विदेश से MBBS करके भारत में कैसे बनें डॉक्टर लाइसेंस के लिए जानें जरूरी नियम

MBBS in Abroad: हर साल बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स एमबीबीएस करने के लिए विदेश जाते हैं. भारत के मेडिकल कॉलेज की तुलना में चीन, रशिया, अमेरिका आदि देशों में एडमिशन मिलना आसान है. लेकिन विदेश से एमबीबीएस करने के बाद भारत में डॉक्टरी करना मुश्किल हो जाता है. इसके लिए दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल एक परीक्षा पास करनी पड़ती है.

विदेश से MBBS करके भारत में कैसे बनें डॉक्टर लाइसेंस के लिए जानें जरूरी नियम
नई दिल्ली (MBBS in Abroad). भारत के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए नीट परीक्षा पास करना जरूरी है. नीट का स्तर बहुत कठिन होने की वजह से काफी स्टूडेंट्स इसमें फेल हो जाते हैं. नीट में असफल कई स्टूडेंट्स विदेशी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करते हैं. भारतीय मेडिकल कॉलेज की फीस भर पाना भी हर किसी के बस की बात नहीं है. कई स्टूडेंट्स इस वजह से भी विदेश से एमबीबीएस करते हैं. नेशनल मेडिकल कमीशन ने विदेश से एमबीबीएस कर भारत आने वाले स्टूडेंट्स के लिए कुछ नियम बनाए हैं. सभी के लिए इनका पालन करना जरूरी है. दरअसल, हर देश का एमबीबीएस का अपना सिलेबस होता है (MBBS Syllabus). डॉक्टरी की डिग्री देने के लिए भी सबके अपने नियम होते हैं. ऐसे में चीन, रशिया, किर्गिस्तान, अमेरिका समेत किसी भी देश से एमबीबीएस करके भारत आने वाले स्टूडेंट्स को यहां प्रैक्टिस करने के लिए एक खास परीक्षा पास करनी पड़ती है. Doctor License in India: विदेश से आकर भारत में डॉक्टर का लाइसेंस कैसे मिलेगा? विदेश से एमबीबीएस करने के बाद भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस हासिल करने में काफी समय लग जाता है. जानिए इसके लिए कुछ मुख्य स्टेप्स- 1. एमबीबीएस डिग्री की मान्यता: विदेश से एमबीबीएस करने के बाद भारत में डॉक्टर बनने के लिए कैंडिडेट को अपनी एमबीबीएस डिग्री की मान्यता भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) से हासिल करनी होगी. इसके लिए आपको डिग्री और अन्य जरूरी डॉक्यूमेंट एमसीआई के पास जमा करने होंगे. 2. फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जामिनेशन (FMGE): विदेश से डिग्री लेने के बाद भारत में डॉक्टर बनने के लिए एफएमजीई पास करना जरूरी है. यह एमसीआई द्वारा आयोजित की जाती है. इसके जरिए चिकित्सा ज्ञान और कौशल का मूल्यांकन किया जाता है. अब इसे नेक्सट (NEXT) नाम दिया जा रहा है. यह भी पढ़ें- एमबीबीएस के बाद डीएम करें या एमडी? मेडिकल के दोनों कोर्स में क्या है अंतर? 3. मेडिकल इंटर्नशिप: एफएमजीई परीक्षा पास करने के बाद कैंडिडेट के लिए 1 साल की इंटर्नशिप पूरी करना जरूरी है. यह इंटर्नशिप एमसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी हॉस्पिटल में की जा सकती है. इससे इंडियन मेडिकल सिस्टम को समझने में मदद मिलती है. 4. डॉक्टर के तौर परह रजिस्ट्रेशन: मेडिकल इंटर्नशिप पूरी करने के बाद कैंडिडेट को एमसीआई में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. इससे भारत में डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिलता है. इंटर्नशिप पूरी करने के बाद उसका सर्टिफिकेट जरूर ले लें. 5. मेडिकल लाइसेंस: रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया यानी एमसीआई कैंडिडेट को डॉक्टरी का लाइसेंस देता है. यह मिल जाने के बाद आप भारत में डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस कर सकते हैं. लाइसेंस मिलने में कई सालों का वक्त लग सकता है. यह भी पढ़ें- डॉक्टर बनने के लिए MBBS करें या BAMS? जानिए दोनों के बीच 10 बड़े अंतर Tags: Government Medical College, MBBS student, Medical EducationFIRST PUBLISHED : November 30, 2024, 06:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed