नई दिल्ली. कांग्रेस आलाकमान कथित तौर पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी से नाखुश है, जो संसद में रक्षा मामलों पर सलाहकार समिति का हिस्सा हैं. उन्होंने केंद्र की अग्निपथ भर्ती योजना को वापस लेने के लिए विपक्ष के ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. तिवारी ने एक ट्वीट में इस योजना को लेकर चिंतित युवाओं के साथ सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा, ‘वास्तविकता यह है कि भारत को अत्याधुनिक हथियार प्रौद्योगिकी के जानकार और एक युवा सशस्त्र बल की जरूरत है.’
पार्टी के स्टैंड के विपरीत अग्निपथ योजना का खुलकर समर्थन करने वाले मनीष तिवारी के खिलाफ पार्टी के भीतर आक्रोश है. केंद्र की अग्निपथ भर्ती योजना को वापस लेने के लिए विपक्ष के ज्ञापन पर हस्ताक्षर से इनकार करने के बाद नाराजगी और बढ़ गई है. रक्षा संबंधी संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में विपक्ष की ओर से अग्निपथ भर्ती योजना को वापस लेने की मांग की गई है. बैठक में कुल 12 सांसदों में से छह विपक्षी दलों के नेता थे जिनमें- कांग्रेस की रजनी पाटिल, शक्तिसिंह गोहिल और मनीष तिवारी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सुप्रिया सुले, सुदीप बंदोपाध्याय और तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय (टीएमसी), और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से एडी सिंह ने भाग लिया. तिवारी को छोड़कर सभी विपक्षी नेताओं ने योजना को वापस लेने के लिए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया.
बताते चलें कि पार्टी के भीतर चर्चाओं के दौरान मनीष तिवारी को ‘कांग्रेस का सुब्रह्मण्यम स्वामी’ तक कहा जाता है. इस बीच, कांग्रेस पहले ही मनीष की अग्निपथ योजना के बारे में टिप्पणी को उनकी व्यक्तिगत राय बता चुकी है न कि पार्टी का रुख. मनीष तिवारी को कांग्रेस सस्पेंड करेगी या निष्कासित करेगी अभी यह तय नहीं है. लेकिन सूत्रों की माने तो मनीष के निलंबन पर भी चर्चा हो रही है, साथ ही पार्टी लाइन का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई पर भी विचार किया जा सकता है.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि यदि उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता है तो वे संसद सदस्य के रूप में बने रहेंगे. इसलिए निलंबन उन्हें फंसाए रखने के लिए एक बेहतर निर्णय लगता है. ख बरों के मुताबिक एनएसयूआई के समय से मनीष तिवारी के पार्टी से जुड़ाव को देखते हुए मामला अटका हुआ है. गेंद अब आलाकमान के पाले में है. सूत्रों के मुताबिक ‘मनीष और कांग्रेस के बीच संबंध बेहद कमजोर हो गए हैं. या तो मनीष अपना रुख बदल लें वरना कार्रवाई हो सकती है.’ वहीं रक्षा मामलों पर संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में विपक्ष ने सेना को राजनीति में घसीटने के लिए सरकार की निंदा की और पूछा कि सशस्त्र बलों के अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों कर रहे थे?
सूत्रों के मुताबिक विपक्ष ने अग्निवीर के लिए बड़ी संख्या में आये आवेदनों पर चर्चा करते हुए बताया कि इसका मुख्य कारण देश में “बढ़ती बेरोजगारी” है. विपक्ष ने कहा कि यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि लोगों ने योजना के लिए बड़ी संख्या में आवेदन किया है, क्योंकि देश में भारी बेरोजगारी है. विपक्ष ने अपने संबोधन में कहा, ‘सेना एक रणनीतिक इकाई है और यह देश की सुरक्षा और शांति के लिए जिम्मेदार है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति चार साल यूनिट में काम करता है और फिर चला जाता है, तो क्या भरोसा है कि वह देश की सेवा करेगा और सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा.’
सूत्रों ने विपक्षी नेताओं के हवाले से कहा कि रूस और यूक्रेन सहित विभिन्न परिदृश्यों में यह देखा गया है कि लंबे समय तक सेवा देने वाली सेना अधिक प्रभावी और शक्तिशाली होती है, क्योंकि वे कठोर प्रशिक्षण और जोखिम से गुजरते हैं. विपक्ष ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सवाल किया कि पूर्व सीडीएस बिपिन रावत भी लंबी भर्ती के पक्ष में थे तो ऐसा क्यों है कि सरकार देश के पहले सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) की ओर से दी गई सलाह का पालन नहीं कर रही. अग्निपथ योजना 14 जून को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था.
नई सैन्य भर्ती योजना पर आलोचना झेलने के बाद सरकार ने 16 जून को इस योजना में एक बड़े बदलाव की घोषणा की. सरकार ने बताया कि “अग्निपथ” योजना के माध्यम से भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी गई है. रक्षा मंत्रालय ने जून 2022 में अपने बयान में कहा कि अग्निपथ योजना को सशस्त्र बलों की प्रोफाइल को युवा बनाने के लिए डिजाइन किया गया है.
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Tags: Agnipath scheme, CongressFIRST PUBLISHED : July 13, 2022, 09:42 IST