जानें क्या है तीस्ता नदी विवाद जो भारत-बांग्लादेश संबंधों में बना हुआ है रोड़ा

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त बयान में कहा, "दोनों देशों ने कई लंबित मुद्दों को सुलझा लिया है और हमें उम्मीद है कि तीस्ता जल बंटवारा संधि सहित सभी लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा."

जानें क्या है तीस्ता नदी विवाद जो भारत-बांग्लादेश संबंधों में बना हुआ है रोड़ा
हाइलाइट्सभारत दौरे पर आईं बांग्लादेश की पीएम ने तीस्ता नदी विवाद के सुलझने की उम्मीद जताई है.संयुक्त प्रेस सम्मेलन में पीएम शेख हसीना ने भारत के साथ संबंधों को लेकर बातचीत की.भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी विवाद का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है. नई दिल्ली. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को संयुक्त प्रेस वार्ता में उम्मीद जताईं है कि भारत के साथ तीस्ता जल बंटवारा का मसला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों पर बात की और भारत को बांग्लादेश का सबसे महत्वपूर्ण और निकटतम पड़ोसी बताया. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त बयान में कहा, “दोनों देशों ने कई लंबित मुद्दों को सुलझा लिया है और हमें उम्मीद है कि तीस्ता जल बंटवारा संधि सहित सभी अन्य लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा.” बता दें कि तीस्ता नदी विवाद भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय वार्ता का अहम मुद्दा है. DW की रिपोर्ट के मुताबिक तीस्ता नदी के पानी पर विवाद बंटवारे के वक्त से ही चल रहा है. तीस्ता के पानी के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने साल 1947 में सर रेडक्लिफ के नतृत्व में गठित सीमा आयोग से दार्जलिंग और जलपाईगुड़ी को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में शामिल करने की मांग की थी. लेकिन कांग्रेस और हिंदू महासभा के विरोध के चलते सीमा आयोग ने तीस्ता का अधिकांश हिस्सा भारत को सौंप दिया. लेकिन साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश ने एक बार फिर तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे को लेकर मुद्दा उठाया. इसके बाद साल 1972 में भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग का गठन किया गया. साल 1996 में गंगा के पानी पर हुए समझौते के बाद तीस्ता के पानी के बंटवारे की मांग ने फिर जोर पकड़ी और तब से यह मुद्दा लगातार विवादों में हैं. ममता बनर्जी के विरोध के चलते नए प्रारूप पर नहीं हो पाए थे हस्ताक्षर साल 1983 में तीस्ता के पानी पर बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था. जिसके बाद बांग्लादेश को 36 फीसदी और भारत को 39 फीसदी तीस्ता के पानी का इस्तेमाल करने का हक मिला. लेकिन बाकी बचे 25 फीसदी का आंवटन नहीं हो सका. वहीं गंगा समझौते के बाद दूसरी नदियों के लिए विशेषज्ञों की एक साझा समिति तैयार की गई. इस समिति ने तीस्ता को महत्वता देते हुए साल 2000 में समझौते पर एक मसौदा तैयार किया. साल 2010 में बांग्लादेश और भारत ने इस मसौदे को अंतिम मंजूरी दे दी थी. साल 2011 में तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता करार पर हस्ताक्षर करने वाले थे. लेकिन ममता बनर्जी की तरफ से विरोध जताए जाने पर इसे स्थगित कर दिया गया था. बांग्लादेश में 54 नदियां भारत से होकर जाती हैं बता दें कि पिछले महीने ही भारत और बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग की बैठक दिल्ली में आयोजित की गई थी. इस दौरान तीस्ता नदी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. तीस्ता नदी सिक्किम से निकलकर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है और फिर आखिर में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना में मिल जाती है. बता दें कि बांग्लादेश में कुल 230 नदियां हैं, जिनमें से 54 भारत से होकर बहती हैं. मंगलवार को प्रेस वार्ता में शेख हसीना ने पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की. उन्होंने कहा, “मैं पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करती हूं, जो हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और गति प्रदान कर रहा है. भारत बांग्लादेश का सबसे महत्वपूर्ण और निकटतम पड़ोसी है. भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध पड़ोस की कूटनीति के लिए एक आदर्श के रूप में जाने जाते हैं.” ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Bangladesh, Sheikh hasinaFIRST PUBLISHED : September 06, 2022, 15:48 IST