गन्ने की पत्तियों से इस विधि से तैयार करें खादमरे पौधों में आ जाएगी जान!
गन्ने की पत्तियों से इस विधि से तैयार करें खादमरे पौधों में आ जाएगी जान!
डॉ. प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की कटाई के बाद बची हुई गन्ने की पत्तियों को खेत में ही निस्तारित करें. जिससे मृदा का स्वास्थ्य सुधरेगा. मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी. जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : अगर आप गन्ना किसान है तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. इन दिनों गन्ने की कटाई हो चुकी है. ऐसे में अगर आप गन्ने में पेड़ी से दूसरी फसल लेना चाहते हैं तो बेहतर पेड़ी प्रबंध करना जरूरी है. ताकि अगले साल आपको अच्छा उत्पादन मिल सके. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर पेड़ी प्रबंधन में देरी की तो गर्मी के मौसम में किसानों को नुकसान भी हो सकता है.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की कटाई के बाद किसानों को पेड़ी प्रबंधन के लिए काम करना चाहिए. क्योंकि अप्रैल और मई महीने में बढ़ रहा तापमान गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में सबसे पहले खेत में पानी चला दें. पानी चलाने के बाद 75 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से गन्ने के ठूंठों के ऊपर छिड़काव कर दें. यूरिया छिड़काव करने के बाद हल्की गुड़ाई कर दें या फिर छोटे रोटावेटर से ठूंठों के बीच की जगह को जोत दें.
गन्ने की पत्तियों से खाद बनाने की विधि
डॉ. प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की कटाई के बाद बची हुई गन्ने की पत्तियों को खेत में ही निस्तारित करें. जिससे मृदा का स्वास्थ्य सुधरेगा. मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी. जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा. डॉ श्री प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की पत्तियों को लाइनों में सेट करने के बाद पानी चला दें. पानी इतना चलाएं की पत्तियां डूब जाए. उसके बाद 4 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से ऑर्गेनो डीकंपोजर ,2 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर गन्ने की पत्तियों के ऊपर डाल दें. 30 से 35 दिन के बाद गन्ने की पत्तियां सड़ कर खाद में तब्दील हो जाएगी. ऐसा करने से गन्ने में फुटाव अच्छा होगा. निकलने वाले कल्ले मजबूत होंगे और खेत में खरपतवार भी कम उगेंगे.
गैप फिलिंग भी है जरूरी
डॉ. प्रकाश यादव ने बताया कि पत्तियों को निस्तारित करने के बाद गैप फिलिंग करना भी जरूरी है. अगर एक ठूंठ से दूसरे ठूंठ के बीच एक फीट से ज्यादा दूरी हो तो गैप फिलिंग जरूर करें. डॉ श्री प्रकाश यादव ने बताया कि किसान सीधे दो आंखें या तीन आंख का टुकड़ा ना लगाएं बल्कि पॉलीबैग या फिर सिंगल बड़ से तैयार की हुई नर्सरी का पौधा ही लगाएं. ध्यान रखें कि यह पौधा आप गैप फिलिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं वह 20 से 25 दिन पुराना हो.
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Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : April 28, 2024, 14:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed