दिल्ली उच्च न्यायलय का टेलीग्राम को आदेश बंद लफाफे में कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करने वाले चैनलों की जानकारी साझा करें

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार का इस्तेमाल कोई व्यक्ति या हस्तक्षेप करने वाला पक्ष अपने अवैध कृत्यों के परिणामों से बचने के लिए नहीं कर सकता. उच्च न्यायालय ने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म टेलीग्राम को कॉपीराइट कानून के उल्लंघन में कुछ सामग्री का प्रसार करने वाले चैनलों के बारे में जानकारी मोबाइल नंबर और आईपी पते के साथ सीलबंद लिफाफे में देने का निर्देश दिया है.

दिल्ली उच्च न्यायलय का टेलीग्राम को आदेश बंद लफाफे में कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करने वाले चैनलों की जानकारी साझा करें
हाइलाइट्सदिल्ली हाई कोर्ट ने टेलीग्राम से कॉपीराइट उल्लंघन करने वाले चैनलों की जानकारी मांगी.उच्च न्यायालय ने कहा कि केवल चैनलों पर रोक लगाना या हटाना ‘‘अपर्याप्त उपाय’’ है. नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार का इस्तेमाल कोई व्यक्ति या हस्तक्षेप करने वाला पक्ष अपने अवैध कृत्यों के परिणामों से बचने के लिए नहीं कर सकता. उच्च न्यायालय ने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म टेलीग्राम को कॉपीराइट कानून के उल्लंघन में कुछ सामग्री का प्रसार करने वाले चैनलों के बारे में जानकारी मोबाइल नंबर और आईपी पते के साथ सीलबंद लिफाफे में देने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह एक कोचिंग सेंटर और उसके मालिक द्वारा दायर एक वाद पर सुनवायी कर रही थीं. कोचिंग सेंटर और उसके मालिक ने यह वाद ‘‘पहचान छिपाकर’’ टेलीग्राम प्लेटफार्म के विभिन्न चैनल पर सेंटर की शिक्षण सामग्री ‘‘अवैध’’ तरीके से साझा किये जाने के खिलाफ दायर किया है. न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि टेलीग्राम का निजता कानून और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर निर्भरता ‘‘इन तथ्यों और परिस्थितियों में पूरी तरह से अनुपयुक्त’’ है. न्यायाधीश ने कहा कि जब तक उल्लंघन करने वाले चैनलों के संचालकों की पहचान का खुलासा नहीं किया जाता, वादी की क्षतिपूर्ति नहीं हो पाएगी. अदालत ने 30 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘टेलीग्राम ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता संरक्षण कानून और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लेख किया जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है। ये इन तथ्यों और परिस्थितियों में पूरी तरह से अनुचित है.’’ उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या जीवन के अधिकार सहित निजता के अधिकार का उपयोग किसी भी उल्लंघनकर्ता, व्यक्ति या संस्था द्वारा अवैध कृत्यों के परिणामों से बचने के लिए नहीं किया जा सकता.’’ टेलीग्राम की इस दलील पर कि वह सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत एक मध्यस्थ होने के नाते इस प्रकार की सूचना के प्रवर्तक के विवरण का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं है, उच्च न्यायालय ने कहा कि केवल चैनलों पर रोक लगाना या हटाना ‘‘अपर्याप्त उपाय’’ है क्योंकि ये चैनल ‘‘स्पष्ट रूप कई सिर वाले दैत्य की तरह हैं’’ और आसानी से बनाये जा सकने के कारण एक के बाद एक सामने आते हैं. अदालत ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और नियमों को कॉपीराइट अधिनियम के तहत कॉपीराइट मालिकों को प्रदान किए गए अधिकारों के साथ मिलाकर देखा जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि यहां तक ​​कि किसी भी तरह से आईटी दिशानिर्देश टेलीग्राम को एक मंच के तौर पर बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक प्रभावी कदम उठाने के लिए कर्तव्यमुक्त नहीं करते हैं. न्यायमूर्ति सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘‘केवल इसलिए कि टेलीग्राम ने अपने सर्वर को सिंगापुर में रखा है, कॉपीराइट मालिकों को कानून के वास्तविक उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ किसी भी राहत के बिना नहीं छोड़ा जा सकता. अदालत ने कहा, ‘‘मौजूदा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, टेलीग्राम-प्रतिवादी नंबर 1 को उल्लंघनकारी सामग्री के प्रसार में इस्तेमाल किये गए चैनल/उपकरण, मोबाइल नंबर, आईपी पते, ईमेल पते, आदि के विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया जाता है. इससे संबंधित जानकारी वर्तमान आवेदन के साथ दायर चैनलों की सूची के अनुसार संप्रेषित करें.’’ अदालत ने कहा, ‘‘यदि उल्लंघन करने वाले चैनलों की कोई और सूची है, तो उसे एक सप्ताह के भीतर टेलीग्राम को भी प्रस्तुत की जाए. उल्लंघन करने वाले चैनलों से संबंधित डेटा और इस उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भी फोन नंबर, आईपी पते, ईमेल पते सहित उपकरण/सर्वर/नेटवर्क, उनके निर्माता और ऑपरेटरों के विवरण का खुलासा टेलीग्राम द्वारा उसके बाद दो सप्ताह की अवधि में किया जाए. इस स्तर पर उक्त सूचना सीलबंद लिफाफे में अदालत में दाखिल की जाए.’’ ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: DELHI HIGH COURT, TelegramFIRST PUBLISHED : August 31, 2022, 20:05 IST