धोखे ने बदली इस किसान की तकदीर! यह काम शुरू कर बन गया मालामाल

प्रभाकर बताते हैं कि वह रोहू, नैन, भाकुर (कतला), ग्रास कार्प, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प(बिगहेड) जैसी उन्नत किस्म की मछली की प्रजातियों का पालन करते हैं.  मछली के बच्चे वह उन्नाव, जैदपुर( बाराबंकी ) से लेकर आते हैं 

धोखे ने बदली इस किसान की तकदीर! यह काम शुरू कर बन गया मालामाल
सौरभ वर्मा/रायबरेली:कहते हैं जिसने जिंदगी में कभी ठोकर नहीं खाई. उसने कभी चलना नहीं सीखा. यह पंक्तियां यूपी के रायबरेली जनपद के शिवगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत निबड़वल गांव के रहने वाले प्रभाकर यादव के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती है. इस किसान ने विपरीत परिस्थितियों  में हार मानने के बजाय अपनी मेहनत की. आज वह मालामाल बन गया है. प्रभाकर यादव मूलतः आजमगढ़ जनपद के बुढ़नपुर तहसील अंतर्गत दारूपुर गांव के रहने वाले हैं. जिनका सपना था कि यूपी की राजधानी लखनऊ में उनका अपना आशियाना हो. जिसे पूरा करने के लिए वह वर्ष 1995 में यूपी की राजधानी लखनऊ आ गए. उनका यह सपना तो नहीं पूरा हो सका, क्योंकि नियति को कुछ और ही मंजूर था. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और लखनऊ से सटे रायबरेली जनपद में अपने एक मित्र की सहायता से आशियाना बनाने के साथ ही खेती किसानी के लिए जमीन भी खरीदी. प्रभाकर ने नहीं हारी हिम्मत लेकिन उनकी चुनौतियां अभी समाप्त नहीं हुई थी. दरअसल जिस जमीन को उन्होंने खेती किसानी के लिए खरीदा था, उसमे भी उन्हें धोखा मिला. क्योंकि वह तो तराई क्षेत्र में निकली. जहां पर खेती किसानी करना असंभव था. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मत्स्य पालन करने का मन बनाया. इसके बाद वह रायबरेली जनपद के मत्स्य निरीक्षक विजय कुमार से मिले, उनसे मत्स्य पालन की जानकारी हासिल करके उन्होंने मत्स्य पालन का काम शुरू कर दिया. अब वह इस काम से सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. 6 प्रजातियों की मछली का पालन प्रभाकर बताते हैं कि वह रोहू, नैन, भाकुर (कतला), ग्रास कार्प, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प(बिगहेड) जैसी उन्नत किस्म की मछली की प्रजातियों का पालन करते हैं.  मछली के बच्चे वह उन्नाव, जैदपुर( बाराबंकी ) से लेकर आते हैं  और मछलियों के चारे के लिए वह चावल की पॉलिश, मुर्गी की खाद, सरसों की खली का प्रयोग करते हैं. लखनऊ व गोरखपुर की बाजार में करते हैं बिक्री वह बताते हैं कि तालाब में तैयार मछलियों को वह लखनऊ से लेकर गोरखपुर के बाजारों में बिक्री के लिए भेजते हैं. जहां से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है. 15 से 20 लाख रुपए तक सलाना हो जाती कमाई Local 18 से बात करते हुए किसान प्रभाकर बताते हैं कि आजमगढ़ से रायबरेली जिले तक का सफर पूरा करने में उनके पिता का अहम योगदान रहा. उनके पिता ने उनके इस सपने को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई. वह बताते हैं कि यहां पर जमीन खरीदने के लिए उनके पिता ने आर्थिक सहायता की. उसके बाद उन्होंने मछली पालन का काम शुरू किया. अब वह 22 बीघा यानि  पांच हेक्टेयर में मछली पालन का काम कर रहे हैं. जिसमें 4 से 5 लाख रुपए की लागत आती है, तो वहीं लागत के सापेक्ष सालाना 15 से 20 लाख रुपए तक आसानी से कमाई हो जाती है. वह बीते 28 वर्षों से यह कार्य कर रहे हैं. Tags: Hindi news, Local18, Success StoryFIRST PUBLISHED : May 5, 2024, 15:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed