कहानी फिल्मी नहीं ये हैं भारत के रियल Pad Manगांव-गांव जाकर करते हैं ये काम
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Pad Man of India: पश्चिम बंगाल के टीचर सुमंत विश्वास महिलाओं को मेंस्ट्रुअल साइकिल के प्रति जागरूक करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सैनिटरी नैपकिन के बजाय मेंस्ट्रुअल कप के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं. यह पहल महिलाओं की सेहत और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है
हुगली: पश्चिम बंगाल के एक भूगोल शिक्षक सुमंत विश्वास ने बंगाल के सुदूर इलाकों में महिलाओं को मेंस्ट्रुअल साइकिल के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. तमिलनाडु के अरुणाचलम मुरुगनाथम, जिन्हें देश के ‘पैडमैन’ के रूप में जाना जाता है, की तरह सुमंत भी महिलाओं की सेहत और स्वच्छता के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
दूरदराज के गांवों में महिलाओं के बीच जागरूकता अभियान
2018 से सुमंत और उनके छात्रों ने बंगाल के कई गांवों में जाकर महिलाओं को मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने सैनिटरी नैपकिन के उपयोग और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने पर जोर दिया. उनका उद्देश्य था महिलाओं को यह समझाना कि मेंस्ट्रुअल साइकिल केवल एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है.
पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम
शुरुआत में सुमंत ने सैनिटरी नैपकिन का वितरण किया, लेकिन बाद में उन्हें यह जानकारी मिली कि उपयोग किए गए नैपकिन को नष्ट होने में कई साल लगते हैं, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है. इसके बाद उन्होंने महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन के बजाय मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना शुरू किया.
क्या है मेंस्ट्रुअल कप?
मेंस्ट्रुअल कप एक छोटा, लचीला और फ़नल के आकार का उपकरण है, जो सिलिकॉन या रबर से बना होता है. इसे मासिक धर्म के दौरान योनि में डाला जाता है, जो रक्त को इकट्ठा करता है. यह सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन से अधिक प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल है. इसे 12 घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे बार-बार नैपकिन बदलने की जरूरत नहीं रहती.
स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए फायदेमंद
सुमंत बताते हैं कि एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन 1000 से अधिक सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती है, जिससे हर महीने 11300 टन कचरा उत्पन्न होता है. इन नैपकिन को नष्ट होने में 100 से 500 साल तक का समय लगता है. इसके अलावा, नैपकिन के उपयोग से रैशेज और संक्रमण का खतरा भी होता है.
मिथकों को तोड़ने का प्रयास
मेंस्ट्रुअल कप के उपयोग को लेकर महिलाओं में कई भ्रांतियां और डर हैं, जैसे कौमार्य खोने का डर. सुमंत और उनके छात्रों ने इन गलत धारणाओं को दूर करने के लिए जागरूकता फैलाई. मेंस्ट्रुअल कप सुरक्षित, फिर से इस्तेमाल करने और किफायती है, बशर्ते इसे सही तरीके से साफ किया जाए.
सुमंत का संदेश
सुमंत का मानना है कि मेंस्ट्रुअल कप न केवल महिलाओं की सेहत के लिए बेहतर है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करता है. वह महिलाओं को प्रेरित करते हैं कि वे इस उत्पाद को अपनाकर अपनी सेहत और पर्यावरण दोनों का ख्याल रखें.
Tags: Local18, Special Project, West bengalFIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 12:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed