गांधी से लेकर ठाकरे और यादव तक देश की सियासत में इनके लिए हमेशा रहा हैप्पी फादर्स डे

Happy Fathers day: भारतीय राजनीति में कई ऐसे नेता हैं, जिनके लिए पिता न सिर्फ प्रेरणास्त्रोत रहे बल्कि उन्होंने पिता के सियासी नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में अपनी राह बनाई. आइए फादर्स डे के मौके पर इन्हीं पर एक नजर डालते हैं.

गांधी से लेकर ठाकरे और यादव तक देश की सियासत में इनके लिए हमेशा रहा हैप्पी फादर्स डे
नई दिल्ली. आज फादर्स डे है. पिता की परिभाषा को शब्दों में बयान करना मुश्किल है. मां जन्म देती है, लेकिन पिता ही हैं, जो एक बच्चे को दुनिया दिखाने का काम करता है. हम में से ज्यादातर लोग अपने पिता में एक प्रेरणा देखते हैं. यहां तक कि पिता की पेशेवर राह में अपना भविष्य देखते हैं. भारतीय राजनीति के लिए भी यह बात काफी हद तक सच है. अपने पिता के सियासी नक्शेकदम पर चलने वाले सफल नेताओं के कई उदाहरण भारत में हैं. आइए आज के खास मौके पर इन्हीं में से कुछ पर एक नजर डालते हैं. बाल ठाकरे-उद्धव ठाकरे बाल ठाकरे, शिवसेना के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष. महाराष्ट्र में एक जमाने में बाल ठाकरे की तूती बोलती थी. बाल ठाकरे ने अपना करियर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था. उन्होंने कार्टून साप्ताहिक ‘मार्मिक’ शुरू की. उसके बाद शिवसेना की स्थापना की. वह महाराष्ट्र की संस्कृति, मराठी लोगों और उनके हितों के प्रबल संरक्षक और समर्थक थे. 2012 में बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए शिवसेना का नेतृत्व संभाला. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना एक धर्म आधारित राजनीतिक दल से मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी में तब्दील हुई. उद्धव ठाकरे इस वक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर गठबंधन सरकार चला रहे हैं. लालू यादव- तेजस्वी, तेज प्रताप यादव राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और पांच साल तक केंद्रीय रेल मंत्री रहे. हालांकि उन पर कई घोटालों के आरोप लगे. चारा घोटाले के मामले में जेल में भी रहे. उनके बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप यादव को सियासत का जीन विरासत में मिला है. तेजस्वी यादव बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता हैं. वह बिहार के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. वहीं, तेज प्रताप यादव बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं. लालू अब राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं. उनके बेटे राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के कोशिश में जुटे हुए हैं. मुलायम सिंह-अखिलेश यादव मुलायम सिंह और अखिलेश यादव की जोड़ी राजनीति में एक और ताकतवर पिता-पुत्र की जोड़ी है. मुलायम ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की और लगातार तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे. वह केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री भी रहे और वर्तमान में लोकसभा सांसद हैं. उनके बेटे अखिलेश यादव ने पिता की सियासी राह पकड़ी. 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. पिता-पुत्र के बीच रिश्तों में कई बार खटास आती भी दिखी. 2016 में मुलायम ने अखिलेश को पार्टी से निष्कासित भी किया था, हालांकि फैसले पर कायम नहीं रह पाए. इसके बाद अखिलेश पार्टी अध्यक्ष के रूप में पिता के उत्तराधिकारी बनकर सामने आए. जवाहरलाल नेहरू-इंदिरा गांधी अंग्रेजों से आजादी के लिए भारत के संघर्ष में जवाहरलाल नेहरू की अहम भूमिका रही है. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं. वह भारत के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे. इंदिरा गांधी ने राजनीति की दुनिया में पिता की राह पर चलते हुए सियासी बागडोर संभाली. वह स्वतंत्र भारत की तीसरी और पहले महिला प्रधानमंत्री बनीं. राजीव गांधी- प्रियंका, राहुल गांधी 1984 में मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बड़े बेटे राजीव ने पीएम की कुर्सी संभाली. 40 साल की उम्र में वह पीएम पद संभालने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. 1984 से 1989 तक वह भारत के प्रधानमंत्री रहे. 1991 के चुनावों तक उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम किया. चुनाव प्रचार के दौरान आत्मघाती हमले में उनकी हत्या कर दी गई थी. उसके बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली. बेटे राहुल गांधी ने 2004 में सियासी सफर शुरू किया और पिता के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा. उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे. रामविलास पासवान-चिराग पासवान रामविलास पासवान दलितों के बड़े नेता थे. केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. उनके बेटे चिराग पासवान ने पहले फिल्मी दुनिया में किस्मत आजमाई. 2011 में फिल्म ‘मिले ना मिले हम’ से बॉलीवुड में कदम रखा. 2014 में पहली बार वह लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर बिहार के जमुई से लोकसभा चुनाव में उतरे और जीत हासिल की. रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद हुए बिहार के चुनावों में उनकी पार्टी को भारी राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा. वह अभी पार्टी की सियासी जमीन बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं. माधवराव-ज्योतिरादित्य सिंधिया सिंधिया, माधवराव जीवाजीराव सिंधिया के बेटे और सिंधिया घराने के वंशज हैं. उनके परिवार का कभी ग्वालियर पर राज चलता था. 2001 में एक विमान दुर्घटना में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य राजनीति में सक्रिय हुए. 2002 में उन्होंने चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार देश राज सिंह यादव को हराया. उसके बाद 2004 और 2009 में भी वह फिर से जीते. 2012 में उन्हें बिजली राज्य मंत्री नियुक्त किया गया. 2021 में सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. इस समय वह केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Akhilesh yadav, CM Uddhav Thackeray, Father Day, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : June 19, 2022, 11:57 IST