3 बीघे में ढाई लाख की कमाई शिमला मिर्च की खेती ने बदली किसान की किस्मत

जिले के इस किसान को ग्रीन शिमला मिर्च की खेती में लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा हो रहा है. जिसके लिए वह कई वर्षों से शिमला मिर्च की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.

3 बीघे में ढाई लाख की कमाई शिमला मिर्च की खेती ने बदली किसान की किस्मत
बाराबंकी. किसान पारंपरिक खेती छोड़ ऐसी फसलों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं जिससे अच्छी कमाई हो सके. वहीं बरसात और गर्मियों के मौसम में सबसे अधिक टमाटर भिंडी लोबिया शिमला मिर्च आदि हरी सब्जियों की ज्यादा मांग होती है. वहीं मार्केट में शिमला मिर्च की खूब बिक्री होती है लोग सब्जी के अलावा और भी कई चीजों में इस्तेमाल करते है. इसलिए इस मौसम में इसकी मांग भी खूब होती है.गर्मी के सीजन में किसान इसकी खेती करते हैं और अच्छी मात्रा में उपज भी प्राप्त होती है. अच्छी उपज के लिए इसकी उन्नत किस्मों की खेती करते हैं. मांग अधिक रहने के कारण इसकी कीमत भी अच्छी रहती है और किसानों को अच्छा मुनाफा भी होता है जिले के इस किसान को ग्रीन शिमला मिर्च की खेती में लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा हो रहा है. जिसके लिए वह कई वर्षों से शिमला मिर्च की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. बाराबंकी जिले के बंकी ब्लॉक क्षेत्र के बड़ेल गांव के रहने वाले किसान रवि मिश्रा ने पारंपरिक फसलों से हटकर शिमला मिर्च की खेती की शुरुआत की. जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा देखने को मिला. आज वह करीब तीन बीघे में शिमला की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें 2 से ढाई लाख रुपये मुनाफा एक फसल पर हो रहा है. एक बीघा में खर्चा इसकी खेती करने वाले किसान रवि मिश्रा ने बताया धान गेहूं आदि की खेती करते थे जिसमें मुझे कोई खास मुनाफा नहीं हो पाता था. फिर हमने एक बीघे में शिमला मिर्च की खेती की शुरुआत की जिसमें हमें अच्छा मुनाफा देखने को मिला. आज करीब तीन बीघे में शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं जिसमें लागत करीब एक बीघे में 15 से 20 हजार रुपये आती है. क्योंकि इसमें बीज कीटनाशक दवाइयां पन्नी लेबर आदि का खर्च थोड़ा ज्यादा आ जाता है और वहीं मुनाफा करीब एक फसल पर दो से ढाई लाख रुपए तक हो जाता है. दरअसल बरसात में शिमला मिर्च की काफी ज्यादा डिमांड रहती है. ऐसे होती है खेती उन्होंने आगे बताया, ‘इसकी खेती करना बहुत आसान है पहले हम खेत की जुताई करते हैं उसके बाद हम मेड़ बनाते हैं फिर उन मेड़ों पर पन्नी बिछा दी जाती है. पन्नी में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छेंद कर शिमला मिर्च के पौधे को लगाया जाता है. फिर इन पेड़ों में गोबर की खाद डाल दी जाती है उसके बाद जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है तब इसकी सिंचाई करते हैं. वहीं पौधा लगाने के महज दो महीने बाद फसल निकलना शुरू हो जाती है जिसे हम तोड़कर हर दिन बाजारों में बेच सकते हैं. Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 15:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed