मिसाल बनी अनमोल मोती! पिता का श्राद्ध कर्म किया तो समाज ने पगड़ी व चादर देकर किया सम्मान
मिसाल बनी अनमोल मोती! पिता का श्राद्ध कर्म किया तो समाज ने पगड़ी व चादर देकर किया सम्मान
Bihar News: पुरानी परंपराओं की मानें किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पुत्र के नहीं रहने पर अन्य पुरुष रिश्तेदार मुखाग्नि देते हैं और श्राद्ध कर्म करते हैं. मगर पिता की मृत्यु के बाद एक पुत्री ने वह तमाम संस्कार किया जिसे पारंपरिक और धार्मिक मायनों में पुत्रों का अधिकार माना जाता है. एक बेटी के द्वारा अपने पिता का श्राद्ध कर्म करने की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है.
हाइलाइट्सवैशाली जिले गौरौल प्रखंड के सोन्धो कहरटोली में पुत्री ने पिता का श्राद्ध कर्म किया. शुरुआती विरोध के बाद समाज ने साथ दिया, पुत्री ने पूरे विधि विधान से श्राद्ध किया.पुरानी प्रथा को समाप्त कर पहली बार नारी को पगड़ी व चादर देकर किया सम्मान.
हाजीपुर. विश्व को गणतंत्र का प्रथम पाठ पढ़ाने वाली वैशाली की धरती ने समाज को अनूठा संदेश दिया है. यह भूमि तब नारी सशक्तिकरण की एक अद्भुत अध्याय की गवाह बन गई जब जिले के गौरौल की एक पुत्री ने न सिर्फ पिता का अंतिम संस्कार किया; बल्कि पूरे विधि विधान के साथ श्राद्ध कर्म को भी संपन्न किया. विशेष बात यह कि ग्रामीणों ने पुरानी प्रथा को समाप्त कर पहली बार एक नारी को पगड़ी व चादर देकर सम्मान भी किया.
दरअसल, गौरौल प्रखंड के सोन्धो कहरटोली निवासी शिवबालक प्रसाद सिंह की मौत के बाद उनकी इकलौती पुत्री ने उन्हें मुखाग्नि दी क्योंकी उनको कोई भी पुत्र नहीं था. सिर्फ एक पुत्री अनमोल मोती थी. तब सामाजिक गहमागहमी के बीच ही अनमोल मोती ने पिता को मुखाग्नि देने का निर्णय लिया था. लेकिन, जब बात श्राद्ध कर्म की आई तो इसमें कई बाधाएं थीं. धार्मिक रूप से ही आत्मा को परमात्मा से मिलाने के लिए पुत्र अथवा किसी पुरुष संबंधी के द्वारा ही श्राद्ध कर्म किया जा सकता था. साथ ही पुरुष के द्वारा ही श्राद्ध कर्म की सदियों से परंपरा भी रही है.
दुविधा की स्थिति को देखते हुए जब इसके विरुद्ध अनमोल मोती ने अपने पिता का श्राद्ध कर्म करने की बात कही. थोड़ा बहुत शुरुआती विरोध के बाद बदलती सोच के साथ ग्रामीणों और संबंधियों ने भरपूर साथ दिया. जिसके बाद श्राद्ध कर ग्रामीण नारी सशक्तिकरण की एक अद्भुत मिसाल बन गए. अनमोल मोती ने लंबे समय तक चलने वाले श्राद्ध कर्म को पूरे विधि विधान के साथ किया जिसके साक्षी तमाम लोग बने. इन सबके बीच एक अनोखी बात यह भी सामने आई कि समाज ने भी अनमोल मोती के सिर पर पगड़ी और चादर डालकर वही सम्मान दिया जो पुरुषों को दिया जाता है.
वैशाली जिले के गौरौल प्रखंड के सोन्धो कहरटोली निवासी शिवबालक प्रसाद सिंह की मौत के बाद उनकी इकलौती पुत्री अनमोल मोती ने उन्हें मुखाग्नि दी क्योंकी उनको कोई भी पुत्र नहीं था.
बताते चलें कि श्राद्ध कर्म के बाद पगड़ी व चादर का खास महत्व होता है. इसका सामाजिक अर्थ यह होता है कि आपके पिता के चले जाने के बाद हम सभी उनके जगह पर आपको मानते हैं, वही अधिकार देते हैं. साथ ही इस समाज से इस रिश्तेदारी से आपको जोड़ते हैं. एक बेटी के द्वारा अपने पिता का श्राद्ध कर्म करने की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है. पुरानी परंपराओं की मानें तो पुत्री के नहीं रहने पर अन्य रिश्तेदार मुखाग्नि देते हैं और श्राद्ध कर्म करते हैं. इसके बदले मृत व्यक्ति के संपत्ति से उन्हें समाज के द्वारा तय संपत्ति दी जाती है. जिससे कहीं ना कहीं बेटियों के अधिकारों का भी हनन होता है.
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Tags: Amazing news, Hajipur news, Vaishali newsFIRST PUBLISHED : September 23, 2022, 10:03 IST