बीहड़ के इस गांव में सुकून की जिंदगी के लिए तरस रहे ग्रामीण जानिए मामला

यह गांव यमुना की बाढ़ से दर्जन दफा डूब तो चुका है. साथ ही मुख्यालय से अधिक दूरी ना होने के बादजूद आज तक सड़क भी नहीं बनाई जा सकी है. ऐसा नहीं है कि गांव वालों ने गांव में वोट मांगने आने वाले राजनेताओं से सड़क बनवाने की मांग ना की हो लेकिन सड़क बनवाने का भरोसा तो दिया गया लेकिन आज तक गांव वालों के लिए सड़क का निर्माण नहीं किया जा सका है.

बीहड़ के इस गांव में सुकून की जिंदगी के लिए तरस रहे ग्रामीण जानिए मामला
रजत कुमार/इटावा: देश की आजाद को 77 साल बीत चुके है लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे गांव हैं जो आज भी अपने जिला मुख्यालय से पूरी तरह जुड़ नहीं पाए हैं. वहां आने जाने का कोई सुगम रास्ता भी नहीं है. गांव के लोगों की बदहाली तो देखिए कि उनको कीचड़ भरे रास्ते के जरिए सफर तय करना पड़ता है. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में ऐसे ना जाने कितने गांव हैं लेकिन एक गांव की अभी चर्चे में बना हुआ है. यह गांव कोई और नहीं बल्कि यमुना नदी के किनारे बसा जुहाना गांव है. इस गांव के लोगों की बदहाली इस बाबत है कि यह गांव यमुना की बाढ़ से दर्जन दफा डूब तो चुका है. साथ ही मुख्यालय से अधिक दूरी ना होने के बादजूद आज तक सड़क भी नहीं बनाई जा सकी है. ऐसा नहीं है कि गांव वालों ने गांव में वोट मांगने आने वाले राजनेताओं से सड़क बनवाने की मांग ना की हो लेकिन सड़क बनवाने का भरोसा तो दिया गया लेकिन आज तक गांव वालों के लिए सड़क का निर्माण नहीं किया जा सका है. बरसात के दिनों में सबसे बुरा हाल इसलिए हो जाता है कि कच्ची पगडंडी नुमा कच्ची सड़क पर चलना भी दूभर हो जाता है. सड़क बरसात के दिनों में पूरी तरह से गायब हो जाती है. सरकारी अधिकारी नहीं आते गांव गांव वाले ऐसा बताते हैं कि अगर गांव में कोई बीमार हो जाए तो वह शख्स जिंदा हालत में अस्पताल भी नहीं पहुंच सकता है क्योंकि जब जाने का रास्ता ही नहीं है तो स्वाभाविक है कि बीमार आदमी भगवान भरोसे ही रहेगा. सड़क ना होने के कारण कोई भी सरकारी अधिकारी इस गांव में जाने से हमेशा बचता ही रहता है. गांव में एक प्राथमिक स्कूल जरूर है लेकिन शिक्षक के अभाव में शिक्षामित्र ही स्कूली बच्चों को पढ़ता रहता है. गांव वालों की जिला प्रशासन के साथ – साथ उत्तर प्रदेश सरकार से भी यह मांग की है कि उनके गांव को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए सड़क का निर्माण कराया जाए ताकि उनके जीवन में भी बहार आ सके. ग्रमीणों ने नर्क जैसी जिंदगी का दिया हवाला करीब एक हजार के आसपास की आबादी वाले इस गांव वालों को वाकई में नर्क जैसी जिंदगी बरस करना पड़ रहा है. इटावा के जिला अधिकारी अवनीश राय से लोकल 18 ने बात की तो उनकी ओर से बताया गया कि उनके संज्ञान में अभी यह मामला नहीं है अगर उनके संज्ञान में गांव वालों के स्तर से यह मामला लाया जाएगा तो वह गांव में सड़क निर्माण की दिशा में कोई ना कोई पहल जरूर करेंगे. Tags: Etawa news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 16:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed