पुलिसवाले की एक जिद्द और 17 साल बाद सुलझ गया मर्डर केस… क्‍या-क्‍या कर बैठा SI

Crime News: कालकाजी पुलिस स्टेशन में तैनात रमेश उस वक्‍त जहां महिलाओं की हत्या की गई थी वहां बीट ऑफिसर थे. आमतौर पर इलाके से ट्रांसफर के बाद पुलिसकर्मी नए मामलों की जांच में लग जाते हैं लेकिन रमेश ने इस मामले की तफ्तीश को अनौपचारिक तौर पर जारी रखा.

पुलिसवाले की एक जिद्द और 17 साल बाद सुलझ गया मर्डर केस… क्‍या-क्‍या कर बैठा SI
नई दिल्ली. साल 2007 में दक्षिण दिल्‍ली में एक हत्‍याकांड सामने आया था. ट्रंक में एक 22 साल की लड़की का शव बरामद किया गया था. वारदात में शामिल मुख्‍य आरोपी घटनास्‍थल से फरार होने में सफल रहा. यह लड़की को देह व्‍यापार के तहत पश्चिम बंगाल से दिल्‍ली लाया गया था. दिल्‍ली पुलिस के एक सब इंस्‍पेक्‍टर की जिद्द के चलते 17 साल बाद इस मृतका को इनसाफ मिल सका है. इतने सालों से खुले घूम रहे 57 वर्षीय आरोपी को पकड़ लिया गया है. एसआई रमेश साल 2007 में एएसआई के पद पर थे. क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल ने कहा, ‘कालकाजी पुलिस स्टेशन में तैनात रमेश उस वक्‍त जहां महिलाओं की हत्या की गई थी वहां बीट ऑफिसर थे. आमतौर पर इलाके से ट्रांसफर के बाद पुलिसकर्मी नए मामलों की जांच में लग जाते हैं लेकिन रमेश ने इस मामले की तफ्तीश को अनौपचारिक तौर पर जारी रखा. उन्होंने फिर से उन लोगों के माध्यम से आरोपियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया जो सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से देह व्यापार में शामिल थे. उन्हें पता चला कि सिंह हरियाणा के पानीपत में छिपा हुआ है. छापे मारे गए लेकिन आरोपी का पता नहीं लगाया जा सका क्योंकि वह अपना किराए का मकान बार-बार बदल रहा था’ यह भी पढ़ें:- मनीष स‍िसोद‍िया, के कव‍िता और फ‍िर केजरीवाल… ED अब क‍िसे आरोपी बनाने जा रही? हाईकोर्ट में क‍िया इस नाम का खुलासा क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर… इसी साल फरवरी में रमेश का तबादला क्राइम ब्रांच में कर दिया गया था. अब वो सीधे तौर पर भी इस मामले की जांच कर सकते थे.डीसीपी ने कहा, “इस बार वह आरोपी का मोबाइल नंबर ढूंढने में सफल रहा और किरायेदारों के डेटाबेस से उसकी पहचान की गई. उसे रोहिणी के विजय विहार इलाके से पकड़ा गया.” पुलिस ने कहा कि बिहार के वैशाली जिले के निवासी आरोपी वीरेंद्र सिंह ने 2007 में यहां अपने किराए के अपार्टमेंट में 22 वर्षीय महिला की हत्या कर दी थी और शव को एक ट्रंक में बंद कर दिया. अगले दिन महिला का शव मिला. क्‍यों बना ड्राइवर से दलाल? अमित गोयल ने कहा, “उसकी हत्या करने के बाद, आरोपी शहर से भाग गया. हालांकि, जांच के दौरान, सह-आरोपी शंकर घोष को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. साल 2008 में अदालत ने उसे घोषित अपराधी करार दिया था.” पूछताछ में पता चला कि आरोपी 1991 में दिल्ली आया और चितरंजन पार्क इलाके में रहने लगा. वह टैक्सी ड्राइवर के तौर पर काम करता था. उस दौरान वह अलग-अलग लोगों के संपर्क में आया और उसे देह व्यापार के बारे में भी पता चला. डीसीपी ने कहा कि 2001 में वह आसानी से पैसा कमाने के लिए देह व्यापार में शामिल हो गया. वह पश्चिम बंगाल से युवा लड़कियों को लाता था और उनका देह व्यापार में इस्तेमाल करता था. इतनी से बात पर कर दी थी हत्‍या? पुलिस के मुताबिक पीड़ित को उसने 10,000 रुपये में खरीदा था. 4 जून 2007 को जब पीड़िता ने बीमारी के कारण काम पर जाने से इनकार कर दिया, तो आरोपी ने कथित तौर पर उसकी हत्या कर दी, शव को एक ट्रंक में बंद कर दिया, ट्रंक को अपने किराए के आवास में छिपा दिया और पश्चिम बंगाल भाग गया. 2009 में वो अंबाला आया और अपने दोस्त लभू के साथ देह व्यापार में शामिल हो गया. 2013 में वह पानीपत चला गया और उसी व्यवसाय को जारी रखा. वह 2019 में दिल्ली वापस आ गया और विजय विहार में रहने लगा.” Tags: Crime News, Delhi news, Delhi policeFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 20:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed