यहां कजरी विसर्जन के बाद ही राखी बांधती हैं बहनें नागमंचमी को ही कर देती हैं
यहां कजरी विसर्जन के बाद ही राखी बांधती हैं बहनें नागमंचमी को ही कर देती हैं
Kajri Tradition: मनीषा सहित अन्य लड़कियों ने बताया कि पूरे गांव में आज भी नाग पंचमी के दिन घरों में कजरी बोई जाती है. इसके बाद रक्षाबंधन के दिन सुबह गाने बाजे के साथ कजरी को.........
रिपोर्ट- विकाश कुमार
चित्रकूट: आज के इस आधुनिक दौर में पुरानी परंपराएं धीमे-धीमे लुप्त होती जा रही हैं. बड़े-बड़े शहरों से यह परंपराएं लुप्त भी हो चुकी हैं. लेकिन, आज भी इन छोटी बड़ी सभी परंपराओं को ग्रामीण क्षेत्र के लोग मानते और मनाते हैं. ग्रामीण इलाकों के लोग अधिकतर छोटी बड़ी परंपराओं को पहले की तरह मानते हैं. बुंदेलखंड के मानिकपुर पाठा क्षेत्र के साथ ही बुंदेलखंड के अन्य इलाकों की भी बात करें तो वहां सावन के महीने में कजरी बोने की परंपरा है. महिलाएं और लड़कियां इस समय अपने घरों में कजरी बोती हैं. शहरों से यह परंपरा लुप्त हो चुकी है. पाठा क्षेत्र के लोग इस परंपरा को अभी भी बचाए हुए हैं.
पुरानी परंपरा पाठा क्षेत्र में आज भी कायम
कजरी का त्यौहार आदिवासी और अन्य समाज के रहने वाले लोग बखूबी मनाते हैं. सावन की शुरुआत होने के बाद वह लोग अपने घरों में कजरी को बो देते हैं. बताया जाता है कि इसको गांव घर की महिलाएं व लड़कियां नाग पंचमी के दिन बोती हैं और रक्षाबंधन के दिन गाना बाजा के साथ पास में मौजूद नदियों में विसर्जित कर देती हैं और उसके बाद ही रक्षाबंधन का त्यौहार मनाती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव खुश होते हैं और महिलाओं के पति को लंबी उम्र के आशीर्वाद के साथ-साथ लड़कियों को अच्छा वर मिलने का वरदान देते हैं.
लड़कियों ने बताई क्या है पूरी परंपरा
चित्रकूट पाठा क्षेत्र की मनीषा सहित अन्य लड़कियों ने बताया कि पूरे गांव में आज भी नाग पंचमी के दिन घरों में कजरी बोई जाती है. इसके बाद रक्षाबंधन के दिन सुबह गाने बाजे के साथ कजरी को पास में ही मौजूद नदी और तालाबों में विसर्जित करने जाते हैं. विसर्जन के बार कजरी में बोई कुछ जौ को अपने साथ घर ले आते हैं और घर में मौजूद भाई और घर के बड़े बुजुर्गों के कान में यह जौ लगाई जाती है. इसके बाद बड़े बुजुर्ग लड़कियों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेकर उनको दान दक्षिणा देते हैं.
कजरी विसर्जन के बाद बांधी जाती है राखी
गांव में मौजूद अन्य लड़कियों और महिलाओं ने बताया कि यह परंपरा बड़े बुजुर्गों से चली आ रही है. उसी के तहत आज भी लोग इस परंपरा को निभा रहे हैं. आज भी उनके यहां पूरे गांव और इस क्षेत्र में सावन के महीने में कजरी घर-घर में बोई जाती है और कजरी का विसर्जन करने के बाद ही लड़कियां अपने भाई को राखी भी बांधती हैं.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 15:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed