Champaran Chura: चंपारण के मर्चा चूड़ा की देश-विदेश में रहती है डिमांड इस वजह से मिली अलग पहचान
Champaran Chura: चंपारण के मर्चा चूड़ा की देश-विदेश में रहती है डिमांड इस वजह से मिली अलग पहचान
Champaran Special Chura: बिहार के पश्चिम चंपारण के चूड़े की यूपी, बंगाल, उड़ीसा, उत्तराखंड और झारखंड सहित अन्य कई राज्यों के अलावा विदेश में भी डिमांड रहती है. दरअसल यह चूड़ा एक खास प्रकार के धान से तैयार किया जाता है, जो कि पश्चिम चंपारण के कुछ ही इलाकों में पैदा होता है.
रिपोर्ट: आशीष कुमार
पश्चिम चम्पारण. बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में उगाए जाने वाले मर्चा धान से तैयार चूड़ा के स्वाद और उसमें मौजूद खास अरोमा की ख्याति सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश और विदेश में भी है. घर आए मेहमानों और मित्रों को दही के साथ मर्चा चूड़ा खिलाना इसकी ख्याति का एक जीता जागता उदाहरण है. दरअसल जिस प्रकार दार्जिलिंग की चाय और बनारस की साड़ी का पूरी दुनिया में क्रेज है, ठीक उसी प्रकार चम्पारण का मर्चा चूड़ा भारत सहित विदेश में भी अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. मर्चा धान की खेती सावन के महीने में शुरू की जाती है और इसे नवंबर आखिरी तक तैयार लिया जाता है.
मर्चा धान से संबंधित विशेष जानकारी के लिए जब चनपटिया चूड़ा मिल के मालिक रामजी प्रसाद से बात की तो उन्होंने बताया कि अरोमा वाले खास मर्चा धान की खेती सिर्फ बगहा और मैंनाटांड़ के क्षेत्रों में ही होती है. इसके साथ उन्होंने बताया कि अन्य राज्य से आए कृषि विशेषज्ञों ने जब इस धान को अपने राज्यों में उपजाकर देखा तब पैदावार तो हुई, लेकिन उसमें अरोमा नहीं था. यानी वो पूरी तरह से अरोमा विहीन था. आपके शहर से (पश्चिमी चंपारण) बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब पश्चिमी चंपारण पटना गया मुजफ्फरपुर भागलपुर अररिया अरवल औरंगाबाद कटिहार किशनगंज खगड़िया गोपालगंज जमुई जहानाबाद दरभंगा नवादा नालंदा पश्चिमी चंपारण पूर्णिया पूर्वी चंपारण बक्सर बांका बेगूसराय भोजपुर मधुबनी मधेपुरा मुंगेर मोतिहारी राजगीर रोहतास लखीसराय वैशाली शेखपुरा समस्तीपुर सहरसा सारण सीतामढ़ी सीवान सुपौल कैमूर
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ऑर्गेनिक तरीके से होती है मर्चा धान की खेती है
रामजी प्रसाद ने बताया कि मर्चा धान में मौजूद खास अरोमा के पीछे वहां पाई जाने वाली मिट्टी का योगदान है. दरअसल मैनाटांड़ क्षेत्र में एक खास किस्म की मिट्टी पाई जाती है, जिसमें पहले से ही एक अरोमा मौजूद होता है, जो मर्चा धान के चूडे़ को खास और सुगंधित बनाती है. मिल में मौजूद एक किसान ने बताया कि खास अरोमा वाले इस धान की खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से की जाती है. इसमें केमिकल और फर्टिलाइजर नहीं यूज किया जाता है.
उपहार की तरह देना पसंद करते हैं लोग
चनपटिया चूड़ा मिल के मालिक रामजी प्रसाद ने बताया कि मर्चा धान से बने चूड़े की सप्लाई सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि यूपी, बंगाल, उड़ीसा, उत्तराखंड और झारखंड सहित अन्य कई राज्यों में भी होती है. खास बात यह है कि लोग इसे बड़े पैमाने पर एक दूसरे को उपहार की तरह भेंट करते हैं. खासकर जब वो विदेश में जाते हैं, तब काफी मात्रा में इसे उपहार की तरह ले जाते हैं.
मर्चा धान की खुशबू इसे बनाती है खास
मर्चा धान से बने चूड़े की विदेशों में भी बड़े पैमाने पर मांग बढ़ी है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसका स्वाद सभी प्रकार के चूड़े से एकदम अलग होता है. इसमें मौजूद अरोमा इतनी खास होती है कि जब भी इसकी उपज होती है तो इसकी महक सैकड़ों मीटर दूर तक फैलती है. यही वो कारण है कि सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग इसके दीवाने हैं. चूड़ा 50 रुपए किलो मिलता है.
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Tags: Champaran newsFIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 11:08 IST