पढ़ाई के प्रति जुनून लेकिन गांव में स्कूल नहीं जानिए इस प्रोफेसर की कहानी

Success Story Professor Vineet Narayan Dubey: सुविधाओं के अभाव में भी जोश, जुनून और उत्साह का परिणाम कैसे मिल सकता है, यह प्रोफ़ेसर विनीत नारायण दुबे की कहानी से स्पष्ट होता है. इनकी कहानी पढ़कर आपके अंदर भी मेहनत करने का जोश हाई हो जाएगा.

पढ़ाई के प्रति जुनून लेकिन गांव में स्कूल नहीं जानिए इस प्रोफेसर की कहानी
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: यह कहानी है प्रोफ़ेसर विनीत नारायण दुबे की, जिनकी सफलता का सफर न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और मेहनत से कैसे सफलता हासिल की जा सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण है. सुविधाओं के अभाव में भी जोश, जुनून और उत्साह का परिणाम कैसे मिल सकता है, यह प्रोफ़ेसर दुबे की कहानी से स्पष्ट होता है. प्रोफ़ेसर विनीत नारायण दुबे ने लोकल 18 को बताया कि उनका जन्म जौनपुर जिले के ददरा गांव में हुआ था. वर्तमान में वह श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया में भूगोल विभाग के प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष के पद पर पिछले 21 वर्षों से कार्यरत हैं. बचपन के दिन याद करते हुए उन्होंने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उस समय गांव में प्राथमिक विद्यालय भी नहीं था. ग्रामीणों के सहयोग से एक छोटे से विद्यालय की स्थापना की गई, जिसमें बच्चे अपनी बोरियां लेकर पढ़ने जाते थे. वहां लकड़ी की तख्ती यानी पटरी पर पढ़ाई-लिखाई होती थी. पढ़ाई के प्रति जुनून प्रोफ़ेसर दुबे ने बताया कि पढ़ाई में उनका विशेष मन लगता था और इसलिए वे हमेशा एक मेधावी छात्र रहे. उनकी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गृह जनपद में ही पूरी हुई. हाई स्कूल में उनके गुरुजी, स्व. मातिवर सिंह ने भूगोल की इतनी अच्छी शिक्षा दी कि वे इस विषय से बेहद प्रभावित हो गए और भूगोल को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया. इसके बाद उन्होंने भूगोल विषय से इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. प्रोफेसर बनने का सफर विनीत नारायण दुबे ने बताया कि उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लेना एक सपना हुआ करता था, जिसे उन्होंने प्रयास करके साकार किया. वहां से उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने कई बार विज्ञापनों के माध्यम से प्रोफ़ेसर पद के लिए आवेदन किया. लेकिन, कुछ अंकों के अंतर से चयन नहीं हो पाया. 1999 में उन्होंने फिर से प्रयास किया और उच्चतर सेवा आयोग से चौथे स्थान पर चयनित होकर प्रोफ़ेसर बने. Tags: Ballia news, Local18, Success Story, UP newsFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 10:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed