बेहद प्राचीन है आजमगढ़ का यह मंदिर बौरहा रूप में विराजमान हैं भगवान शिव

आजमगढ़ रेलवे स्टेशन के समीप बौरहा बाबा का आश्रम है जो लोगों के लिए बड़ा आस्था का केंद्र है. यहां पर दूर-दराज के लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. आश्रम परिसर में भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी है. यहां पर एक विशाल शिवलिंग विराजमान है. भगवान शिव ने इसी स्थान पर बौरहा रूप धारण किया था. भगवान राम जनकपुर जाते वक्त इस स्थान से होकर गुजरे थे.

बेहद प्राचीन है आजमगढ़ का यह मंदिर बौरहा रूप में विराजमान हैं भगवान शिव
आजमगढ़. यूपी के आजमगढ़ में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इकट्ठा होती है. लोग दूर-दूर से अपनी श्रद्धा और आस्था की पूर्ति के लिए धार्मिक केन्द्रों पर आते हैं. इसी तरह आजमगढ़ के रेलवे स्टेशन के समीप बौरहा बाबा का आश्रम है, जो लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां दूर- दराज के लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. आश्रम परिसर में भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी है. यहां  विशाल शिवलिंग भी विराजमान है. मान्यता है कि मंदिर में प्राचीन समय से ही शिवलिंग स्थापित है. भगवान राम ने किया था प्रवास मंदिर के महंत सिभादास महाराजने लोकल  18 को बताया कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर बौरहा रूप धारण किया था. यहीं शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ है. जब भगवान भोलेनाथ ने अपना विकराल रूप धारण किया था और विषपान के बाद बौरहा बाबा के रूप में इस स्थान पर तपस्या में लीन हुए थे. तभी से लेकर आज तक इस स्थान को बौरहा बाबा के स्थान के नाम से जाना जाता है. आस-पास के क्षेत्र से लोग प्रतिदिन यहां पर आकर शिवलिंग पर जल एवं दूध से अभिषेक करते हैं. इसके अलावा मंदिर में स्थित बौरहा बाबा की प्रतिमा के दर्शन-पूजन भी किए जाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम जनकपुर जाते वक्त जब तमसा नदी के पास प्रवास किया था, उस वक्त भगवान राम इस स्थान से होकर गुजरे थे. प्रशासन से नहीं मिलती कोई मदद आश्रम के महंत सोभादास ने लोकल 18 ने बताया कि यह आश्रम सतयुग के समय का है. भगवान भोलेनाथ के बौरहा रूप का दर्शन करने के लिए भगवान राम ने इस स्थान पर जनकपुर जाते समय प्रवास किया था. उन्होंने बताया कि मंदिर के संरक्षण के लिए प्रशासन किसी भी तरीके की मदद नहीं करता है. मंदिर का विकास जो भी हुआ है, वह यहां पर आने जाने वाले श्रद्धालुओं की मदद से संभव हो पाया है. रेलवे स्टेशन के समीप होने के कारण मंदिर क्षेत्र एवं मंदिर की जमीन पर पहले रेलवे का भी हस्तक्षेप हुआ करता था, लेकिन आस-पास के लोगों और श्रद्धालुओं के विरोध के बाद मंदिर परिसर की जगह को संरक्षित किया जाना संभव हो सका. Tags: Azamgarh news, Dharma Aastha, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 15, 2024, 17:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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