मां का अद्भुत धाम जिस खेत से निकलती है डोली उसमें होती है सबसे अधिक पैदावार

Bhandari devi temple ahraura: मां भंडारी देवी राजा कर्णपाल की बहन हैं. सीयूर के पास राजा कर्णपाल का ऐतिहासिक किला स्थित है. किदवंती है कि किले से पांच किलोमीटर दूर पहाड़ पर भांडोदरी नाम का राक्षस रहता था. मां भंडारी पहाड़ पर आई तो उन्होंने राक्षस का वध किया था. वध करने के बाद..........

मां का अद्भुत धाम जिस खेत से निकलती है डोली उसमें होती है सबसे अधिक पैदावार
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के अहरौरा में मां भंडारी देवी का ऐतिहासिक मंदिर स्थित है. माना जाता है कि मां खाली भंडार को भर देती हैं. इनके दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं. कहा जाता है कि धाम में दर्शन करने वाले भक्तों का भंडार कभी खाली नहीं रहता है. सावन में एक महीने के लिए विशाल मेला का आयोजन होता है. रविवार और मंगलवार को दर्शन के लिए भक्तों भारी भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि मां भंडारी देवी राजा कर्णपाल की बहन हैं. सीयूर के पास राजा कर्णपाल का ऐतिहासिक किला स्थित है. किदवंती है कि किले से पांच किलोमीटर दूर पहाड़ पर भांडोदरी नाम का राक्षस रहता था. मां भंडारी पहाड़ पर आई तो उन्होंने राक्षस का वध किया था. वध करने के बाद मां पहाड़ पर विराजमान हो गई. मां भंडारी देवी मंदिर परिसर में जलकुंड है, जो कभी नहीं सूखता. डोली पर सवार होकर मां जाती हैं मायके मां भंडारी देवी तीसरे वर्ष सावन माह के दूसरे मंगलवार को राजा कर्णपाल के किले से डोली पर सवार होकर मंदिर जाती हैं. मंदिर के पुजारी पं. जय प्रकाश पांडेय ने बताया कि मां को मान-मनौव्वल के बाद डोली पर बैठाया जाता है. डोली पर सवार होते ही उसका वजन बढ़ जाता है. जिस खेत से मां की डोली जाती है उसमें सबसे अधिक पैदावार होती है. मां को चढ़ाया जाता था अनाज पुजारी पं. जयप्रकाश पांडेय ने बताया कि मां भड़ोदरी नामक राक्षस का वध करने के बाद माता यहीं पर विराजमान हो गईं. सावन में यहां विशाल मेला लगता है. इस मेले में देश के अलग-अलग हिस्सों से भक्त आते हैं. मां भंडारी देवी को अन्नपूर्णा देवी का रूप माना गया है. कभी यहां पर अन्न और धन का भंडार लगा रहता था. मां भंडारी मंदिर के नीचे एक गुफा है, जहां से गरीब और किसान अनाज लेकर जाते थे और पैदा होने के बाद डेढ़ा या सवाया मां के चरणों में चढ़ाकर जाते थे. हालांकि बदनीयती बढ़ने के बाद यह प्रथा खत्म हो गई. मां के धाम में पत्थर चढ़ाकर जाते हैं भक्त धाम के सेवकिया गणेश शर्मा ने बताया कि मां का धाम अद्भुत है. यहां पर मां के मंदिर के पीछे भक्त पत्थर चढ़ाकर जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर के नीचे एक गुफा है, जिसका कोई अंत नहीं है. पहले यहीं पर अनाज चढ़ाया जाता था. धीरे-धीरे यह प्रथा बंद हो गई. यहां दर्शन करने से भक्तों के भंडार कभी खाली नहीं रहते हैं. यहां आने के बाद मिलता है सुकून भक्त काजल केसरी ने बताया कि यहां पर चार से पांच बार आ चुके हैं. यहां पर दर्शन करने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. मां के धाम में आने के बाद अलग सुकून मिलता है. एक अन्य भक्त राकेश कुमार ने बताया कि हमें जब समय मिलता है तो यहां पर आ जाते हैं. मां की महिमा निराली है. यहां पर हर मन्नत पूरी होती है. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 14, 2024, 14:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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