Opinion: सॉरी सुभाष ये बहादुरी नहीं बुजदिली है तुमने बेटे को बे-बाप कर दिया
Opinion: सॉरी सुभाष ये बहादुरी नहीं बुजदिली है तुमने बेटे को बे-बाप कर दिया
Atul Subhash Case Story: अतुल सुभाष... तमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. तुमने अपनी पत्नी के साथ अपने विवाद का तमाशा बनाकर अपने मासूम बेटे को बे-बाप कर दिया. इस मामले में तुम स्वार्थी निकले, जाते-जाते तुमने साहनुभूति बटोरने की कोशिश की लेकिन एक मासूम की जिंदगी के साथ खिलवाड़ की कीमत पर...
अतुल सुभाष… तुमने पारिवारिक कलह के कारण मौत को गले लगा लिया. तुम अच्छे खासे परिवार से थे. तुम्हारे पास पैसे थे, लेकिन तुम्हारा दांपत्य जीवन अच्छा नहीं था. इस कारण तुमने जीवन से लड़ने, व्यवस्था से लड़ने, समाज से लड़ने की बजाय एक बहुत आसान रास्ता चुना. तुम्हारे हिसाब से यह सबसे अच्छा रास्ता था, लेकिन हमारी नजर में तुम एक बुजदिल इंसान थे. क्योंकि इस समाज और दुनिया में हर किसी को जीवन के हर मोड़ पर परेशानी होती है. इस व्यवस्था में कई ऐसे नियम हैं, तमाम तरह की धांधलियां होती हैं जिससे एक इंसान का जीवन तबाह हो जाता है. तुम्हें मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी. तुम्हें तुम्हारी पत्नी के व्यवहार से चोट पहुंची. तुमने पत्नी के परिवार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. तुमने इससे लड़ने के बजाय उसका तमाशा बना दिया. तुमने केवल अपनी बात दुनिया के सामने रखी. तुम्हारी नजर में तुम्हें इंसाफ नहीं मिल रहा था, तुम बहुत परेशान थे, बावजूद इसके तुम अपने बेटे को बहुत चाहते थे.
लेकिन, अफसोस कि अतुल सुभाष तुममें चुनौतियों का सामना करने का जज्बा नहीं था. तुम पेशे से जरूर एआई इंजीनियर थे. तुम्हारे पेशे में भी कई तरह की परेशानियां आती होंगी. इस देश और दुनिया का हर इंसान किसी न किसी परेशानी से जूझ रहा है. तो क्या तुम्हारी नजर में इस सभी परेशानियों से मुक्त होने का एक ही रास्ता है अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना?
अतुल सुभाष, ये जीवन है. निश्चित तौर पर जब इंसान अपने किसी चाहने वाले से धोखा खाता है तो उसको बहुत गहरी चोट पहुंचती है. लेकिन तुम अकेले नहीं हो. तुम एक पुरुष प्रधान समाज की उपज हो. पुरुष प्रधान समाज में एक पुरुष की परेशानियों और रिश्तों को देखने का नजरिया काफी हद तक पुरुषवादी होता है.
अच्छा सुभाष तुम ये बताओ कि तुमने अपनी पत्नी से प्रताड़ित होकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. लेकिन, इसमें तुम्हारे बेटे की क्या गलती थी. उस मासूम को तुमने एक बाप के अधिकार से कैसे वंचित कर दिया. वह छोटी उम्र में ही बे-बाप हो गया. तुम एक महिला के पति भर नहीं थे. तुम एक मां के बेटे, एक बाप की शान थे, एक भाई की जान थे और सबसे बढ़कर एक बेटे के लिए उसका हीरो थे. तुमने उस बच्चे को उसके बाप के अधिकार से वंचित कर दिया.
इस पुरुषवादी समाज में तमाम लोग ऐसे हैं जो तुम्हारी इस सोच से इत्तेफाक रखते होंगे. वह कहते होंगे कि तुम्हारे पास कोई और रास्ता नहीं बचा होगा. लेकिन, मैं कहूंगा कि तुम मानसिक बीमार थे. तुमने अपने वीडियो में मां, बाप, भाई और बेटे का जिक्र किया है लेकिन, तुमने उनके प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई. तुमने वीडियो में अपनी पत्नी से बेटे को उसके दादा-दादी और चाचा को सौंपने की गुहार लगाई है. लेकिन, क्या तुमको पता है कि एक बच्चे के लिए उसका बाप क्या होता है. तुम आज सामने होते हो हम तुमको तुम्हारी बचपन याद दिलाते. और फिर पूछते कि तुम अपने पिता को किन-किन रूपों में याद करते हो. लेकिन, तुमने तो एक बच्चे से ऐसी याद रखने का सपना ही छीन लिया.
अतुल सुभाष इस समाज और दुनिया में व्यवस्था में तमाम खामियां हैं. इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. लेकिन, इन खामियों को दूर करने का तरीका भी इसी व्यवस्था में है. तुम पढ़े-लिखे पैसे वाले इंसान थे. तुम्हारे लिए इस व्यवस्था के ऊपरी पायदान तक पहुंचने का रास्ता अपेक्षाकृत सहज था. लेकिन, निचली अदालतों की थोड़ी सी परेशानी और कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से तुमने जीवन लीला ही समाप्त कर ली. बजाय इसके उस व्यवस्था की खामियों को उजागर कर तुम उसके खिलाफ लड़ सकते थे.
सही बताऊं तो तुमने बैंगलोर की बंद एसी कमरे की जिंदगी को ही जीवन मान लिया था. इसी कारण तुमको अपने गृह जिले यूपी के जौनपुर आने-जाने में परेशानी हो रही होगी. तुम अपनी नौकरी और पेशे के गुलाम थे. तुममें उस गुलामी से निकलकर फाइट करने की ताकत नहीं थी. तुममें यह क्षमता होती तो निश्चित तौर पर तुम ऐसा कदम नहीं उठाते… खैर अब तुम जा चुके हो. तुमसे ये बातें करने का क्या फायदा. लेकिन, तुम जहां कहीं भी हो… एक मिनट के लिए सोचना… क्या तुमने ठीक किया है?
अतुल सुभाष ये पुरुष प्रधान समाज है. हम मानते हैं कि तुमको पारिवारिक जिंदगी में चोट पहुंची है. लेकिन, इस समाज में हर साल हजारों लाखों लड़कियों को केवल मानसिक नहीं बल्कि शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. हर साल हजारों लड़कियां तुम्हारी तरह अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेती हैं. हम उन्हें भी ऐसा नहीं करने और समाज-व्यवस्था से लड़ने को कहते हैं. लेकिन, इतना निश्चित है कि दहेज प्रताड़ना और शारीरिक उत्पीड़न की शिकार एक लड़की की तुलना में तुम्हें कम प्रताड़ना झेलनी पड़ी होगी. लेकिन, तुमने अपनी इस प्रताड़ता का तमाशा बना दिया. तुमने वीडियो बनाकर अपनी बात रखी. दुनिया को तुमने एक पक्ष दिखाया. हम भावुक हो गए. लेकिन, हमें दूसरा पक्ष पता नहीं है. हमें जानना भी नहीं है. ये चीजें तुम दोनों के बीच की बेहद निजी बात थीं. लेकिन, तुमने उसे तमाशा बनाकर सहानुभूति लूटने का काम किया. तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था अतुल सुभाष….
Tags: SuicideFIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 14:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed