जब सोनिया गांधी इलाज के लिए विदेश हैं तभी गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा क्यों दिया
जब सोनिया गांधी इलाज के लिए विदेश हैं तभी गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा क्यों दिया
Ghulam Nabi Azad : वैसे आजाद और राहुल गांधी के बीच कभी भी रिश्ते सामान्य नहीं रहे. जब राहुल गांधी अध्यक्ष बने उसके बाद आजाद ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर सोनिया गांधी को दबाव में लेकर राहुल गांधी के कई फैसलों को बदलवा दिया. आजाद ने कई मौकों पर संसद में पार्टी के रुख से अलग रुख अपनाया, जिससे राहुल गांधी नाराज़ हुए.
नई दिल्ली : गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने जब 15 अगस्त को बीमारी से उठकर कमज़ोर शरीर के साथ लगभग तिरंगा पकड़कर लगभग हांफते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ कदम से कदम मिलाकर कांग्रेस दफ्तर से गांधी स्मृति तक लगभग दो किलोमीटर तक शिद्दत से मार्च किया, तब किसी को अंदाजा नहीं था की वे इतनी जल्दी कांग्रेस को अलविदा कर देंगे. राहुल गांधी के साथ आजाद बतियाते भी नजर आए थे. इसके पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय में झंडा फहराने से पहले भी आजाद से लंबी बात की थी. तो सवाल ये है कि आजाद ने अचानक अपने इस्तीफे का एलान उस वक्त क्यू किया जब सोनिया गांधी विदेश में थीं. राहुल गांधी और प्रियंका भी उनके साथ हैं.
दरअसल पिछले कुछ दिनों से नए कांग्रेस अध्यक्ष की चर्चा चल रही है. अशोक गहलोत, वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और कुमारी सैलजा जैसे कई नाम चल रहे थे. गहलोत सबसे आगे थे. इस बीच आजाद के इस्तीफे को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है. इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि अध्यक्ष के चुनाव में उनसे या ग्रुप 23 से कोई सलाह न लिया जाना भी उनको अखर गया है.
वैसे आजाद और राहुल गांधी के बीच कभी भी रिश्ते सामान्य नहीं रहे. जब राहुल गांधी अध्यक्ष बने उसके बाद आजाद ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर सोनिया गांधी को दबाव में लेकर राहुल गांधी के कई फैसलों को बदलवा दिया. आजाद ने कई मौकों पर संसद में पार्टी के रुख से अलग रुख अपनाया, जिससे राहुल गांधी नाराज़ हुए.
कई मौकों पर जैसे धारा 370 पर भी लोकसभा जहां के सदस्य थे, राहुल का वहां कोई और रुख था और राज्यसभा जहां के नेता आजाद थे, वहां कुछ और रुख था, जिससे पार्टी की काफी किरकिरी हुई. राहुल गांधी ने आजाद पर सरकार के साथ मिलकर सदन चलाने का आरोप भी कई मौकों पर लगाया. यही वजह है कि राहुल गांधी ने हालिया राज्य सभा चुनाव में इमरान प्रतापगढ़ी जैसे नए नवेले पार्टी नेता को राज्यसभा का टिकट दिया, लेकिन आजाद को नहीं दिया गया. आजाद की राज्यसभा से विदाई के दिन पीएम की आंखों में आंसू को भी कांग्रेस ने उनकी सरकार से नजदीकी का मुद्दा बनाया है.
सोनिया गांधी ने आजाद के जी23 बनाने और पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने के बावजूद कुछ महीने पहले बुलाया था और पार्टी में नंबर दो की हैसियत से काम करने की अपील की थी. सोनिया गांधी ने कहा था की आपको राज्यसभा नहीं दे सकते, क्योंकि चार बार से ज्यादा टर्म लेने वाले लोगों को अब राज्यसभा न देने का फैसला लिया गया है, इसलिए आप हमारे साथ नंबर दो बनकर काम करिए.
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आजाद जी23 के नेता थे, सोनिया गांधी ने ये भी नहीं बताया था की उनको कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जायेगा, उपाध्यक्ष बनाया जायेगा या कोइनौर पद दिया जाएगा. आजाद को लगा की ये उनको शांत करने की सोनिया गांधी की कोशिश है और फैसले तब भी राहुल गांधी ही लेंगे जिसके लिए वे लड़ाई लड़ रहे हैं इसलिए उन्होंने ये ऑफर अस्वीकार कर दिया.
उसके बाद आजाद की सोनिया गांधी से फिर बैठक हुई और सोनिया इस बात से सहमत हो गईं कि जम्मू और कश्मीर में पार्टी उनके लोगों को महत्वपूर्ण पद से देगी और आजाद के नेतृत्व में ही चुनाव होंगे. आजाद की चली और कमेटी में उनके खास लोगों को तरजीह दी गई. हालांकि तारिक हमीद कर्रा के अंडर में कमेटी में रखे जाने को मुद्दा बनाकर आजाद ने कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
इन वाकयों से ये साफ है की आजाद भले ही सोनिया गांधी से बात कर रहे थे, लेकिन उनके दिमाग में कोई और खिचड़ी पक रही थी. कांग्रेस सूत्रों द्वारा ये कहा जा रहा है कि आजाद जम्मू और कश्मीर में अगले विधानसभा चुनाव में अलग पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ गठबंधन में या सीटों के समझौते के साथ चुनाव लड़ सीएम बनना चाहते थे, इसलिए मौका देखकर पार्टी छोड़ दिया.
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Tags: Congress, Ghulam nabi azad, Sonia GandhiFIRST PUBLISHED : August 26, 2022, 16:29 IST