नाम है अग्निमंथा अनेक रोगों को जलाकर कर देती है भस्म नामकरण भी है रहस्यमयी

आयुर्वेद में अग्निमंथा को अमृत समान गुणकारी बताया गया है.इस औषधि का खुद चरक संहिता में विस्तृत वर्णन मिलता है. लेकिन फिर भी इसका सेवन अपने आप न करें. एक आयुर्वेद चिकित्सक ही आवश्यकता अनुसार इसका मात्रा तय कर सकते हैं. इसलिए अपने आप अग्निमंथा का उपयोग बिलकुल नहीं करें. आयुर्वेदाचार्य या एक्सपर्ट की सलाह से ही इसका प्रयोग करें

नाम है अग्निमंथा अनेक रोगों को जलाकर कर देती है भस्म नामकरण भी है रहस्यमयी
रिपोर्ट-सनन्दन उपाध्याय बलिया. कुछ पौधे, खासकर जड़ी-बूटी वाले पौधे, हमारे स्वास्थ्य को दुरुस्त रखते हैं. कई पौधों की पत्तियों के सेवन से शरीर की बीमारियां दूर करने में मदद मिलती है. आज हम आपको एक ऐसी खास और महत्वपूर्ण औषधि के बारे में बताएंगे जिसका खुद चरक संहिता में विस्तृत वर्णन किया गया है. इसकी लकड़ी को रगड़ने पर चिंगारी निकलती है. इस कारण इसका नाम अग्निमंथा पड़ गया. आयुर्वेदाचार्य कहते हैं ये एक नहीं बल्कि तमाम बीमारियों को अपनी शक्ति से जलाकर भस्म करने वाली अमृत के समान औषधि है. राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की चिकित्साधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह के अनुसार आयुर्वेद में अग्निमंथा को अमृत समान गुणकारी बताया गया है. उन्होंने बताया इस औषधि का खुद चरक संहिता में विस्तृत वर्णन मिलता है. ऐसे पड़ा नाम अग्निमंथा डॉ. प्रियंका बताती हैं इसकी पुरानी लकड़ियों को रगड़ने पर अग्नि उत्पन्न होती है. इसलिए इसका नाम अग्निमंथा पड़ा. पेट की बीमारियों के लिए इसका विशेषकर उपयोग बताया गया है. तमाम रोगों में रामबाण डॉ प्रियंका ने आगे बताया जिन लोगों को पेट से संबंधित समस्या (गैस, खाना न पचना व कब्ज आदि) रहती हो तो यह औषधि संजीवनी बूटी का काम करती है. -अगर किसी को शुगर या मूत्र रोग हो तो इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत आराम मिलता है. -अगर किसी को एनीमिया यानी खून की कमी हो तो उनके लिए भी यह संजीवनी के रूप में गुणकारी है. -किसी को सूजन है तो इसके जड़ को पीस कर लगाने से सूजन की समस्या तुरंत खत्म हो जाती है. -शीत पित्त की समस्या में इसकी जड़ का कल्प खिलाने से राहत मिलती है. -इसकी पत्तियों को पीसकर उसका रस 3 से 5 ML पीने से मोटापे से संबंधित कई समस्या दूर हो जाती हैं. इसके अलावा यह श्वास रोग, टीबी, सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार और संक्रमण रोकने में रामबाण सिद्ध होती है. नहीं है कोई दुष्प्रभाव फिर भी रहें सावधान वैसे इस औषधि अग्निमंथा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. फिर भी बीमारी और उम्र के हिसाब से ही सेवन करना चाहिए इसलिए एक आयुर्वेद चिकित्सक ही आवश्यकता अनुसार इसका मात्रा तय कर सकते हैं. इसलिए अपने आप अग्निमंथा का उपयोग बिलकुल नहीं करें. आयुर्वेदाचार्य या एक्सपर्ट की सलाह से ही इसका प्रयोग करें (Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी. Local 18 इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.) (कितनी ही कहानियां है हमारे आसपास, हमारे गांव में-हमारे शहर में. किसी की सफलता की कहानी, किसी के गिरने की और उसके उठने की कहानी, किसान की कहानी, शहर की किसी परंपरा या किसी मंदिर की कहानी, रोजगार देने वाले की कहानी, किसी का सहारा बनने वाले की कहानी…इन कहानियों को दुनिया के सामने लाना, यही तो है लोकल-18. इसलिए आप भी हमसे जुड़ें. हमें बताएं अपने आसपास की कहानी. हमें वॉट्सऐप करें हमारे नंबर पर, 08700866366. ) . Tags: Ballia news, Health and Pharma News, Local18FIRST PUBLISHED : April 30, 2024, 20:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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