यूपी के इस मंदिर में पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना जानिए महत्व

मंदिर के महंत उमेश शर्मा ने बताया कि इस बार सावन का महीना एक विशेष संयोग लेकर आया है. सावन का प्रथम दिन सोमवार से शुरू हुआ और अंतिम दिन भी सोमवार को ही समाप्त होगा,

यूपी के इस मंदिर में पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना जानिए महत्व
फर्रुखाबाद: सावन के इन दिनों में जहां पर एक ओर देश भर के सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. वहीं हर कोई इस पवित्र माह में भारत के विभिन्न हिस्सों में मौजूद बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं. वह भी अपने जिले फर्रुखाबाद में रहकर तो हम आपको बताएंगे ऐसा मंदिर जो की एक तरफ महाभारत के इतिहास को संजोए हुए है. तो दूसरी ओर बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन आपको एक ही मंदिर के प्रांगण में हो जाएंगे. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के पांडेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग स्थापित है. जो सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्रंबकेश्वर, रामेश्वर, घुमेश्वर, नागेश्वर, वैधनाथ ज्योतिलिंग है. इसलिए ऐतिहासिक है यह सावन मंदिर के महंत उमेश शर्मा ने बताया कि इस बार सावन का महीना एक विशेष संयोग लेकर आया है. सावन का प्रथम दिन सोमवार से शुरू हुआ और अंतिम दिन भी सोमवार को ही समाप्त होगा, यह दुर्लभ संयोग पिछले 34 साल बाद इस बार हुआ है. देशभर में प्रकाश के नाम से मशहूर शिवजी की नगरी, मिनी काशी फर्रुखाबाद, वह पवित्र धारा है जहां लाखों की संख्या में भक्त प्रभु शिव की आराधना करते हैं. सावन के इस विशेष माह में यहां की दिव्यता और भक्ति का माहौल अद्वितीय होता है. अलौकिक है यहां का इतिहास महाभारत काल के दौरान माता कुंती द्वारा शिवजी की स्थापना को लेकर कहा गया तो उनके पास जिनको फर्रुखाबाद के विभिन्न स्थानों पर स्थापित की गई थी. सदियों पहले जब फर्रुखाबाद की स्थापना नहीं हुई थी उस दौरान इस क्षेत्र में बड़े रकबे में जंगल हुआ करते थे ऐसे समय का यहां पर प्राचीन पीपल का पेड़ मौजूद जिसके पास एक चबूतरे पर पांडवों द्वारा शिव ज्योतिर्लिंग स्थापित किया गया था. वनवास के समय यहा रुके थे पांडव पांडेश्वर नाथ मंदिर के महंत उमेश शर्मा ने बताया की इस मंदिर की स्थापना उस समय हुई जब पांडव वनवास के लिए गए थे.तब यहां पर जंगलों के पास कुम्हारों की बस्ती हुआ करती थी वही पर माता कुंती के साथ पांचों पांडव रहने आए थे उस दौरान माता कुंती ने अपने पुत्रों से कहा कि जिस कारण हम इतने कष्ट काट रहे हैं इसलिए हमे शिव जी की आराधना करनी है इसलिए हमें शिवलिंग की जरूरत है.तभी पांचों पांडव सभी दिशाओ को चले गए बाद में जब सभी शिवलिंग लेकर लौटे तो सभी अलग – अलग दिशाओं से वापस आए. जिसमे सबसे पहले युधिष्ठिर शिवलिंग लेकर आए उसे धौम्य ऋषि द्वारा पांडवों के सामने ही स्थापित किया गया उसी शिवलिंग को आज हम पांडेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जानते है. वहीं भीमसेन द्वारा ले गए शिवलिंग को गंगा जी के तुम्हारे रास्ते पर स्थापित किया गया तथा अर्जुन द्वारा लाए गए शिवलिंग को तामेश्वर नाथ के नाम से अब जाना जाता है तथा नकुल के द्वारा लाए गए शिवलिंग को कोतवालेश्वर नाम से तथा सहदेव द्वारा लाए गए शिवलिग को कंपिल में स्थापित किया गया. स्थापना के समय से अब तक भक्तगण यहां आते हैं. हजारों की संख्या में पहुंचते है भक्त सुबह 4:30 बजे से भक्त आने लगते हैं यहां पर पहले चबूतरे पर शिव जी की स्थापना की गई थी. वही गंगा के किनारे पर राजा द्रुपद का किला हुआ करता था. वही ऋषि धौम्य का आश्रम था. वहीं पर पांडवों ने काफी समय व्यतीत किया था यहां उसे समय मंदिर परिसर में स्थित तीन कुआं जो कि उस समय पानी की जरूरत को पूरा करते थे.इस समय भी क्षेत्र के लोग पांचाल नगरी पहुंचकर मां गंगा के यहां से जल भरकर लाते हैं और पांडेश्वर नाथ मंदिर में पहुंचकर उनका रुद्राभिषेक करते हैं यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यताओं के अनुसार यहां पर जो भी भक्त पहुंचता है शिवजी उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. Tags: Dharma Aastha, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 16:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed