मुइज्जू की अक्ल आई ठिकाने खास बुलावे पर मालदीव जा रहे जयशंकर
मुइज्जू की अक्ल आई ठिकाने खास बुलावे पर मालदीव जा रहे जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर तीन दिवसीय दौरे पर मालदीव जा रहे हैं. यह दौरा इसलिए बेहद अहम है, क्योंकि तनातनी की वजह से जनवरी 2023 के बाद से वे मालदीव नहीं गए थे.
मालदीव में जब से मोहम्मद मुइज्जू की सरकार सत्ता में आई है, तब से भारत के साथ उसके रिश्ते लगातार खराब रहे हैं. तनातनी इतनी बढ़ गई थी कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत भी ठीक से नहीं होती थी. लेकिन अब विदेश मंत्री एस जयशंकर 9-11 अगस्त तक मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा, जयशंकर की यात्रा का मकसद भारत और मालदीव के बीच साझेदारी को और मजबूत करना है. इससे चीन की टेंशन बढ़नी तय है. उधर, पड़ोसी देश बांग्लादेश में बवाल के बाद जयशंकर का मालदीव जाना कूटनीतिक तौर पर काफी मायने रखता है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, जयशंकर की यह यात्रा मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा के बाद हो रही है. मोहम्मद मुइज्जू मोदी सरकार के शपथग्रहण में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे. विदेशमंत्री का दौरा इसलिए भी बेहद अहम है, क्योंकि तनातनी की वजह से जनवरी 2023 के बाद से वे मालदीव नहीं गए हैं. मंंत्रालय ने अपने बयान में कहा, मालदीव भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी देश है. भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी (पड़ोसी पहले) और हमारे विजन ‘सागर’ के लिए यह बेहद अहम है. इस यात्रा का मकसद साझेदारी मजबूतर करना और द्विपक्षीय रिश्तों का आगे बढ़ाने के रास्ते तलाशना है.
दौरा बेहद अहम क्यों मुइज्जू भारत विरोधी मुहिम चलाकर सत्ता में आए थे. यहां तक कि उन्होंने भारत की ओर से गिफ्ट किए गए हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान चलाने वाले लगभग 80 भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने तक की मांग कर डाली थी. मोहम्मद मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है. सरकार आने के बाद वे चीन का दौरा भी कर चुके हैं. उन्होंने चीन के साथ मालदीव के रिश्तों को काफी आगे बढ़ाया है. कहा जाता है कि वे चीन से निर्देश तक लेते हैं. इस साल की शुरुआत में मुइज्जू ने चीन का दौरा किया था, तब शी जिनपिंंग के साथ मुलाकात में 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे. दोनों नेताओं ने साथ मिलकर काम करने का ऐलान किया था. चीन के साथ मुइज्जू ने सैन्य समझौता भी किया था, जो भारत को पसंद नहीं आया. क्योंकि मालदीव भारत का सबसे करीबी पड़ोसी है. मालदीव हिंद महासागर में बसा हुआ है, जो रणनीतिक रूप से अहम है. मुइज्जू ने चीन के जासूसी जहाजों को मालदीव के जलक्षेत्र में आने की अनुमति दी. श्रीलंका में भी चीन ने ऐसे ही जहाज भेजे थे, लेकिन बाद में भारत का दबाव बढ़ने पर एक साल के लिए ऐसे जहाजों के आने पर पाबंदी लगा दी.
चीन के चंगुल से कैसे निकले मुइज्जू मुइज्जू ने जब भारतीय सैन्यकर्मियों को निकालने की बात कही थी, तब तनाव बहुत बढ़ गया था. फिर पता चला कि इन्हीं सैन्यकर्मियों ने कई मरीजों की जान बचाई. तब मुइज्जू को भारत की जरूरत समझ आई. इसके बाद मुइज्जू ने भारत के प्रति गर्मजोशी दिखाई और एक समझौता तक किया. यहां तक कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में उन्हें बुलाया गया, तो वे खुद शामिल भी हुए. जो मुइज्जू भारत को कोसते रहते थे, उन्होंने पिछले महीने ही मालदीव की कमजोर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारत का आभार जताया था. बताया था कि कर्ज से निपटने में भारत ने मालदीव की कैसे मदद की.
Tags: Maldives, S JaishankarFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 20:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed