आजमगढ़ का हरिऔध काला केंद्र है बेहद खास इस कवि सम्राट से है कनेक्शन

कवि सम्राट पं. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के रचयिता थे. हिंदी साहित्य में उनके योगदान का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हिंदी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें एक बार सम्मेलन का सभापति बनाया और विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया गया था. उनके नाम पर आजमगढ़ में कला केन्द्र बनाया गया है.

आजमगढ़ का हरिऔध काला केंद्र है बेहद खास इस कवि सम्राट से है कनेक्शन
आजमगढ़. यूपी के आजमगढ़ की धरती से कई हस्तियां निकली, जो देश-विदेश में इस जिले का नाम सुनहरे अक्षरों में स्थापित किया. उन्ही नामचीन हस्तियों में से एक कवि सम्राट कहे जाने वाले पं. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ भी थे। पं. हरिऔध खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के रचयिता थे. हिंदी साहित्य में उनके योगदान का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हिंदी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें एक बार सम्मेलन का सभापति बनाया गया और विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया गया था. कवि सम्राट के नाम पर बना है कला केन्द्र  आजमगढ़ में बनाया गया कला केंद्र पं. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के नाम पर ही बनाया गया है. यह नवनिर्मित कला केंद्र आधुनिक सुविधाओं से लैस है. जिले में होने वाले तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हरिओम कला केंद्र से ही किया जाता है. पं. हरिऔध का साहित्यिक योगदान बहुत महत्वपूर्ण है और उन्हें हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महान कवि के रूप में याद किया जाता है. उन्होंने अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत किया है. उनकी कविताएं आज भी लोगों को प्रेरित करती है. आजमगढ़ के निजामाबाद में हुआ था जन्म पं. हरिऔधका जन्म 1865 में आजमगढ़ जिले के निजामाबाद में हुआ था. उन्होंने 5 वर्ष की आयु में फारसी की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी. मिडिल परीक्षा पास करने के बाद हरिऔध जी बनारस के क्वींस कॉलेज में पढ़ने चले गए. पढ़ाई पूरी करने के बाद सन 1889 में वह कानूनगो पद पर नियुक्त हुए थे. कुछ दिन नौकरी करने के बाद 1932 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी के शिक्षक के रूप में भी कार्य किया. 1942 में अध्यापन कार्य से मुक्ति लेने के बाद उनकी रुचि साहित्य की तरफ बढ़ी और साहित्य सेवा में लग गए.अपनी साहित्यिक रचनाओं के कारण पंडित हरिऔध को काफी ख्याति प्राप्त हुई. शहर के अठवरिया मैदान में लिखा था प्रिय प्रवास 1941 में  निजामाबाद लौटने के बाद उन्होंने आजमगढ़ में एक स्कूल भी खोला. वहां भी वे अध्यापन के लिए जाते थे. इस दौरान वे अपनी साहित्यिक रचनाओं पर विशेष समय व्यतीत करते थे. उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “प्रिय प्रवास” का काफी हिस्सा उन्होंने स्कूल और अठवरिया मैदान स्थित मंदिर में बैठकर लिखा था. कवि सम्राट नाम से प्रसिद्ध पंडित अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध ने कई प्रसिद्ध रचनाएं की थी. उन्होंने अधखिला फूल नामक उपन्यास भी लिखा, जिसने हिंदी साहित्य को अनोखे ढंग से समृद्ध किया है. बोलचाल नामक ग्रंथ लिखकर हिंदी मुहावरों के प्रयोग का मार्ग प्रशस्त किया. ठेठ हिंदी का ठाठ, वैदेही वनवास, पारिजात, रस-कलश, चुभते चौपदे आदि उनकी प्रमुख रचनाएं है. Tags: Azamgarh news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 13:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed