शिक्षिका ने घर को ही बना डाला गौरेया हाउस 100 चिड़िया ने भरी उड़ान

Sparrow in Etawah: इटावा की एक सहायक शिक्षिका संकटग्रस्त गौरैया चिड़िया के संरक्षण में जुटी हुई हैं. वह अपने घर को गौरैया हाउस बना दी हैं. उन्होंने बताया कि 8 सालों में उनके घर से लगभग 100 गौरेया पक्षियों ने उड़ान भरी है.

शिक्षिका ने घर को ही बना डाला गौरेया हाउस 100 चिड़िया ने भरी उड़ान
रजत कुमार/इटावा: देश में संकटग्रस्त गौरैया चिड़िया के संरक्षण और लोगों को जागरूक करने में उच्च माध्यमिक प्राथमिक स्कूल की सहायक शिक्षिका सुनीता यादव जुटी हुई हैं. वह घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं.  इटावा शहर में मैनपुरी रोड स्थित गंगा बिहार कॉलोनी की रहने वाली सुनीता यादव बसरेहर विकासखंड के खरदूली गांव में स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय में सहायक शिक्षिका के पद पर तैनात हैं. घर को गौरैया हाउस में किया तब्दील गौरैया की घटती संख्या को देखते हुए सहायक शिक्षिका सुनीता यादव ने अपने घर को गौरैया हाउस में तब्दील कर दिया है. सुनीता के मन में गौरैया चिड़िया के संरक्षण के प्रति ललक इतनी है कि वो रात दिन गौरैया चिड़िया के ही संरक्षण के बारे में सोचती रहती हैं. गौरैया चिड़िया के संरक्षण की दिशा में सक्रिय सुनीता यादव मूल रूप से हमीरपुर जिले के ममना गांव की रहने वाली हैं, लेकिन उनकी तैनाती इटावा जिले में है. उनके पति नरेश यादव मैनपुरी जिले में करहल तहसील के अंडनी गांव में स्थित पशु अस्पताल में पशु चिकित्सक के रूप में तैनात हैं. गौरैया रेड जोन में हैं शामिल लोकल 18 से बात करते हुए सुनीता यादव ने बताया कि वो बचपन से ही पशु पक्षियों के संरक्षण के प्रति संजीदा रही हैं, लेकिन गौरैया के प्रति उनका लगाव खासा है. उन्हें अखबारों से पता चला कि गौरैया रेड में शामिल है और विलुप्त होने के कगार पर है. तब से उनके मन में आया कि जैसे गिद्ध समाप्त हो गए हैं. वैसे ही कहीं गौरैया भी न समाप्त हो जांए. इसके बाद उनके मन में गौरैया चिड़िया के संरक्षण के प्रति अपने आप को खपाने का मन बनाया. ससुराल में बड़ी संख्या में हैं गौरैया सुनीता ने बताया कि एक दफा वो अपनी ससुराल हमीरपुर जिले के ममना गांव गई थी. वहां पर खपरेल आदि जैसे मकान बने हुए थे. वहां पर बड़ी संख्या में गौरैया चिड़िया नजर आई. इसके बाद वह अपनी ससुराल में बड़ी संख्या में गौरैया चिड़िया को देखकर खुशी से झूम उठी. हमीरपुर में बने कच्चे घरों में लोगों ने मोखले आदि बना रखे थे, जिनमें गौरैया चिड़ियों की बड़ी संख्या में निवास करती हैं. घर में बनाया था दो घोषला उन्होंने यह देखकर पाया कि मानव और गौरैया का रिश्ता सदियों से बना हुआ है, लेकिन जैसे-जैसे गौरैया के कम होने की बात सामने आई है, उसके बाद उन्होंने साल 2016 में पहले अपने घर में तीन घोंसले बनाने के साथ गौरैया के लिए पानी का भी इंतजाम किया . पहले एक दो गौरैया आनी शुरू हुई. अब करीब 8 महीने बाद गौरैया चिड़ियों की संख्या बढ़ना शुरू हो गई हैं. फिर देखा कि उनके घर में गौरैया के 2 जोड़ों ने अपने घोंसले तो बनाएं ही अंडे भी दिए हैं, जिससे तीन बच्चे बाहर निकले. उसके बाद यह सिलसिला लगातार चलना शुरू हो गया. मकान के ऊपरी हिस्से को बनाया पार्क नुमा सुनीता अब तक हजारों की सख्या में गौरैया का घोसला लोगों में बांट चुकी हैं. सुनीता के 3 मंजिला बने मकान में ऊपरी हिस्से को पार्क की शक्ल में बदल दिया है. जहां पर बड़ी संख्या में सुबह-शाम गौरैया चिड़ियों का आना-जाना होता है. दूसरी ओर पहली मंजिल की दीवारों में गौरैया के लिए बड़ी संख्या में घोंसले लगाए हुए हैं. उनके घर में लगाए गए घोंसले में करीब 100 की संख्या में गौरैया के बच्चे प्रजनन के बाद हवा में उड़ चुके हैं. संरक्षण को लेकर करती हैं संगोष्ठी का आयोजन सुनीता ने बताया कि वह प्रतिमाह अपने घर पर गौरैया संरक्षण को लेकर स्थानीय लोगों के बीच में एक संगोष्ठी का भी आयोजन करती हैं. इस संगोष्ठी का मकसद लोगों को गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक करना होता है.  प्रति संगोष्ठी में 50 से लेकर के 100 की संख्या में ऐसे लोग शामिल होने के लिए आते हैं. संगोष्ठी में आने वाले प्रति व्यक्ति को वह अपने हाथों से बने हुए गौरैया घोसले भी देती हैं. सुनीता ने बताया कि पहले उनको गौरैया चिड़िया काफी संख्या में देखने को नहीं मिलती थी, लेकिन अब गौरैया चिड़िया अच्छी संख्या में दिखने लगी है, गौरैया चिड़िया के बच्चों को देखकर मन खास प्रसन्न हो जाता है.  अगर दूसरे शब्दों में कहें तो घर-घर गौरैया की मौजूदगी के बाद ऐसा माना जा रहा है कि गौरैया चिड़िया का सबसे बड़ा संरक्षक जिला इटावा बन गया है. गौरैया की लगातार संख्या घटने के कारण साल 2010 से गौरैया दिवस मनाया जा रहा है. Tags: Etawah news, Local18FIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 17:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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