ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी से पहले कट्टरपंथी अमृतपाल की जीत पंजाब का रुख किधर
ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी से पहले कट्टरपंथी अमृतपाल की जीत पंजाब का रुख किधर
आखिर बीजेपी का पूरा देश में जादू चल भी जाए लेकिन पंजाब में वह मुंह की क्यों खा रही है. क्या वजह है कि पंजाब केंद्र के लिए भी बीजेपी को हाथोंहाथ नहीं लेता है. अमृतपाल राज्य में सर्वाधिक वोटों के अंतर से विजयी हुए सिंह और खालसा की निर्दलीय जीत....
पंजाब लोकसभा चुनाव 2024: भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह से राज्य की संसदीय सीटों से खारिज करते हुए लोकसभा चुनावों में पंजाब ने कांग्रेस के साथ अपनी प्रतिबद्धता फिर से जता दी. राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी कांग्रेस के पास 13 सीटों में से 7 सीटों आईं जबकि 3 सीटें आम आदमी पार्टी की झोली में गिरीं और बीजेपी के पास सीट का आंकड़ा शून्य रहा. देश का मतदाता सदैव अपने मन की बात वोटिंग के जरिए पेश करता है. ऐसे में मौजूदा चुनावों के जरिए न सिर्फ उसने बीजेपी को खारिज किया, बल्कि दो कट्टरपंथियों और खालिस्तान समर्थकों की निर्दलीय भी शानदार वोटों के अंतर से हराकर एक धड़े ने अपना खासा झुकाव भी जाहिर किया लगता है. पंजाब में इस बार चतुर्कोणीय चुनाव थे. पंजाब के चुनावी इतिहास में यह पहली बार था कि सभी पार्टियां अकेले अकेले चुनावी दंगल में थीं.
ऐसे में यह जानना जरूरी और दिलचस्प है कि आखिर बीजेपी का पूरा देश में जादू चल भी जाए लेकिन पंजाब में वह मुंह की क्यों खा रही है. क्या वजह है कि पंजाब केंद्र के लिए भी बीजेपी को हाथोंहाथ नहीं लेता है. अमृतपाल राज्य में सर्वाधिक वोटों के अंतर से विजयी हुए सिंह और खालसा की निर्दलीय जीत क्या पंजाब में एक खास मत के फैलाव का संकेत दे रहे हैं.. इसका जवाब हां में देना जल्दबाजी होगी तो इस एंगल को नजरअंदाज करना भी भूल होगी. सिंह और खालसा की जबरदस्त जीत और संकेत
गौरतलब है कि जीत के ऐलान के बाद अमृतपाल सिंह की माता जी ने कहा कि 6 जून को चूंकि ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी है इसलिए कोई जश्न न मनाया जाए. खडूर साहिब से अमृतपाल सिंह ने जेल में बैठे-बैठे कांग्रेस के कुलबीर जीरा को 197120 वोटों से हरा दिया. ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख अमृतपाल वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. उनकी मां ने यह भी कहा कि हमारी जीत उन सभी लोगों को समर्पित है, जिन्होंने अपनी जान गंवाई है.
वहीं, फरीदकोट सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर ही लड़े और जीते सरबजीत सिंह खालसा वहीं हैं जिन्हें 2004, 2014, 2019 के आम चुनाव व 2007 के विधानसभा चुनाव में जनता ने स्वीकार नहीं किया था. इस बार उन्होंने AAP उम्मीदवार करमजीत अनमोल को बड़े अंतर से हराया. 6 जून ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी
सरबजीत दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह के बेटे हैं. बीजेपी के हंसराज हंस भी इस सीट से खड़े थे. बता दें कि सरबजीत सिंह की मां बिमल कौर भी 1989 में रोपड़ से सांसद रह चुकी हैं. पंजाब में बेअंत सिंह को शहीद का दर्जा जनमानस में दिया जाता है, ऐसे में इस परिवार के साथ लोगों की सहानुभूति और सम्मान भी था. साथ ही सरबजीत सिंह 2015 में यहीं के गांव बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी का मुद्दा उठाने और इसी मसले को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ेंगे, ऐसा कहा था. बीजेपी को क्यों करना पड़ रहा शून्य से संतोष
पंजाब का वोटर सदैव ही बीजेपी को दूर खिसकाता रहा है. वोट पैटर्न साफ बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में बीजेपी बुरी तरह हारी क्योंकि किसान आंदोलन का सीधा असर था. इस कारण पंजाब के निवासियों खासकर सिख मतदाताओं के विरोध का सामना बीजेपी को करना पड़ा है. शहरी इलाकों में फिर भी बीजेपी की पकड़ देखी गई लेकिन सिख मतदाताओं व ग्रामी्ण मतदाताओं के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा.
Tags: Amritpal Singh News, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Punjab newsFIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 14:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed