घर का नौकर निकला हत्यारा जयपुर था आखिरी ठिकाना 8 साल बाद खुला राज और फिर
घर का नौकर निकला हत्यारा जयपुर था आखिरी ठिकाना 8 साल बाद खुला राज और फिर
हत्यारोपी को पुलिस के काम करने का तरीका बहुत अच्छी तरह जानते थे, लिहाजा वह ऐसी कोई गलती नहीं कर रहे थे, जिससे पुलिस को उनका कोई सुराग मिल सके. इस बीच, इन्होंने जयपुर में घरेलू नौकर बन एक घर को अपनी पनाहगाह बना लिया था. करीब आठ साल बाद पुलिस के हाथ ऐसी चीज लग गई, जिसके बाद दोनों की सारी होशियारी धरी की धरी रह गई, क्या है यह पूरा मामला, जानने के लिए पढ़ें आगे...
Delhi Police: दिल्ली के मुकुंदपुर इलाके में आठ साल पहले एक मां के सामने उसके जवान बेटे की चाकू से गोद कर हत्या कर दी गई थी. यह वारदात 30 दिसंबर 2016 की है. सुबह के करीब नौ बजे रहे होंगे. अपने घर के कामों में मशगूल वीणा देवी का बेटा चंचल अपनी मां के काम में हाथ बंटा रहा था. तभी दरवाजे पर तेज दस्तक हुई और विक्रम उर्फ विक्की गाली गलौच करता हुआ घर में दाखिल हो गया.
विक्रम के साथ उसका भाई शिवा और उसके कई दोस्त भी थे. बाद में, जिनकी पहचान इरशाद उर्फ बबलू, विष्णु, राहुल, जैकी के तौर पर हुई. घर में घुसते ही इन लोगों ने चंचल पर हमला कर दिया. पहले बेरहमी से उसकी पिटाई की और फिर उस पर चाकुओं से ताबड़तोड़ हमला कर दिया. इस दौरान, चंचल की मां वीणा अपने बेटे को बचाने की गुहार लगाती रही, लेकिन उनकी मदद को कोई सामने नहीं आया.
हमलावरों के घर से जाने के बाद वीणा देवी ने किसी तरह अपने बेटे को समीप के अस्पताल तक पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उसके बेटे की मौत हो गई. भलस्वा डेयरी पुलिस स्टेशन ने इस वारदात के बाबत आईपीसी की धारा 302/120बी के तहत एफआईआर दर्ज कर हत्या के आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. यह भी पढ़ें: शाम होते ही लगने लगता मजमा, रात भर लगी रहती थी रौनक, गिरफ्त में आए 2 युवतियों संग कुल 7, बड़े रैकेट का खुलासा… द्वारका की इस इमारत का नजारा देख कुछ देर के लिए पुलिस टीम भी सकते में आ गई. कहीं स्टेला, कहीं बेन, तो कहीं लिंडा अपने कस्टमर्स को अपने जाल में फंसाने में लगे हुए थे. पुलिस टीम तत्काल एक्शन में आई और मौके पर मौजूद सभी लोगों को हिरासत में ले लिया. पूरी कहानी जानने के लिए क्लिक करें.
पुलिस की कार्य प्रणाली को बहुत करीब से जानते थे आरोपी
पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राकेश पावरिया के अनुसार, एक लंबी कवायद के बाद हत्या में शामिल तमाम आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन विक्रम और शिवा पुलिस की गिरफ्त से बचने में सफल रहे. चूंकि विक्रम जहांगीरपुरी इलाके का बैड कैरेक्टर है, लिहाजा वह पुलिस के काम करने के तरीके को बहुत करीब से जानता था. लिहाजा, वह ऐसा कोई भी सुराग नहीं छोड़ रहा था, जिससे पुलिस उसके करीब तक पहुंच सके.
उसे यह भी पता था कि उसका सुराग हासिल करने के लिए पुलिस ने उसके परिजनों पर भी कड़ी नजर रख रखी होगी, लिहाजा उसने अपने परिजनों, रिश्तेदारों और करीबियों से भी किनारा कर लिया था. बीते आठ सालों में उसने अपने किसी भी करीबी से संपर्क नहीं किया था. वहीं, दोनों हत्यारोपियों को किसी भी कीमत में गिरफ्तार करने की ठान चुकी क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर मुखबिरों का पूरा जाल ट्रायल कोर्ट से लेकर इनके करीबियों तक फैला दिया. यह भी पढ़ें: दो पाकिस्तानियों ने लांघी अपनी ‘सीमा’, हथियार तनने के बाद हुआ चौंकाने वाला खुलासा, अब BSF ने उठाया यह बड़ा कदम… पाकिस्तान की तरफ से दो संदिग्ध्य युवकों को आता देख बीएसएफ जवान सकते में आ गए. आफन फानन बीएसएफ की एक टीम को दोनों युवकों की तरफ रवाना किया गया, और फिर… विस्तृत खबर जानने के लिए क्लिक करें.
आठ साल की कवायद के बाद पुलिस के हाथ लगा एक सुराग
डीसीपी राकेश पावरिया ने बताया कि एएसआई के तकनीकी डेटा और हेड कॉन्स्टेबल अजय यादव का ग्राउंड वर्क रंग लाया. करीब आठ साल बाद दोनों का एक सुराग पुलिस के हाथ लग गया. पुलिस को पता चला कि दोनों जयपुर के सडोला थाना इलाके में कहीं छिपे हुए हैं. सुराग मिलते ही इंस्पेक्टर दीपक पांडे के नेतृत्व में एसआई अवधेश दीक्षित, एएसआई अजय सिंह, एएसआई अंजय, हेडकॉन्स्टेबल राय सिंह की टीम को जयपुर के लिए रवाना कर दिया गया.
पुलिस के सामने अगली चुनौती 7-10 किमी का वह इलाका था, जिसके अंतर्गत दोनों हत्यारोपी छिपे हुए थे. पूरी तरह से अंजान इस इलाकों को खंगालना दिल्ली पुलिस की टीम के लिए इतना आसान नहीं था. पुलिस ने डोजियर में मौजूद तस्वीर की मदद से इन दोनों हत्यारोपियों की तलाश करना शुरू कर दिया. एक लंबी जद्दोजहद के बाद टीम पुलिस को नई सफलता मिली और वे हत्यारोपी विक्रम तक पहुंचने में कामयाब हो गए यह भी पढ़ें: लगभग हर तीसरे दिन करता था हवाई सफर, मरे हुए भाई के नाम पर बुक होती थी टिकट, निशाने पर होती थीं कुछ खास महिलाएं… हर तीसरे दिन हवाई सफर करने वाला यह शख्स उन्हीं फ्लाइटों में टिकट बुक कराता था जो किसी डोमेस्टिक एयरपोर्ट से दिल्ली होते हुए विदेशी एयरपोर्ट के लिए रवाना होती हो. इन फ्लाइट में सफर करने वाली महिलाओं पर इस शख्स की खास निगाह होती थी. फ्लाइट में सफर के बीच यह शख्स किस तरह इन महिलाओं को निशाना बनाता था, जानने के लिए क्लिक करें.
पूरा देश घूमने के बाद जयपुर को बनाया अपना ठिकाना
डीसीपी राकेश पावरिया ने बताया कि विक्रम की निशानदेही पर कुछ समय के बाद उसके भाई शिवा को भी गिरफ्तार कर लिया गया. जयपुर से दोनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने के लिए स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई और इनको दिल्ली लाया गया. पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों ने दिल्ली से मुंबई जाने वाली एक ट्रेन में सवार हो गए थे. ट्रेन में सवार होने के साथ दोनों ने अपने फोन और उसकी सिम को तोड़ दिया.
साथ ही, हर उस शख्स से दूरी बना ली, जिससे अब तक वह किसी भी तरह से संपर्क में आए थे. करीब तीन महीने मुंबई में रहने के बाद वह चेन्नई चले गए. कुछ महीनों के बाद वह चेन्नई से कोलकाता चले गए. उन्होंने बताया कि पुलिस की गिरफ्तर से बचने के लिए वह हर तीन महीने में अपना शहर बदल रहे थे. बीते कुछ साल पहले वह गाजियाबाद पहुंचे और फिर यहां से उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों को अपनी पनाहगाह बनाया. आखिर में दोनों जयपुर चले गए और वहां घरेलू नौकर का काम करने लगे थे.
Tags: Crime News, Delhi Crime Branch, Delhi police, Jaipur news, Jaipur policeFIRST PUBLISHED : May 19, 2024, 13:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed