किसे ने बेटा तो किसी ने खोया… फिर लाखों की जान बचाई मिलिए इन देशभक्‍तों से

आज के कलयुग के दौर में भी इनसान के रूप में फरिश्‍तों की कमी नहीं हैं. ऐसे लोग भी भारत की भूमि पर मौजूद हैं, जिन्‍होंने अपने जीवन को दूसरों की सेवा में न्‍योछावर कर दिया है. कुछ लोगों ने सवाजसेवा के लिए अपने घर तक बेच दिए.

किसे ने बेटा तो किसी ने खोया… फिर लाखों की जान बचाई मिलिए इन देशभक्‍तों से
नई दिल्‍ली. भारत भले ही इस वक्‍त दुनिया के सबसे तेजी से उभरते देशों में से एक हो लेकिन इसके बावजूद यहां गरीबी, बेरोजगारी की कमी नहीं हैं. इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन मजबूर लोगों की मदद के लिए अपना सब-कुछ न्योछावर करने से भी नहीं चूकते. कोई सड़क पर गड्डे भरकर लोगों की जान बचा रहा है तो कोई लावारिस शवों का फ्री में अंतिम संस्‍कार कर मृतकों के शरीर को सम्‍मान पूर्वक अंतिम विदाई दे रहा है. बीमार और असहाय बुजुर्गों की मदद करने वालों की भी कोई कमी नहीं है. चलिए हम आपको ऐसे ही कुछ लोगों के बारे में बताते हैं. 1. सड़क के गड्ढे भर रहा शख्‍स: मुंबई के दादाराव बिल्होरे ने 3 साल पहले एक सड़क हादसे में अपने बेटे को खो दिया था. बेटे की मौत सड़क पर बने गड्ढे की वजह से हो गई थी. भविष्‍य में किसी और के बच्‍चे की जिन्दगी सड़क के गड्ढों की बलि न चढ़े, इसी इरादे से बिल्‍होरे ने सड़क पर बने गड्ढ़ों को भरने का काम शुरू किया. बिलोरे ने न्‍यूज एजेंसी ANI से कहा था कि अगर लोग खुद से सड़क के गड्ढे भरने लगेंगे तो इससे समस्या का हल हो जाएगा. वो अबतक 556 सड़क के गड्ढे भर चुके हैं. उन्‍होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि जो हादसा मेरे बेटे के साथ हुआ वह किसी और के साथ हो. मैं इस पर तब तक काम करता रहूंगा जब तक भारत सड़क के गड्ढों से मुक्त नहीं हो जाता है. अगर 1 लाख लोग ऐसा करें तो भारत की सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी. 2. फ्लैट बेचकर फ्री हेलमेट बांट रहा शख्‍स: 36 साल के राघवेंद्र सिंह देश भर में 56,000 से ज्‍यादा हेलमेट बांटे चुके हैं. इस तरह उन्‍होंने दस सालों में 30 लोगों की जान बचाई है. हेलमेट न पहनने वाले मोटरसाइकिल सवारों को वो सड़क पर रोककर फ्री में हेलमेट गिफ्ट कर देते हैं. देश की सड़कों पर लोगों को सुरक्षित करने के अपने मिशन में उन्‍होंने ग्रेटर नोएडा में स्थित अपने अपार्टमेंट को भी बेच दिया था.  इतना ही नहीं उन्‍होंने अपनी पत्नी के गहनों पर लोन भी ले लिया है. अब उन्‍हें आगे इस अभियान को चलाने में आर्थिक दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है. राघवेंद्र सिंह की कार के शीशे पर लिखा है, ”यमराज ने भेजा है बचाने के लिए, ऊपर जगह नहीं जाने के लिए”. दोस्‍त की सड़क हादसे में मौत के बाद उन्‍होंने ये कदम उठाया. 3. लावारिस शवों का अंतिम संस्‍कार करती है महिला: 26 साल की युवती पूजा ने राजधानी दिल्‍ली में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया है. शहर में कहीं भी मिलने वाले लावारिस शवों का सम्‍मानपूर्वक अंतिम विदाई पूजा करती है. पूजा को अपने परिवार के बिना ही भाई का अंतिम संस्कार करना पड़ा था. साल 2022 की इस घटना के बाद उसने लावारिसों का अंतिम संस्‍कार करने का जिम्‍मा उठाया. वो अबतक चार हजार से ज्‍यादा लावारिस शवों का संस्‍कार कर चुकी हैं. 4. बेबस लोगों की मदद करती है अंजना: यूपी के फिरोजाबाद की रहने वाली महिला गरीब और असहाय लोगों की मदद के लिए काम करती हैं. 30 साल की महिला किसी भी अंजान व्यक्ति के घायल होने या बीमार होने की सूचना मिलने के बाद उनकी मदद के लिए पहुंचती है और उनकी देखभाल करती है. शहर का कोई निजी अस्पताल हो या फिर सरकारी अस्पताल हो. हर जगह पहुंचकर बेबस लोगों की मदद करती है. युवती के काम को देखकर हर तरफ लोग उसकी तारीफ भी करते हैं. वहीं युवती एक संस्था से जुड़कर लोगों के लिए देवदूत बन गई है. इसके लिए संस्था के द्वारा उसे भी आर्थिक मदद मिलती है. युवती का कहना है कि वह एक साल में एक संस्‍था के साथ जुड़कर लगभग दो सौ से ज्यादा लोगों की मदद कर चुकी है. वहीं लोगों की मदद के लिए जो भी खर्चा आता है उसे उनकी संस्था के लोग देते हैं. वह लोगों की मदद के लिए दिन-रात उनके साथ भी रहती है और देखभाल करती है. Tags: Social Welfare, Traffic rulesFIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 13:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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