ब्रिटिश काल के एक और अवशेष को दफना दें CJI ने किसे बताया अदालत की रीढ़

CJI DY Chandrachud: सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि 2023-24 में अदालती रिकॉर्ड के 46.48 करोड़ पन्नों को डिजिटल रूप दिया गया. उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट परियोजना के तहत 3,500 से अधिक अदालत परिसरों और 22,000 से अधिक अदालत कक्षों का कम्प्यूटरीकरण भी किया गया.

ब्रिटिश काल के एक और अवशेष को दफना दें CJI ने किसे बताया अदालत की रीढ़
नई दिल्ली. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को जिला अदालत को ‘न्यायपालिका की रीढ़’ करार देते हुए शनिवार को कहा कि यह (जिला अदालत) कानून का अहम घटक है तथा इसे ‘अधीनस्थ’ (अदालत) कहना बंद किया जाना चाहिए. सीजेआई चंद्रचूड़ ने पिछले कुछ वर्षों में जिला अदालत में शामिल होने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या का जिक्र करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि पेशेवर होने के बावजूद जज ‘वास्तविकता’ से प्रभावित होते हैं और इसके परिणामस्वरूप उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है. सीजेआई ने यहां ‘जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि यह जरूरी है कि जिला अदालतों को अधीनस्थ कहना बंद किया जाए. इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया. ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने जिला न्यायालय के न्यायाधीशों की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला और कहा कि जब तक उनके वेतन और बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं किया जाता, न्याय वितरण प्रणाली की मात्रा और गुणवत्ता में कमी आती रहेगी. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “न्याय की तलाश कर रहा कोई नागरिक सबसे पहले जिला न्यायपालिका से संपर्क करता है. जिला न्यायपालिका कानून का अहम घटक है.” उन्होंने कहा, “जिला न्यायपालिका कानून के शासन का एक महत्वपूर्ण घटक है.” उन्होंने यह भी कहा, “एनजेडीजी (राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड) पर उपलब्ध डेटा इस बुनियादी सच्चाई को उजागर करता है कि जिला न्यायपालिका न केवल नागरिकों के लिए पहला बल्कि अंतिम संपर्क बिंदु भी है.” सीजेआई ने कहा कि इसके कई कारण हो सकते हैं- कई नागरिक मुकदमे और वकील का खर्च उठाने में असमर्थ हो सकते हैं तो कुछ में वैधानिक अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी हो सकती है तथा कुछ ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां अदालतों तक भौतिक रूप से पहुंचने में भौगोलिक कठिनाइयां हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि काम की गुणवत्ता और वे स्थितियां जिनमें न्यायपालिका नागरिकों को न्याय प्रदान करती है, यह निर्धारित करती है कि उन्हें न्यायिक प्रणाली पर भरोसा है या नहीं. सीजेआई ने कहा, “इसलिए जिला न्यायपालिका से बड़ी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया जाता है और इसे ‘न्यायपालिका की रीढ़’ के रूप में वर्णित किया गया है. रीढ़ तंत्रिका तंत्र का अहम अंग है.” उन्होंने कहा, “कानूनी व्यवस्था की रीढ़ को बनाए रखने के लिए हमें जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहना बंद करना होगा. आजादी के 75 साल बाद, अब समय आ गया है कि हम ब्रिटिश काल के एक और अवशेष -अधीनता की औपनिवेशिक मानसिकता- को दफना दें.” उन्होंने कहा, “जिला न्यायपालिका ने दिन-प्रतिदिन के मामलों में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में अहम भूमिका निभाई: देश में जिला अदालतों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये 2.3 करोड़ मुकदमों पर सुनवाई की.” सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों को संविधान में मान्यता प्राप्त प्रत्येक भाषा में अनुवाद किया जा रहा है और 73,000 से अधिक अनुवादित फैसले सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. न्यायपालिका की बदलती जनसांख्यिकी पर आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जिला न्यायपालिका में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा, “वर्ष 2023 में राजस्थान में दीवानी न्यायाधीशों की कुल भर्ती में 58 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं. दिल्ली में 2023 में नियुक्त हुए न्यायिक अधिकारियों में 66 प्रतिशत महिलाएं थीं. उत्तर प्रदेश में 2022 में दीवानी न्यायाधीशों (जूनियर डिवीजन) के लिए नियुक्त होने वाली 54 प्रतिशत महिलाएं थीं.” न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि केरल में कुल न्यायिक अधिकारियों में से 72 प्रतिशत महिलाएं हैं. उन्होंने कहा, “ये कुछ उदाहरण हैं जो भविष्य की एक आशाजनक न्यायपालिका की तस्वीर पेश करते हैं.” सीजीआई ने कहा कि एनजेडीजी न केवल वकीलों के लिए, बल्कि नागरिकों के लिए भी डेटा का खजाना है और यह जिला अदालतों एवं उच्च न्यायालयों में चार करोड़ से अधिक मामलों के वास्तविक समय के डेटा को दर्शाता है. सीजेआई के अलावा प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने भी सम्मेलन को संबोधित किया. यह दो दिवसीय सम्मेलन सुप्रीम कोर्ट ने आयोजित किया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सितंबर को समापन भाषण देंगी और सुप्रीम कोर्ट के झंडे व प्रतीक चिह्न का भी अनावरण करेंगी. इस बीच, एससीबीए के अध्यक्ष सिब्बल ने जिला न्यायालय के न्यायाधीशों की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला और कहा कि जब तक उनके वेतन और बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं किया जाता, न्याय वितरण प्रणाली की मात्रा और गुणवत्ता में कमी आती रहेगी. सिब्बल ने कहा कि तथ्य यह है कि निचली अदालत और जिला एवं सत्र न्यायालय कुछ महत्वपूर्ण मामलों में जमानत देने से कतराते हैं. जिला न्यायालयों की स्थिति पर उन्होंने कहा कि कमजोर नींव वाली कोई भी संरचना इमारत को प्रभावित करेगी और अंततः ढह जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रतिभाशाली युवा न्यायाधीशों के काम करने की ‘खराब परिस्थितियों’ के कारण जिला अदालतों में नियुक्तियां नहीं चाहते हैं. सिब्बल ने कहा, “कई न्यायाधीश, कड़ी मेहनत और उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र के लिए महान सेवा कर रहे हैं, भले ही वे उचित न्यायालय कक्षों और कार्यालय सुविधाओं, स्टेनोग्राफर एवं सहायक कर्मचारियों के अभाव में काम करते हों अथवा घर पर पुस्तकालय सुविधाओं, उचित आवासीय और आवश्यक परिवहन सुविधाओं से वंचित हों.” Tags: DY Chandrachud, Kapil sibal, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 31, 2024, 20:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed