नासा का मिशन मून ‘आर्टेमिस’ लॉन्च के लिए तैयार क्या है उसका अपोलो के साथ संबंध
नासा का मिशन मून ‘आर्टेमिस’ लॉन्च के लिए तैयार क्या है उसका अपोलो के साथ संबंध
स्पेस लॉन्च सिस्टम फ्लोरिडा में केनेडी स्पेस सेंटर से छोड़ा जाएगा और स्थानीय समय के अनुसार 8.33 बजे पर इसकी शुरुआत होगी. धरती से बाहर निकलने में इसे दो घंटे का वक्त लगेगा.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि अगले सोमवार को उसका नया विशाल चंद्रयान लॉन्च किया जाएगा. नासा के अधिकारियों ने सोमवार देर रात तक इसके तमाम तकनीकी पक्ष का परीक्षण किया और यह निष्कर्ष निकाला कि इसमें किसी तरह की कोई तकनीकी खामी नहीं है. यह रॉकेट जिसे स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) के रूप में भी जाना जाता है, ओरियन नाम के एक कैप्सूल को भेजेगा जो चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाएगा. अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगली बार इसमें अंतरिक्ष यात्री भी सवार होंगे.
एसएलएस फ्लोरिडा में केनेडी स्पेस सेंटर से छोड़ा जाएगा और स्थानीय समय के अनुसार 8.33 बजे पर इसकी शुरुआत होगी. धरती से बाहर निकलने में इसे दो घंटे का वक्त लगेगा. यह लॉन्च नासा के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि 50 साल पहले दिसंबर में चांद पर अपोलो-17 के जरिए पहली बार इंसान ने कदम रखा था. एजेंसी ने अपने नए आर्टेमिस कार्यक्रम के साथ लौटने की कसम खाई थी, जिसमें आधुनिक युग के हिसाब से तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. आपको बता दें कि आर्टेमिस ग्रीक देवी अपोलो की जुड़वां बहन है और चांद की देवी है.
20 बिलियन डॉलर की लागत
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रमा पर वापसी को 2030 या उससे पहले मंगल पर अंतरिक्षयात्रियों के जाने की तैयारी के तौर पर देख रहा है. बीबीसी के मुताबिक नासा वॉच वेबसाइट संपादक का कहना है कि दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी ने आज तक कभी किसी को दूसरी दुनिया में चलते हुए नहीं देखा है. इसलिए कई मायनों में इसे पहला मूनवॉक कहा जा सकता है. एसएलएस और ओरियन को विकसित होने में दशक से ज्यादा वक्त और करीब 20 बिलियन डॉलर की लागत आई है.
ओरियन दरअसल 2014 में धरती के पास परीक्षण से पहले एक बार उड़ान भर चुका है, लेकिन उस दौरान अंतरिक्ष में जाने के लिए एक मौजूदा कमर्शियल रॉकेट का उपयोग किया गया था. इसलिए यह उड़ान आर्टेमिस एक्सप्लोरेशन हार्डवेयर की पूरी परीक्षा होगी.
हजारों की संख्या में भीड़ जुटने की उम्मीद
नासा को उम्मीद है कि अंतरिक्ष तट के साथ लगे बीच पर हजारों की संख्या में भीड़ जुट सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि कैनेडी स्पेस सेंटर से दूर जाने वाला अब तक का सबसे ताकतवर रॉकेट होगा. जो पैड से करीब 39.1 मेगान्यूटन (8.8 मिलियन पाउंड) थ्रस्ट पैदा करेगा. यह अपोलो के सैटर्न V रॉकेट से 15 गुना ज्यादा और पुराने स्पेस शटल से करीब 20 गुना ज्यादा होगा. आसान भाषा में कहें तो एसएलएस का इंजन टेकऑफ पर करीब 60 कॉनकोर्ड सुपरसोनिक जेट के बराबर ऊर्जा दे सकता है.
उत्साह और खुशी का माहौल
केनेडी स्पेस सेंटर के निदेशक जेनेट पेत्रो ने कहा कि कैनेडी स्पेस सेंटर में उत्साह और खुशी का माहौल है. और जैसे जैसे लॉन्च का दिन करीब आता जा रहा है वैसे वैसे ऊर्जा बढ़ती जा रही है. चंद्रमा और इससे आगे के लिए ओरियन को करीब 42 दिनों के मिशन पर भेजा जाएगा, इसके बाद 10 अक्टूबर को कैलिफोर्निया के सैन डियागो में प्रशांत महासागर में वापस लौटने की उम्मीद है. एसएलएस ओरियन का इस्तेमाल करके आर्टेमिस -2 में पहली बार इंसानों को भेजने का लक्ष्य 2024 तय किया गया है. 1972 के बाद से चांद की सतह पर पहली लैंडिग 2025 से पहले नहीं होगी.
किसी अंतरिक्ष यात्री का नाम घोषित नहीं
नासा ने अभी तक इस मिशन के लिए किसी अंतरिक्ष यात्री का नाम तो घोषित नहीं किया है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में चंद्र सतह के उन स्थानों को ज़रूर प्रकाशित किया गया है जहां भविष्य में चालक दल भेजे जा सकते हैं. इसके साथ ही नासा ने 13 उम्मीदवार स्थलों की पहचान भी की है, ये सभी चंद्र दक्षिणी ध्रुव के अक्षांश के छह डिग्री के भीतर हैं. इसका मकसद ऐसे क्षेत्रों के करीब पहुंचना है जहां स्थायी रूप से छाया मौजूद हो और अरबों सालों में पानी-बर्फ जमा होने की संभावना हो. ताकि इसका इस्तेमाल पीने के पानी या रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सके.
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Tags: NasaFIRST PUBLISHED : August 23, 2022, 16:33 IST