AMU CAA Protest: प्रदर्शनकारी छात्रों की याचिका खारिज हाईकोर्ट ने कहा- ऐसी गतिविधियां ठीक नहीं

Anti CAA Protest: पूरा मामला 15 दिसंबर 2019 को एएमयू में हुए विरोध प्रदर्शन से संबंधित है. जिसमें याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि जो छात्र शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे, उन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. हाईकोर्ट ने जनवरी 2020 में मामले की जांच के आदेश दिए थे. जिसकी जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका को लेकर छात्रों का कहना है कि 15 दिसंबर 2019 की रात को उनके साथ हिंसा हुई थी.

AMU CAA Protest: प्रदर्शनकारी छात्रों की याचिका खारिज हाईकोर्ट ने कहा- ऐसी गतिविधियां ठीक नहीं
हाइलाइट्सहाईकोर्ट से अलीगढ़ विश्वविद्यालय के छात्रों की याचिका खारिजCAA के प्रदर्शन के दौरान हुए लाठीचार्ज को लेकर लगाई गई थी याचिकाहाईकोर्ट ने छात्रों के प्रदर्शन को लेकर जाहिर की चिंता अलीगढ़. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CAA के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्रों की याचिका खारिज कर दी है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के दौरान पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अब छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है. कोर्ट ने इस दौरान टिपण्णी करते हुए कहा कि छात्रों को ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे संस्थान की छवि ख़राब होती हो. दरअसल, उत्तर प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 15 दिसंबर 2019 की रात सीएए विरोधी प्रदर्शन हुआ था. इस दौरान पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया. जिसमें करीब 50 छात्र घायल हो गए थे. छात्रों ने पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. इस संबंध में छात्रों का कहना है कि अब वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. मुख्य न्यायाधीश ने जाहिर की चिंता आपको बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे जे मुनीर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर में हुए विरोध प्रदर्शनों पर चिंता व्यक्त की. अदालत ने कहा कि ‘विश्वविद्यालयों या शिक्षा के उद्देश्य से किसी भी शैक्षणिक संस्थान में भर्ती होने वाले छात्रों को ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए, जो शैक्षणिक संस्थानों को बदनाम करते हैं’. अदालत ने एएमयू प्रशासन को छात्रों के साथ बेहतर संचार के लिए एक तंत्र स्थापित करने का आदेश दिया, ताकि वे बाहरी लोगों से प्रभावित न हों. छात्रों ने कहा कभी नहीं भूल पाएंगे पूरा मामला 15 दिसंबर 2019 को एएमयू में हुए विरोध प्रदर्शन से संबंधित है. जिसमें याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि जो छात्र शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे, उन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. हाईकोर्ट ने जनवरी 2020 में मामले की जांच के आदेश दिए थे. जिसकी जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका को लेकर छात्रों का कहना है कि 15 दिसंबर 2019 की रात को उनके साथ हिंसा हुई थी. जिसमें कुलपति के कहने पर पुलिस कैंपस में घुसी और छात्रों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं. जो कुछ हुआ वह दुनिया के सामने है. जिसे एएमयू के छात्र खासकर पीड़ित कभी नहीं भूल पाएंगे. छात्रों का कहना है कि हम अंत तक न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे और अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. हमारे कोर्ट जाने का मकसद छात्रों को मुआवजा और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों को न्याय दिलाना था. छात्रों का कहना है कि हमें न्याय नहीं मिला है. हम अब सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Aligarh news, Aligarh University, Allahabad high court, Anti-CAA Protest, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : September 19, 2022, 07:37 IST