रंग महल में गलबहियां की नयनाभिराम झांकी देख निहाल हुए श्रद्धालु

गलबहियां की झांकी न केवल रंगमहल बल्कि संपूर्ण मधुरोपासना के क्षितिज की शानदार धरोहर की तरह है. भक्तों की मान्यता है कि सावन के झूलनोत्सव से आह्लादित रंगमहल के आराध्य इस कदर विह्वल होते हैं कि उनका विग्रह चिन्मय-चैतन्य होकर मां जानकी के विग्रह से स्पर्शित हो उठता है और युगल विग्रह के हाथ एक-दूसरे के कंधे से लगते हुए अभिन्नता का एहसास कराते हैं

रंग महल में गलबहियां की नयनाभिराम झांकी देख निहाल हुए श्रद्धालु
अयोध्या: मंदिर और मूर्तियों की नगरी अयोध्या में लगभग 8000 से ज्यादा मठ-मंदिर हैं. हर मठ-मंदिर की अपनी अलग परंपरा है. रंगमहल मंदिर अपनी प्राचीन पद्धति और परंपरा के लिए जाना पहचाना जाता है. माता जानकी की प्रधान पीठ वाले रंग महल में भगवान रामलला की सेवा दूल्हे के रूप में होती है. यहां के पुजारी अपने सिर पर आंचल लेकर खुद को मां जानकी की सखी के रूप में मानते हुए पूजा करते हैं. इस ऐतिहासिक मंदिर में सावन के पूरे माह में झूलनोत्सव मनाया जाता है. मंदिर में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रसिद्ध गलबहियां की झांकी होती है जिसमें भगवान श्रीराम व सीता के हाथ एक-दूसरे के गले में होते हैं. झूले पर सजीव रूप में मौजूद भगवान के स्वरूप की मनमोहक छवि की झांकी मनोहारी होती है. सावन में जिस तरह का माहौल अयोध्या में देखने को मिलता है ऐसा धरती पर और कहीं देखने को नहीं मिलता. यह उत्सव का 7 अगस्त को मणिपर्वत मेले के साथ शुरू होकर सावन पूर्णिमा मेले के साथ समाप्त होता है. आराध्य की इच्छा से होती है झांकी गलबहियां की झांकी न केवल रंगमहल बल्कि संपूर्ण मधुरोपासना के क्षितिज की शानदार धरोहर की तरह है. भक्तों की मान्यता है कि सावन के झूलनोत्सव से आह्लादित रंगमहल के आराध्य इस कदर विह्वल होते हैं कि उनका विग्रह चिन्मय-चैतन्य होकर मां जानकी के विग्रह से स्पर्शित हो उठता है और युगल विग्रह के हाथ एक-दूसरे के कंधे से लगते हुए अभिन्नता का एहसास कराते हैं. यद्यपि अर्चकों का समूह पूरे भाव और यत्न से गलबहियां का अनुष्ठान संपादित करता है. मंदिर के महंत और मधुर उपासना धारा के शीर्ष संत रामशरणदास के अनुसार गलबहियां की झांकी इसीलिए संभव हो पाती है कि उसमें आराध्य की इच्छा निहित मानी जाती है. दूर-दूर से आते हैं भक्त रंग महल मंदिर के महंत रामशरण दास ने बताया कि प्रभु राम 500 वर्ष बाद अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं. विराजमान होने के बाद यह पहला सावन झूला मेला है और सावन में अयोध्या के मठ-मंदिरों के सियाराम झूले पर विराजमान होते हैं. आज रंग महल मंदिर में गलबहियां की झांकी सजाई गई है. इस दृश्य को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रसिद्ध गलबहियां की झांकी होती है जिसमें भगवान श्रीराम व सीता के हाथ एक-दूसरे के गले में होते हैं. Tags: Ayodhya News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 15:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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