्यक्ष जयचंद यादव ने बताया कि लोगों की आस्था मंदिर के प्रति हजारों वर्षों से बनी हुई है. यहां पर लोग देश-विदेश से भी भगवान के दर्शन के लिए आते हैं और लोग जो भी मन्नत यहां पर मांगते हैं भगवान भोलेनाथ उनकी मन्नत पूरी करते हैं. कुंतेश्वर धाम से चंद् किलोमीटर की दूरी पर बरौलिया गांव में अर्जुन के द्वारा स्वर्ग से लाया हुआ दुनिया का एकमात्र वृक्ष पारिजात भी स्थित है. जो इस बात का गवाह है कि यह शिवलिंग महाभारत कालीन है और माता कुंती के द्वारा ही स्थापित किया गया है. इसके तथ्य आज भी प्रमाण के रूप में मिलते हैं. लोगों की आस्था इस मंदिर के काफी देखने को मिलती है. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : May 20, 2024, 12:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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