प्रकृति का कोप झेल चुके गांवों को अवैध खनन से खतरा! पहाड़ पर फर्जी NOC से खुदाई के पट्टे ले रहे कारोबारी
प्रकृति का कोप झेल चुके गांवों को अवैध खनन से खतरा! पहाड़ पर फर्जी NOC से खुदाई के पट्टे ले रहे कारोबारी
Uttarakhand News: देवभूमि उत्तराखंड को खनन कारोबारियों की बुरी नजर लग गई है. हिमालयी क्षेत्र की अतिसंवेदनशील कपकोट वादियों से उत्खनन के लिए कारोबारियों ने तैयारी कर ली है. इससे सबसे बड़ा खतरा उन ग्रामीणों को है जो यहां आसपास रह रहे हैं. खनन कारोबारी ऐसे लोगों से एनओसी ले आ रहे हैं जो वर्षों पहले गांव छोड़ चुके हैं.
रिपोर्ट – सुष्मिता थापा
बागेश्वर. कांडा व रीमा के बाद अब खान कारोबारियों का ध्यान कपकोट हिमालयी क्षेत्र की वादियों पर पड़ा है. कई खान व्यवसायियों ने यहां पर खनन पट्टे के लिए आवेदन किया है. ये खनन कारोबारी ऐसे लोगों से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट ले रहे हैं जो कई साल पहले गांव छोड़ चुके हैं. जो लोग यहां रह रहे हैं, उनसे कोई राय नहीं ली जा रही.
खनन के लिए पट्टे के आवेदन देने पर ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. जनपद में कपकोट का समूचा क्षेत्र अतिसंवेदनशील है जो कि जोन 5 में आता है. कपकोट के कर्मी, उंगिया, किलपारा, कर्मी आदि गांवों में खड़िया पत्थर की चट्टाने हैं. इस पर कई सालों से खान व्यवसायियों की नजरें लगी हुई है. बताया जा रहा है कि कुछ रसूखदारों ने कपकोट के उंगिया तोक के उपर खनन के लिए आवेदन किया है. जिस जगह खनन के लिए आवेदन दिया गया है उसके नीचे गांव बसा हुआ है. यहां 2012 में भूस्खलन भी हुआ था. ग्रामीणों ने शुरू किया विरोध
जिस स्थान पर खान के लिए आवेदन किया गया है उसके नीचे ढलान पर नीचे की ओर रिखाड़ी- बदियाकोट मोटर मार्ग भी स्थित है. कपकोट सोराग गांव के उंगिया तोक में प्रस्तावित खड़िया खान का विरोध तेज हो गया है. ग्रामीणों ने कलक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन कर गांव में खान खोलने की प्रक्रिया के लिए नाराजगी जताई. डीएम को ज्ञापन देकर गांव की सुरक्षा के लिए खड़िया लीज के लिए किए गए आवेदन को निरस्त करने की मांग की गई है._ पहाड़ छोड़ मैदानी इलाकों में बसे हैं खनन करने वाले
इस बारे में सोराग गांव के निवासी कैलाश सिंह ने कहा कि कपकोट क्षेत्र में आपदा व आंदोलनों ने अपना इतिहास रचा है. यदि सरकार ने खान मंजूर की तो एक और आंदोलन खड़ा किया जाएगा. सरकार व विधायक को चाहिए कि वह ग्रामीणों की भावनाओं को समझे. ग्रामीणों के अनुसार जिन व्यवसायियों ने खनन के लिए आवेदन किया है वे कई सालों पहले कपकोट छोड़ चुके हैं. ऐसे लोग बागेश्वर, हल्द्वानी, देहरादून आदि स्थानों में होटल, ठेकेदारी आदि के व्यवसाय कर रहे हैं. अब वे पहाड़ खोदने की तैयारी कर रहे हैं.
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Tags: Illegal Mining, Mining on HimalayasFIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 14:25 IST