जब सोनिया गांधी इलाज के लिए विदेश गई तभी आजाद ने क्यों दिया इस्तीफा पढ़ें इसकी इनसाइड स्टोरी
जब सोनिया गांधी इलाज के लिए विदेश गई तभी आजाद ने क्यों दिया इस्तीफा पढ़ें इसकी इनसाइड स्टोरी
Ghulam Nabi Azad Resign: पिछले कुछ दिनों से नए कांग्रेस अध्यक्ष की चर्चा चल रही हैं. अशोक गहलोत, वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और कुमारी सैलजा जैसे कई नाम रेस में चल रहे हैं. गहलोत का नाम सबसे आगे है और इस बीच आजाद के इस्तीफे को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है. बस इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि अध्यक्ष के चुनाव में उनसे या ग्रुप 23 से कोई सलाह न लिया जाना भी उनको अखर गया है.
हाइलाइट्स आजाद और राहुल गांधी के बीच कभी भी रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं. अध्यक्ष के चुनाव में उनसे या ग्रुप 23 से कोई सलाह न लिया जाना भी आजाद को अखर गया
गुलाम नबी आजाद ने जब 15 अगस्त को बीमारी से उठकर कमजोर शरीर के साथ लगभग तिरंगा पकड़कर लगभग हांफते हुए राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर कांग्रेस दफ्तर से गांधी स्मृति तक लगभग दो किलोमीटर तक शिद्दत से मार्च किया तब किसी को अंदाजा नहीं था कि वह इतनी जल्दी कांग्रेस को अलविदा कर देंगे.
राहुल गांधी के साथ आजाद बातें करते हुए भी नजर आए थे और इसके पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय में झंडा फहराने से पहले भी आजाद से लंबी बात की थी. अब सवाल ये खड़ा होता है कि आजाद ने अचानक अपने इस्तीफे का ऐलान उस वक्त क्यों किया जब सोनिया गांधी विदेश में थीं. राहुल गांधी और प्रियंका भी उनके साथ हैं.
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से नए कांग्रेस अध्यक्ष की चर्चा चल रही हैं. अशोक गहलोत, वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और कुमारी सैलजा जैसे कई नाम रेस में चल रहे हैं. गहलोत का नाम सबसे आगे है और इस बीच आजाद के इस्तीफे को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है. बस इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि अध्यक्ष के चुनाव में उनसे या ग्रुप 23 से कोई सलाह न लिया जाना भी उनको अखर गया है.
दरअसल, आजाद और राहुल गांधी के बीच कभी भी रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं. जब राहुल गांधी अध्यक्ष बने तो उसके बाद आजाद ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर सोनिया गांधी पर दवाब बनाकर राहुल गांधी के कई फैसलों को बदलवा दिया है. आजाद ने कई मौकों पर संसद में पार्टी के रुख से अलग रुख अपनाया, जिससे राहुल गांधी नाराज भी हुए हैं.
कई मौकों पर जैसे धारा 370 पर भी लोकसभा के सदस्य और राहुल को जहां कोई और रुख था. वहीं राज्यसभा के नेता आजाद का कुछ और ही रुख था, जिससे पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी. राहुल गांधी ने आजाद पर केन्द्र सरकार के साथ मिलकर सदन चलाने का आरोप भी कई मौकों पर लगाया है. यही वजह है कि राहुल गांधी ने हालिया राज्यसभा चुनाव में इमरान प्रतापगढ़ी जैसे नए नवेले पार्टी नेता को राज्यसभा का टिकट दिया गया, लेकिन आजाद को नहीं दिया गया. आजाद की राज्यसभा से विदाई के दिन पीएम नरेंद्र मोदी की आंखों में आसूं को भी कांग्रेस ने उनकी सरकार से नजदीकी का मुद्दा बनाया है.
सोनिया गांधी ने आजाद के जी-23 बनाने और पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने के बावजूद कुछ महीने पहले बुलाया था और पार्टी में नंबर दो की हैसियत से काम करने की अपील की थी. सोनिया गांधी ने कहा था कि आपको राज्यसभा नहीं दे सकते क्योंकि चार बार से ज्यादा टर्म लेने वाले लोगों को अब राज्यसभा न देने का फैसला लिया गया है. इसलिए आप हमारे साथ नंबर दो बनकर काम करिए.
आजाद जी-23 के नेता थे, सोनिया गांधी ने ये भी नहीं बताया था कि उनको कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाएगा, उपाध्यक्ष बनाया जाएगा या कोई और पद दिया जाएगा. आजाद को लगा कि ये उनको शांत करने की सोनिया गांधी की कोशिश है और फैसले तब भी राहुल गांधी ही लेंगे, जिसके लिए वह लड़ाई लड़ रहे हैं. इसलिए उन्होंने यह ऑफर अस्वीकार कर दिया.
उसके बाद आजाद की सोनिया गांधी से फिर बैठक हुई और सोनिया इस बात से सहमत हो गईं की जम्मू और कश्मीर में पार्टी उनके लोगों को महत्वपूर्ण पद देगी और आजाद के नेतृत्व में ही चुनाव होंगे. आजाद की चली और कमेटी में उनके खास लोगों को तरजीह दी गई. हालांकि तारिक हमीद कर्रा के अंडर में कमेटी में रखे जाने को मुद्दा बनाकर आजाद ने कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
इन वाकयों से ये साफ हो गया कि आजाद भले ही सोनिया गांधी से बात कर रहे थे, लेकिन उनके दिमाग में कोई और खिचड़ी पक रही थी. कांग्रेस सूत्रों द्वारा यह कहा जा रहा है कि आजाद जम्मू और कश्मीर में अगले विधानसभा चुनाव में अलग पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ गठबंधन में या सीटों के समझौते के साथ चुनाव लड़ सीएम बनना चाहते थे. इसलिए मौका देखकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी है.
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Tags: Ajeet Sharma Congress MLA, Ghulam nabi azad, Sonia GandhiFIRST PUBLISHED : August 26, 2022, 16:28 IST