पुत‍िन ने दोस्‍त असद की बचाई जान भारत-रूस दोस्‍ती की बुन‍ियाद यही तो है

India Russia Relation: रूस के राष्‍ट्रपत‍ि व्‍लाद‍िमीर पुत‍िन ने ज‍िस तरह सीरिया के राष्‍ट्रपत‍ि बशर अल असद को अपने यहां शरण दी. भारत को दुन‍िया का सबसे घातक मल्टी रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्र‍िगेट INS तुशिल सौंपा. उससे साफ है क‍ि रूस अपने दोस्‍तों का साथ कभी नहीं छोड़ता, चाहे हालात कोई भी हों.

पुत‍िन ने दोस्‍त असद की बचाई जान भारत-रूस दोस्‍ती की बुन‍ियाद यही तो है
सीरिया के राष्‍ट्रपत‍ि बशर अल असद पर जब संकट आया, तो दोस्‍त व्लादिमीर पुतिन ने पूरी ताकत लगाकर उनकी जान बचाई. यहां तक क‍ि उन्‍हें अपने यहां राजनीत‍िक शरण भी दी. उनके ल‍िए पूरी दुन‍िया से लड़ते नजर आए. वहीं, यूक्रेन जंग में तो पहले तो अमेर‍िका यूक्रेन को उकसाता रहा और बाद में पीछे हट गया. ये सिर्फ दो कहान‍ियां नहीं हैं, भारत-रूस दोस्‍ती की बुन‍ियाद भी यहीं है. क्‍योंक‍ि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रव‍िवार को उसी रूस में थे, ज‍िसने हमें दुन‍िया का सबसे घातक मल्टी रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्र‍िगेट INS तुशिल सौंपा. रक्षा मंत्री खुद उसके जलावतरण का गवाह बने. रूसी शहर कलिनिनग्राद में INS तुशिल को समुद्र में उतारा गया और रक्षामंत्री ने इसे इंड‍ियन नेवी के बेड़े में शामिल कराया. राजनाथ सिंह ने एक्‍स पर लिखा, INS तुशिल का जलावतरण देख आनंदित हूं. यह नवीनतम मल्टी रोल स्टील्थ फीचर से लैस गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है. यह युद्धपोत भारत की बढ़ती सामुद्रिक ताकत और भारत-रूस की दोस्ती का जीता जागता प्रमाण है. राजनाथ ने बताया क‍ि यह युद्धपोत भारत और रूस ने मिलकर तैयार क‍िया है. एआई, साइबर सिक्‍योर‍िटी, स्‍पेस रिसर्च जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे की एक्‍सपर्टीज का लाभ उठाकर भारत और रूस एक नए युग में प्रवेश करने जा रहे हैं. Delighted to attend the Commissioning Ceremony of #INSTushil, the latest multi-role stealth-guided missile frigate, at the Yantar Shipyard in Kaliningrad (Russia). The ship is a proud testament to India’s growing maritime strength and a significant milestone in long-standing… pic.twitter.com/L6Pok31wQJ — Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 9, 2024

असद को पुत‍िन ने बनाया अपना विशेष मेहमान
उधर, रूस के राष्‍ट्रपत‍ि के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि बशर अल-असद और उनके परिवार को रूस में शरण देने का निर्णय व्लादिमीर पुतिन ने व्यक्तिगत रूप से लिया था. वे पल-पल हालात पर नजर रख रहे थे. जब उनसे असद के बारे में और जानकारी मांगी गई, तो उन्‍होंने साफ कह दिया क‍ि वे राष्‍ट्रपत‍ि पुत‍िन के मेहमान हैं. हम उनके बारे में और जानकारी देने के ल‍िए बाध्‍य नहीं हैं. असद कहां पर रुके हैं, कब आए और कब तक यहां रहेंगे, इसके बारे में हम कुछ भी नहीं बता सकते. साफ है क‍ि पुत‍िन ने असद के बारे में ज्‍यादा जानकारी शेयर करने से मना क‍िया है, ताक‍ि असद और उनके पर‍िवार को कोई खतरा न हो.

रूस ने हर कदम दिया भारत का साथ
अमेर‍िका हमेशा भारत पर दबाव डालता है क‍ि वह रूस से नजदीकी रिश्ता खत्‍म करे. लेक‍िन विदेश मंत्री एस जयशंकर साफ-साफ कह चुके हैं क‍ि रूस से रिश्ता कभी खत्‍म नहीं हो सकता. रूस के साथ संबंध क‍िसी और देश की वजह से नहीं हैं. दोनों के बीच बहुत पुराने और बेहद सहज रिश्ते हैं. चाहे बात 1971 की हो या फ‍िर कारग‍िल युद्ध की, रूस ने एक कदम आगे बढ़कर भारत का साथ दिया है. हथ‍ियार तो मुहैया कराए ही, वैश्व‍िक मंचों पर भी भारत को बचाता रहा है. रिश्ता भारत ने भी उसी तरह निभाया. जब पश्चिमी देशों ने रूस पर ताबड़तोड़ प्रत‍िबंध लगाए, तेल खरीदना बंद कर दिया. रूस के पास कोई चारा नहीं बचा था, तब भारत ने अमेर‍िका और पश्च‍िमी देशों से लड़ाई मोल लेते हुए तेल खरीदा. अमेर‍िका लाख कहता रहा क‍ि भारत को रूस से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिए, धमकी देता रहा, लेकिन पीएम मोदी उसके आगे डटे रहे.

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