एक बार लगाओ 60 साल तक कमाओ पैसों की बरसात कर देती है यह खेती

काली मिर्च की खेती करने वाले किसानों को ध्यान देना होगा कि यह बेल (लता) वर्गीय फसल होती है.इसीलिए इसकी खेती मचान विधि से की जाती है, क्योंकि बेल को चढ़ाने के लिए मचान का प्रयोग किया जाता है .

एक बार लगाओ 60 साल तक कमाओ पैसों की बरसात कर देती है यह खेती
सौरभ वर्मा/रायबरेली: रसोई घर में अपने जायके का जलवा बिखरने वाली काली मिर्च को मसालों का राजा कहा जाता है. क्योंकि स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाने में मसालों का अहम योगदान होता है. जिनमें काली मिर्च अपना अलग स्थान रखती है. लगभग सभी रसोई घरों में यह मसला आपको मिल जाएगा. वहीं अगर इसके उत्पादन की बात की जाए तो भारत पूरे विश्व में काली मिर्च के उत्पादन में पहला स्थान रखता है. क्योंकि दक्षिण भारत के अधिकतर हिस्सों में इसकी खेती की जाती है. आपको बताते चलें कि अकेले 90% इसका उत्पादन केवल केरल में किया जाता है. यह बेल वर्गीय फसल होती है. जो कम लागत में अधिक मुनाफा देती है. इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं .तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं काली मिर्च की खेती से जुड़ी सभी जानकारी के बारे में. कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी (बीएससी एजी) बताते हैं कि रसोई घर में मसाले के रूप में प्रयोग की जाने वाली काली मिर्च की खेती प्रमुख रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों में की जाती थी. लेकिन अब देश के सभी हिस्सों में अधिकतर किसान इसकी खेती पर जोर दे रहे हैं . यह मिट्टी मानी जाती है उपयुक्त  वह बताते हैं कि काली मिर्च की खेती के लिए लाल उत्तम मिट्टी एवं लाल लेटेराइट मिट्टी अत्यधिक उपयुक्त मानी जाती है. साथ ही मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 के बीच का होना चाहिए एवं तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस सबसे बेहतर माना जाता है. वहीं इसके पौधों को छाया की अधिक जरूरत होती है. दो वर्ष तक इसके पौधे को धूप से बचाना होता है. इस विधि से होती है इसकी खेती  काली मिर्च की खेती करने वाले किसानों को ध्यान देना होगा कि यह बेल (लता) वर्गीय फसल होती है.इसीलिए इसकी खेती मचान विधि से की जाती है, क्योंकि बेल को चढ़ाने के लिए मचान का प्रयोग किया जाता है . यह फसल मुख्य रूप से दक्षिण भारत के कई हिस्सों में उगाई जाती है. इस माह में करें पौधे की रोपाई  LOCAL 18 से बात करते हुए एडीओ एजी दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि काली मिर्च की खेती के लिए सितंबर माह सबसे उपयुक्त माना जाता है .इस माह में पौधे की रोपाई कर दी जाती है. यह फसल रोपाई के 6 से 8 महीने के अंतराल पर उत्पादन देना शुरू कर देती है. इसकी फसल की एक बार रोपाई करने के बाद किसान 60 साल तक इससे मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि इसके पौधे की औसतन उम्र 60 साल तक मानी जाती है. आगे की जानकारी देते हुए बताते हैं कि काली मिर्च के बीज की सीधे खेत में रोपाई नहीं की जा सकती है. क्योंकि इसके बीज को अंकुरित होने में भी काफी समय लगता है. इसीलिए इसकी खेती के लिए नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं. उसके बाद उनकी रोपाई की जाती है. वहीं गर्मी के मौसम में 15 दिन के अंतराल पर खेत की सिंचाई करते रहना चाहिए. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 14, 2024, 16:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed